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Itnee sajeeli thaliya dekhkar kiska man nahi machal jaayega.
जवाब देंहटाएंSunda kachoriyon. .. Oh. .sorry... Gajal ke liye aabhar
आलू के ऊपर बहुत ही अच्छी पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंसचमुच मुंह में पानी आ गया .....
“रूप” तो एक है वस्तुएँ मिन्न हैं
जवाब देंहटाएंजो बनाना हो वो ही रचा लीजिए
वह सर क्या बात है ,आलू नहीं तो कुछ नहीं , क्यों की हमारी अर्थ - व्यवस्था यथा महंगाई के मापदंडों में से यह एक है ,......बहुत मजा आया ,कुछ अलग हट कर ...शुक्रिया सर /
mere to muh may pani aa gaya
जवाब देंहटाएंmuje to bahut hu pasan aaloo
aaloo ka kuch bhi bane hame to bahut hu pasan
aap ne to kamal kar deye
us pe bhi likh hi dali
nice
yummy
जवाब देंहटाएंआलू तो अपनी कमजोरी है सर। मुह मे मे पानी ला दिया आपकी पोस्ट ने :)
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कल 05/09/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
G A J A B
जवाब देंहटाएंitni achchi kavita aur itne sajehue aalu ke vyanjan dekh kar hi muh me paani aa gaya.really laajabaab.
जवाब देंहटाएंआलू तो राष्ट्रीय सब्जी है बच्चे बूढ़े और जवान सभी करते इसका सम्मान
जवाब देंहटाएं.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति बधाई.
श्रमजीवी महिलाओं को लेकर कानूनी जागरूकता.
पहेली संख्या -४४ का परिणाम और विजेता सत्यम शिवम् जी
वाह! आलू! आ!!!लूँ!
जवाब देंहटाएंआपने तो आलू को भी नहीं बक्शा .....उस पर ही ग़ज़ल लिख डाली .............बहुत खूब
जवाब देंहटाएंसच में, आलू बहुत ही जगह काम आते हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति शास्त्री जी!!
जवाब देंहटाएंसचमुच मुंह में पानी आ गया ...
SWADISHT RACHNA -PAR KAISE KHA JAYEN ITNA CHATPATA .AABHAR
जवाब देंहटाएंअरे वाह! आलू पर भी इतनी सुन्दर कविता! ये आलू तो मेरे फेवरेट हैं...और इनसे बनी सारी डिशेज भी... सचमुच मुँह में पानी आ गया...
जवाब देंहटाएंशास्त्रीजी काहे ललचा रहे हैं? पहले तो पानीपूरी दिखा दी अब ये सब? कैसी कैसी मुसीबत खड़ी कर रहे हैं आप? हा हा हाह ाहा।
जवाब देंहटाएंअब और ब्लग पढ़ना मुश्किल होगा..
जवाब देंहटाएंकिधर है आलू..कहाँ है आलू..अजी सुनती हो...!तुमने बहुत दिनो से आलू का पराठां नहीं खिलाया..यहां देखो कवि जी आलू पर पूरी गज़ल लिख दिये!
शास्त्री जी नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंचाय-कॉफी के साथ-साथ चिप्स !वाह: क्या बात है
आइए-मेरे पास गज़ल में सुनवाता हूँ ....
'गज़ल' सुननें को शिरकत करें !
आपकी यह पोस्ट तो 'एपेटाईजर' की तरह है...
जवाब देंहटाएंभूख लग आई...
सादर....
आलू तो मुझे बेहद पसंद है और आपने उसपर बहुत सुन्दर रचना लिखा है! तरह तरह के स्वादिष्ट खाने के साथ लाजवाब प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंआपकी तथ्यात्मक और विश्लेषणात्मक इस मेहनत से लिखी गई पोस्ट के लिए हार्दिकं बधाई.
जवाब देंहटाएंब्लॉगर्स मीट वीकली (7) Earn Money online
आप तो आशु कवि हैं एक गज़ल लालू पर भी ,
जवाब देंहटाएंएक ग़ज़ल कुछ ऐसी हो बिलकुल लालू जैसी हो ,
मेरा चाहें कुछ भी हो ,उसकी ऐसी तैसी हो ...