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आपकी कविताओं ने बसन्त और मनभावन कर दिया है।
जवाब देंहटाएंआपकी कविताओं से हमारे मन में भी वसंत जग चूका है.. सुन्दर कवितायें..
जवाब देंहटाएंबसंत ऋतू का सुंदर वर्णन मनमोहक, बधाई
जवाब देंहटाएंवसंत का वर्णन और मनोरम चित्र देखकर तो वसंतोत्सव के आगमन का संदेश मिल गया!!
जवाब देंहटाएंबसंत के वर्णन की मनभावन कविता .....
जवाब देंहटाएंफूलों से है सजा बगीचा।
जवाब देंहटाएंवासन्ती सा बिछा गलीचा।।
bahut sunder likhe hain .
सूरज से टकटकी लगाते,
जवाब देंहटाएंसुमन झूम कर हँसते गाते,
षट्पद, तितली, मधुमक्खी का,
अपनी ओर ध्यान है खींचा।
वासन्ती सा बिछा गलीचा।।
Bahut sundar, shashtree ji
क्या बात है सर....
जवाब देंहटाएंआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (7/2/2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.uchcharan.com
मैं भी तैयार हूं स्वागत के लिए।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना और तस्वीरें |बधाई |मुझे बहुत प्रसन्नता होती है आपके कमेंट्स पढ़ कर |प्रोत्साहन के लिए आभार |
जवाब देंहटाएंआशा
सुन्दर सी बासंती कविता
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर..... लेकिन हमारे यहां तो अभी भी चारो ओर बर्फ़ ही बर्फ़ पडी हे, हमे मई तक इंतजार करना पडेगा जी
जवाब देंहटाएंऋतुओं के राजा ने आकर,
जवाब देंहटाएंइन्द्र धनुष का रंग उलीचा।
वासन्ती सा बिछा गलीचा।।
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बहुत सुंदर बिंबों का प्रयोग किया है!
man mayur ho gaya...
जवाब देंहटाएंsabkuch basanti
जवाब देंहटाएंवसंत की छटा देख स्तब्ध हैं .. वसंत की शुभकामनाओं के साथ ..
जवाब देंहटाएंधानी धरती-नीला अम्बर,पर्वत भी लगता है सुन्दर,ऋतुओं के राजा ने आकर,इन्द्र धनुष का रंग उलीचा।वासन्ती सा बिछा गलीचा।।-
जवाब देंहटाएंमनमोहक विवरण -
खूबसूरत चित्रण -
छा गया बसंत मन पर .