कल एक बाल कविता लिखी थी! मेरे आग्रह पर इसे मेरी मुँहबोली भतीजी अर्चना चावजी ने बहुत मन से गाया है! आप भी इस बाल कविता का रस लीजिए! काले रंग का चतुर-चपल, पंछी है सबसे न्यारा। डाली पर बैठा कौओं का, जोड़ा कितना प्यारा। नजर घुमाकर देख रहे ये, कहाँ मिलेगा खाना। जिसको खाकर कर्कश स्वर में, छेड़ें राग पुराना।। काँव-काँव का इनका गाना, सबको नहीं सुहाता। लेकिन बच्चों को कौओं का, सुर है बहुत लुभाता।। कोयलिया की कुहू-कुहू, बच्चों को रास न आती। कागा की प्यारी सी बोली, इनका मन बहलाती।। देख इसे आँगन में, शिशु ने बोला औआ-औआ। खुश होकर के काँव-काँवकर, चिल्लाया है कौआ।। |
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बुधवार, 16 फ़रवरी 2011
"औआ-औआ" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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baddhiya geet aur madhur gaayan..
जवाब देंहटाएंkhoobsurat geet
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर बाल गीत और अर्चना जी ने पूरे मनोयोग से गाकर और भी सुन्दर बना दिया है.
जवाब देंहटाएंसुन्दर बाल कविता...
जवाब देंहटाएंअर्चना चावजी की मधुर आवाज़ ने इसमें चार चाँद अलग से लगा दिए
बहुत सुन्दर बाल गीत और अर्चना चावजी की मधुर आवाज़!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर बाल गीत जी, और अर्चना चावजी की मधुर आवाज़ ने इस मे जान डाल दी धन्यवाद
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंकमाल है शास्त्री जी!!
जवाब देंहटाएंबाल गीत पढा और ....
एक मधुर मुस्कान सहेजे हुए यह टिप्पणी लिख रहा
हूं।
बचपन याद आ गया....
जवाब देंहटाएंएकदम बालसुलभ अंदाज़ में गाया है अर्चना जी ने.... बहुत सुन्दर...
सुन्दर कविता, मन को भा गयी।
जवाब देंहटाएंमधुर स्वर में एक सुंदर गीत, बहुत शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
bahut sundar, awaaz bhi daal dete to behtar tha
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर बाल गीत .. और उतनी ही प्यारी आवाज़ में अर्चना जी ने गाया है ...
जवाब देंहटाएंbal-kavita bahut achchi lagi.
जवाब देंहटाएंवाह! आनंद आ गया कविता सुन के.
जवाब देंहटाएंप्यारी बाल कविता और अर्चना जी ने गाया भी बहुत उम्दा है, बधाई.
जवाब देंहटाएंकविता तो पहले ही पढ़ी थी. बहुत अच्छी लगी थी। अर्चना जी ने स्वर देकर उसमें चारचाँद लगा दिया।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर बाल गीत और अर्चना चावजी की मधुर आवाज़
जवाब देंहटाएंकोयलिया की कुहू-कुहू,
जवाब देंहटाएंबच्चों को रास न आती।
कागा की प्यारी सी बोली,
इनका मन बहलाती।।
जी, तभी तो इस युग को घोर कलयुग कहते है !
वाह नि:संदेह बहुत सुंदर रचना है
जवाब देंहटाएंकौवे में भी सुन्दरता तलाश ली. सरस गीत और गायन. आभार
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर बाल कविता, उतना ही सुन्दर गायन।
जवाब देंहटाएंशब्द और स्वर
जवाब देंहटाएंमधुर
सुन्दर
शुक्रिया आप सभी का इसे पसन्द करने के लिए....दर असल तारीफ़ के हकदार चाचाजी हैं --किसी भी विषय पर तुरन्त लिख कर हाजिर....वाकई अच्छा लगा गाने में ...
जवाब देंहटाएंऔर जब पता लगा कि प्राची को पसन्द आया तो आनन्द दूना हो गया....मेरा
अर्चना चावजी!
जवाब देंहटाएंआपने तो औआ-औआ गाकर कमाल कर दिया!
मेरी 6 वर्षीया पोती प्राची इसे 20 बार सुन चुकी है! कम्प्यूटर के पास से हट ही नहीं रही है!
और हाँ! उसने इसे पूरा याद भी कर लिया है!
शास्त्री जी नमन|
जवाब देंहटाएंकौआ को ले कर सुंदर बाल कविता|
shastri ji, yah baal kavita jitni pyari hai usse bhi zyada pyari aur madhur hai archna ji ki awaaz........
जवाब देंहटाएंalfaaz aur aawaz ka sumadhur sangam mubaraq ho !
achha laga sun kar
रचना बहुत सुन्दर है, और गायन भी बहुत सुन्दर है.
जवाब देंहटाएंअर्चना जी की आवाज मे भी बच्चो के आवाज जैसी एक अलग सी मिठास है.
जवाब देंहटाएं