क्षणिक शक्ति को देने वाली।
कॉफी की तासीर निराली।। जब तन में आलस जगता हो, नहीं काम में मन लगता हो, थर्मस से उडेलकर कप में, पीना इसकी एक प्याली। कॉफी की तासीर निराली।। पिकनिक में हों या दफ्तर में, बिस्तर में हों या हों घर में, कॉफी की चुस्की ले लेना, जब भी खुद को पाओ खाली। कॉफी की तासीर निराली।। सुख-वैभव के अलग ढंग हैं, काजू और बादाम संग हैं, इस कॉफी के एक दौर से, सौदे होते हैं बलशाली। कॉफी की तासीर निराली।। मन्त्री जी हों या व्यापारी, बड़े-बड़े अफसर सरकारी, सबको कॉफी लगती प्यारी, कुछ पीते हैं बिना दूध की, जो होती है काली-काली। कॉफी की तासीर निराली।। |
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
गुरुवार, 1 सितंबर 2011
"कॉफी" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि ...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
अच्छा लगा कि टिप्पणी स्वरुप मेरी बात को आपने इतनी गंभीरता से लिया .. आपकी कविता को पूरा करते हुए कुछ पंक्तिया...
जवाब देंहटाएंकहते हैं एक काफी पर
करते लोग खज़ाना खाली
अपने अपने होते हैं मकसद
काफी रहती वही विचारी
काफी की तासीर निराली
वाह ... बताये कब आ जाएँ काफी पीने ??
जवाब देंहटाएंहां दादा
जवाब देंहटाएंहो इच्छा गर पीने की बलशाली
आ जाईये तैय्यार है काफ़ी की प्याली
ये लाईन भी जोड़ना था :)
बहुत बढ़िया .मज़ा आ गया. अब कुछ कबूतर पे कहें मुझे तो पक्षी अधिक पसंद नहीं.
जवाब देंहटाएंवाह! क्या बात है! बहुत ही बढ़िया, मज़ेदार और शानदार लगा!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया सर।
जवाब देंहटाएं-------------
कल 2/09/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
शास्त्री जी नमस्कार ....
जवाब देंहटाएंआप की कॉफी की प्याली ,
सब को कर गई मतवाली
कॉफी इन को पिलवाओ
बाकी का माल हमें खिलाओ ...हा हा हा !
आती नींद भगाने वाली।
जवाब देंहटाएंवाह वाह शास्त्री साहब, वाह.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंरामराम
वक्रतुंड महाकाय कोटिसूर्यसमप्रभ ।
जवाब देंहटाएंनिर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥
"आप सभी को गणेश-चतुर्थी की बहुत बहुत शुभकामनाएं "
वक्रतुंड महाकाय कोटिसूर्यसमप्रभ ।
जवाब देंहटाएंनिर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥
"आप को गणेश-चतुर्थी की बहुत बहुत शुभकामनाएं "
vaah dr. saahb cofee pine ka mzaa aa gyaa bhtrin mubark ho ...akhtar khan akela kota rajsthan
जवाब देंहटाएंअपनी पंसद का पहला पेय है। बहुत सुंदर!
जवाब देंहटाएंवाह क्या बात है शाश्त्रीजी आपकी लेखनि को नमन करती हूँ/काफी पीने जितना मजा आ गया आपकी रचना पढने में /बहुत बधाई आपको /
जवाब देंहटाएंvyast hone ke karan der se padhi ajeeb ittefak hai mere haath me kafi ka mug hai aur kafi par kavita padh rahi hoon.bahut bahut achchi rachna swad doguna ho gaya.
जवाब देंहटाएंकॉफी पर तो आपने बहुत सुन्दर लिखा वैसे बुरा न माने तो मैं तो कहूँगा कि शराब पर भी आप बहुत सुन्दर लिख सकते हैं। इस विषय पर तमाम अज़ीम शाइरों और कवियों के पोत्थनें भरे पड़े हैं, कवि श्रेष्ठ बच्चन जी ने तो पूरी मधुशाला ही लिख डाली। हम आपके क़लम का जादू देखना चाहेंगे
जवाब देंहटाएंठीक है गाफ़िल साहब।
जवाब देंहटाएंकल शराब पर भी लिख दूँगा।
गणशोत्सव की शुभकामनाएँ।
SHASTRI JI
जवाब देंहटाएं''BHARTIY NARI '' PAR KUCH LIKHIYE .AABHAR
शिखा कौशिक जी!
जवाब देंहटाएंकल ग़ाफिल साहब की माँग पर, शराब पर और परसों आपकी माँग पर भारतीय नारी पर भी लिखूँगा।
--
आप लोग बताते रहिए नये-नये विषय!
आभारी रहूँगा आप सबका!
--
गणेशोत्सव की शुभकामनाएँ!
एक चुस्की मेरी ओर से भी.......
जवाब देंहटाएंसाथ यदि कोई संगी सखा हो
काफी संग नमकीन रखा हो.
याद करें बचपन की शरारत
और बजायें जम कर ताली.
काफी की तासीर निराली.
कॉफी पर कविता निराली ... अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंbahut sundar abhivyakti.badhai.
जवाब देंहटाएंफांसी और वैधानिक स्थिति
शुभ प्रभात सर,
जवाब देंहटाएंएक काफी का मग हाथों में है और एक सामने स्क्रीन में... सच कहूं स्क्रीन वाली काफी की बात ही निराली है...
सादर बधाई...
काफी पर कविता पढ़ डाली,
जवाब देंहटाएं"काफी की तासीर निराली"
कलम आपकी देखी भाली,
वाह वाह कविता मतवाली.
SHASTRI JI .......
जवाब देंहटाएंcoffee ke sang bujeya too mast
keya jodi banaya
pi kar too mari needh udh gae.
bahut khub aap ka.....
may aab aau aap ke dar pe coff pine.......
aaye keya?
aap ko ganesh cathurathi ka subh kamanaye............
आप को श्रीगणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंbahut sundar abhivyakti.
जवाब देंहटाएंJALD HI HUM AAYENGE AAPKE PASS IS PYARI KAFI KA LUTF UTHANE KE LIYE ....badhai....
wow ! Great coffee table conference.
जवाब देंहटाएंचाय के बाद कॉफ़ी भी ...
जवाब देंहटाएंबढ़िया है!
शास्त्री जी कोटि कोटि अभिनन्दन !! बहुत ही चुटीली ओर मनमोहन अभिव्यक्ति के लिए सुबह कामनाएं !!!
जवाब देंहटाएंकाफी की तासीर ...काफी पीनो को ललचा रही है ....
सादर !!!
ये तो आपके लिये चुटकी का काम है…………सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंइतने सुन्दर गीत ने कड़वी काफी को भी मीठा बना दिया !
जवाब देंहटाएंकिसी भी विषय पर भावों को प्रभाव पूर्ण ढंग से शब्दों में ढाल देना आपकी विशेषता है !
आभार !