तेरह-ग्यारह से बना, दोहा छन्द प्रसिद्ध। सरस्वती की कृपा से, मुझको है यह सिद्ध।१। चार चरण-दो पंक्तियाँ, करती गहरी मार। कह देती संक्षेप में, जीवन का सब सार।२। सरल-तरल यह छन्द है, बहते इसमें भाव। दोहे में ही निहित है, नैसर्गिक अनुभाव।३। तुलसीदास-कबीर ने, दोहे किये पसन्द। दोहे के आगे सभी, फीके लगते छन्द।४। दोहा सज्जनवृन्द के, जीवन का आधार। दोहों में ही रम रहा, सन्तों का संसार।५। |
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शनिवार, 24 सितंबर 2011
"दोहा छन्द प्रसिद्ध" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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चार चरण-दो पंक्तियाँ, करती गहरी मार।
जवाब देंहटाएंकह देती संक्षेप में, जीवन का सब सार।२।
..बहुत ही खुबसूरत दोहा छन्द...
इन्ही दोहों में संस्कृति का सारा ज्ञान छिपा है।
जवाब देंहटाएंvaah....doho me hi doho ki pratima ka varnan....bahut behtreen.
जवाब देंहटाएंतुलसीदास-कबीर ने, दोहे किये पसन्द।
जवाब देंहटाएंदोहे के आगे सभी, फीके लगते छन्द।४।
दोहा सज्जनवृन्द की, भक्ति का आधार।
दोहों में ही रम रहा, सन्तों का संसार।५।
वाह शानदार दोहे……………गज़ब की प्रस्तुति।
आपकी काव्य रचना के आगे तो सब फीका लगता है।
जवाब देंहटाएंउम्दा दोहे।
वाकयी में दोहे छन्द का कोई मुकाबला नहीं।
जवाब देंहटाएंबढ़िया दोहे ..
जवाब देंहटाएंगुरुजन के आशीष से, रच देता मति-मन्द |
जवाब देंहटाएंगागर में सागर भरे, दोहा सुन्दर छंद ||
सुन्दर प्रस्तुति पर बधाई ||
बहुत शानदार दोहे..आभार
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार दोहे..आभार
जवाब देंहटाएंजी हाँ शास्त्री जी दोहे की महिमा अपरम्पार है तभी तो हमारे महान कवियों ऩे सारा ज्ञान उनके माध्यम से दिया है
जवाब देंहटाएंदोहों में दोहे....
जवाब देंहटाएंवाह सर बहुत बढ़िया..
सादर..
दोहों पर दोहे। अद्भुत!!
जवाब देंहटाएंदोहों पर दोहे। अद्भुत!!
जवाब देंहटाएंबहुत ही खुबसूरत रचना ....आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत ही खुबसूरत रचना ....आभार.
जवाब देंहटाएंदोहों पर दोहों में ही कहना ..
जवाब देंहटाएंरोचक!
तेरह-ग्यारह से बना, दोहा छन्द प्रसिद्ध।
जवाब देंहटाएंसर,तेरह-ग्यारह का नियम स्पष्ट करने की कृपा करेंगे तो मैं भी कुछ सीख लूँगी|
दोहों में दोहे का महत्व बहुत शानदार लग रहा है|
सादर
ऋता
पांचों दोहे आपके,आये बहुत पसंद.
जवाब देंहटाएंअच्छे लगते हैं मुझे,सचमुच दोहा छंद.
तेरह-ग्यारह से बना, दोहा छन्द प्रसिद्ध।
जवाब देंहटाएंसरस्वती की कृपा से, मुझको है यह सिद्ध।१।
वैसे उपर्युक्त पहले दोहे पर ये निवेदन ज़रूर है कि:-
"मुझको है यह सिद्ध" में,अहंकार का भाव.
ऐसे कथनों से इन्हें,माँ शारदे बचाव.
बहुत सुन्दर दोहा लिखा है आपने! बेहतरीन प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंदोहों की ही तरह,एकदम संक्षिप्त और अर्थ-संप्रेषक .
जवाब देंहटाएंचार चरण-दो पंक्तियाँ, करती गहरी मार।
जवाब देंहटाएंकह देती संक्षेप में, जीवन का सब सार।
दोहों में दोहे का महत्व बहुत शानदार.....
आदरणीय कुँवर कुसुमेश जी!
जवाब देंहटाएंमैं बहुत ही विनम्रता से आपसे निवेदन करना चाहता हूँ कि-
पांचों दोहे आपके,आये बहुत पसंद.
अच्छे लगते हैं मुझे,सचमुच दोहा छंद.
इस दोहे में भी प्रथम चरण में एक मात्रा बढ़ी हुई है।
--
"मुझको है यह सिद्ध" में,अहंकार का भाव.
ऐसे कथनों से इन्हें,माँ शारदे बचाव.
और इस दोहे के भी तीसरे चरण में एक मात्रा अधिक हो रही है।
--
अन्त में यही कहना चाहता हूँ कि-
"जिसके सिर पर हो सदा, माता का आशीष।
वो ही तो कहलाएगा,वाणी का वागीश।।"
सचनुच आप दोहों में सिद्ध हैं
जवाब देंहटाएंye dohay bhee dilchasp hain!!
जवाब देंहटाएं