सावन आया रे.... मस्ती लाया रे....! सावन आया रे.... मस्ती लाया रे....! साजन ला दो चोटी-बिन्दी, काजल काली-काली, क्रीम-पाउडर के संग में, ला दो होठों की लाली, सावन आया रे.... मस्ती लाया रे....! तन भी भीगा, मन भी भीगा, भीगा मेरा आँचल, कजरारी अँखियों में सुन्दर लगता सबको काजल, सावन आया रे.... मस्ती लाया रे....! भीनी-भीनी मस्त फुहारें, पड़ती हैं आँगन में, गाऊँगी मैं गीत प्रणय के, हरे-भरे कानन में, सावन आया रे.... मस्ती लाया रे....! हरियाली तीजो पर झूले पड़े हुए उपवन में, इन्द्रधनुष भी सजे हुए हैं देखो नीलगगन में, सावन आया रे.... मस्ती लाया रे....! भीगे खेतों में खुश हो कर धान बहुत लहराते, बारिश का पानी पी करके मेढक भी टर्राते, सावन आया रे.... मस्ती लाया रे....! थोड़े दिन में राखी लेकर, मैं मैके जाऊँगी, अम्मा-बाबा, भइया-भाभी से मिलकर आऊँगी, सावन आया रे.... मस्ती लाया रे....! गंगा-यमुना की धाराएँ, कल-कल राग सुनातीं, जल को पाकर सूखी नदियाँ, बहती हैं बलखातीं, सावन आया रे.... मस्ती लाया रे....! |
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बुधवार, 3 अगस्त 2011
"सावन आया रे.... मस्ती लाया रे....!" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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वाह बहुत ही सुन्दर
जवाब देंहटाएंरचा है आप ने
क्या कहने ||
वाह बेहतरीन !!!!
जवाब देंहटाएंsawan ka mahina..
जवाब देंहटाएंsach me fuharo wali masti:)
behtareen kavita
अनुपम भावों की सुन्दर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंआभार.
सावन का महीना..मस्ती से भरपूर..हर तरफ खुशियों की फुहार..बहुत ख़ूबसूरत और मनमोहक रचना!
जवाब देंहटाएंab to khus
जवाब देंहटाएंpar kavita bahut acchi hai
सावन से सराबोर इस गीत में बड़े ही कोमल भाव प्रस्फुटित हुए हैं।
जवाब देंहटाएंवाह सावन की घटा के साथ बढ़िया कविता और ला जवाब चित्र.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ||
जवाब देंहटाएंबधाई |
वाह यहाँ तो सच मे सावन बरस रहा है………बहुत सुन्दर व मनभावन प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसावन की मस्ती,
जवाब देंहटाएंबूँदों मे बसती।
bahut sunder manbhavan geet aur picture to aur bhi lajabaab hai.
जवाब देंहटाएंDR.SAHEB AAPAKI YE RACHANA PADHKAR MANN BHAR AAYA .THANX
जवाब देंहटाएंसावन का ये रूप...बहुत रोचक लगा...
जवाब देंहटाएंसवन पर मनभावन गीत...बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंबस यही दुआ है कि सावन लोगो के लिए मस्ती और खुशियाँ ही ले कर आये ... कोई मुसीबत नहीं !
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंवाह! मज़ा आ गया...बहुत ख़ूब
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव लिए कविता |
जवाब देंहटाएंआशा
वाह शास्त्री जी आप तो सच्ची मुच्ची सावन के झूले झूला रहे हैं|
जवाब देंहटाएंbahut sundar lokgeet ! aabhaar shastri ji .
जवाब देंहटाएंजितना सुन्दर गीत, उतनी ही सुन्दर सजीव तस्वीर.
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब....आया सावन झूम के
जवाब देंहटाएंखुबसूरत सावन के साथ खुबसूरत रचना....
जवाब देंहटाएंdr.saheb aapaki rachana par kitana paani baras raha hai fir bhi nahi bheeg rahi ?????
जवाब देंहटाएंbehtreen rachna sawan ki....
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