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जवाब देंहटाएंवाह शास्त्री जी…………चंद शब्दो मे ज़िन्दगी का सार कह दिया…………………बहुत सुन्दर अनुवाद किया है……………आभार्।
जवाब देंहटाएंतर्जुमा भी बहुत अच्छा है...
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना का बहुत अच्छा अनुवाद
जवाब देंहटाएंवाह शास्त्री जी उत्तम अभिव्यक्ति का अनुपम अनुवाद | जय हो|
जवाब देंहटाएंयही विडम्बना है, यदि सब है तो दुख क्यों है।
जवाब देंहटाएंसधा हुआ और सुन्दर अनुवाद किया है आपने,बधाई.
जवाब देंहटाएंkavita ka saar bhi uttam hai parantu anuvaad atiuttam hai.
जवाब देंहटाएंचंद शब्दो मे ज़िन्दगी का सार कह दिया| बहुत सुन्दर|धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंbahut achchi post.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया....
जवाब देंहटाएंएक चोरी के मामले की सूचना :- दीप्ति नवाल जैसी उम्दा अदाकारा और रचनाकार की अनेको कविताएं कुछ बेहया और बेशर्म लोगों ने खुले आम चोरी की हैं। इनमे एक महाकवि चोर शिरोमणी हैं शेखर सुमन । दीप्ति नवाल की यह कविता यहां उनके ब्लाग पर देखिये और इसी कविता को महाकवि चोर शिरोमणी शेखर सुमन ने अपनी बताते हुये वटवृक्ष ब्लाग पर हुबहू छपवाया है और बेशर्मी की हद देखिये कि वहीं पर चोर शिरोमणी शेखर सुमन ने टिप्पणी करके पाठकों और वटवृक्ष ब्लाग मालिकों का आभार माना है. इसी कविता के साथ कवि के रूप में उनका परिचय भी छपा है. इस तरह दूसरों की रचनाओं को उठाकर अपने नाम से छपवाना क्या मानसिक दिवालिये पन और दूसरों को बेवकूफ़ समझने के अलावा क्या है? सजग पाठक जानता है कि किसकी क्या औकात है और रचना कहां से मारी गई है? क्या इस महा चोर कवि की लानत मलामत ब्लाग जगत करेगा? या यूं ही वाहवाही करके और चोरीयां करवाने के लिये उत्साहित करेगा?
जवाब देंहटाएंअनुवाद बहुत ही अच्छा है |नया पढ़ने को मिला बधाई
जवाब देंहटाएंआशा
कमल की कविता है ...और बहुत बढ़िया अनुवाद ....!!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद शास्त्री जी इस नेक कार्य के लिए .
बहुत सुन्दर अनुवाद
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अनुवाद
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