ग़ज़ल -0-0-0- मैं कायरों में सिकन्दर तलाश करता हूँ मिला नही कोई गम्भीर-धीर सा आक़ा मैं सियासत में समन्दर तलाश करता हूँ लगा लिए है मुखौटे शरीफजादों के विदूषकों में कलन्दर तलाश करता हूँ सजे हुए हैं महल मख़मली गलीचों से रईसजादों में रहबर तलाश करता हूँ मिला नहीं है मुझे आजतक कोई चकमक अन्धेरी रात में पत्थर तलाश करता हूँ पहन लिए है सभी ने लक़ब (उपनाम) के दस्ताने मैं इनमें सूर-सुखनवर तलाश करता हूँ |
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सोमवार, 21 फ़रवरी 2011
"सुखनवर तलाश करता हूँ" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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बहुत लाजवाब गजल
जवाब देंहटाएंरामराम.
चराग़ लेके मुकद्दर तलाश करता हूँ
जवाब देंहटाएंमैं कायरों में सिकन्दर तलाश करता हूँ
मयंक जी आपकी तलाश गलत दिशा में है | अर्थपूर्ण गज़ल ,बधाई
बहुत खूबसूरत गज़ल ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा रचना , बधाई स्वीकार करें .
जवाब देंहटाएंआइये हमारे साथ उत्तरप्रदेश ब्लॉगर्स असोसिएसन पर और अपनी आवाज़ को बुलंद करें . फालोवर बनकर उत्साह वर्धन कीजिये
लगा लिए है मुखौटे शरीफजादों के
जवाब देंहटाएंविदूषकों में कलन्दर तलाश करता हूँ
Waah,
बहुत खुबसुरत रचना.......
जवाब देंहटाएंबहूत उम्दा रचना हर शेर लाजवाब
जवाब देंहटाएंमिला नहीं है मुझे आजतक कोई चकमक
जवाब देंहटाएंअन्धेरी रात में पत्थर तलाश करता हूँ ।
वाकई अर्थपूर्ण तलाश...
मिला नहीं है मुझे आजतक कोई चकमक
जवाब देंहटाएंअन्धेरी रात में पत्थर तलाश करता हूँ
वाह! बहुत उम्दा गज़ल..हरेक शेर लाज़वाब..आभार
मिला नहीं है मुझे आजतक कोई चकमक
जवाब देंहटाएंअन्धेरी रात में पत्थर तलाश करता हूँ
वाह वाह ,एक न एक दिन तो मिल ही जायेगा.बढ़िया ग़ज़ल.
चराग़ लेके मुकद्दर तलाश करता हूँ
जवाब देंहटाएंमैं कायरों में सिकन्दर तलाश करता हूँ
वाह शास्त्री जी बहुत सुंदर रचना धन्यवाद
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 22- 02- 2011
जवाब देंहटाएंको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.uchcharan.com/
BAHUT HI ACCHI GAZAL
जवाब देंहटाएंSIR JI TALASH JARUR PORI HOGI
HUMARI DUAYE BHI AAPKE SATH HE
शास्त्री जी, शायद आपकी पहली ग़ज़ल पढ रहा हूं। कमाल का लिखते हैं
जवाब देंहटाएंमिला नहीं है मुझे आजतक कोई चकमक
अन्धेरी रात में पत्थर तलाश करता हूँ
वाह !! क्या बात है!!
क्या बात है भाई .... वाह !!
जवाब देंहटाएंअन्तिम शे’र तो लाजवाब था...
जवाब देंहटाएंलाजवाब। इससे ज्यादा क्या कहूं। दिल खश कर दिया आपने।
जवाब देंहटाएंबहुत बेहतरीन!!
जवाब देंहटाएंसब से उत्तम है ये आज के लिए!
जवाब देंहटाएंवाह शास्त्री जी वाह! जिस भी विधा मे लिखते है कमाल करते हैं…………क्या खूब गज़ल लिखी है हम तो कायल हो गये आपकी लेखनी के……………मनमोहक गज़ल्।
जवाब देंहटाएंबहुत ही मनमोहक गजल लिखा है आपने।
जवाब देंहटाएंbahut hi behtareen shabd saiyojan...............SARTHAK Kavita
जवाब देंहटाएं"मिला नहीं मुझे आज तक कोई चकमक अंधेरी रात में पत्थर तलाश करता हूँ "
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी लगी यह पंक्तियाँ |
आशा
behad sundar gazal... har sher Lazwaab... juoo aapke paas ho chakmak pathhar ..:)
जवाब देंहटाएंचराग़ लेके मुकद्दर तलाश करता हूँ
जवाब देंहटाएंमैं कायरों में सिकन्दर तलाश करता हूँ
bahut achchi linen likhi hai.