♥ मेरी पसन्द ♥ मित्रों! 27 जून, 2009 को रचित अपनी पसन्द की एक रचना प्रस्तुत कर रहा हूँ! जलने को परवाना आतुर, आशा के दीप जलाओ तो। कब से बैठा प्यासा चातुर, गगरी से जल छलकाओ तो।। मधुवन में महक समाई है, कलियों में यौवन सा छाया, मस्ती में दीवाना होकर, भँवरा उपवन में मँडराया, मन झूम रहा होकर व्याकुल, तुम पंखुरिया फैलाओ तो। कब से बैठा प्यासा चातुर, गगरी से जल छलकाओ तो।। मधुमक्खी भीने-भीने स्वर में, सुन्दर राग सुनाती है, सुन्दर पंखों वाली तितली भी, आस लगाए आती है, सूरज की किरणें कहती है, कलियों खुलकर मुस्काओ तो। कब से बैठा प्यासा चातुर, गगरी से जल छलकाओ तो।। चाहे मत दो मधु का कणभर, पर आमन्त्रण तो दे दो, पहचानापन विस्मृत करके, इक मौन-निमन्त्रण तो दे दो, काली घनघोर घटाओं में, बिजली बन कर आ जाओ तो। कब से बैठा प्यासा चातुर, गगरी से जल छलकाओ तो।। (चित्र गूगल सर्च से साभार) |
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शुक्रवार, 16 सितंबर 2011
‘‘मेरी पसन्द-एक चुनिन्दा रचना’’ (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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वाह शास्त्री साहब, आनन्दित कर दिया. इसे गाकर पढ़ने में और अच्छा लग रहा है.
जवाब देंहटाएंकविता के माध्यम से बड़ा ही मधुर रस छलका गये।
जवाब देंहटाएंचाहे मत दो मधु का कणभर, पर आमन्त्रण तो दे दो,
जवाब देंहटाएंपहचानापन विस्मृत करके, इक मौन-निमन्त्रण तो दे दो,
काली घनघोर घटाओं में, बिजली बन कर आ जाओ तो।
कब से बैठा प्यासा चातुर, गगरी से जल छलकाओ तो।
मीठा गीत ,मीठी बातों ,एहसासों ज़ज्बातों का गेय गीत .सभावित गीत सकारात्मक पक्ष का जीवन के .बधाई !
बहुत मधुर प्रस्तुति ||
जवाब देंहटाएंबधाई ||
vah
जवाब देंहटाएंetne ras hai pagtiyo may
lag raha hai, kisi ke yah may likha gayi hai
bahut sundar
bahut khoobsurat kaabiletareef geet.badhaai aapko.
जवाब देंहटाएंमीठा सा स्नेह निमंत्रण। बहुत ही अच्छी और दिल को छूनेवाली रचना, बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत मधुर प्रस्तुति| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंबहुत लाजवाब रचना.
जवाब देंहटाएंरामराम
वाह सर, बहुत मधुर रचना है...
जवाब देंहटाएंसादर बधाई...
बहरीन प्रस्तुती....
जवाब देंहटाएंbahut sundar..is rachna se to ras chhalak chhalak rha hai..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमधुर रस छलकाता हुआ काव्य-निर्झर.
जवाब देंहटाएंशनिवार १७-९-११ को आपकी पोस्ट नयी-पुरानी हलचल पर है |कृपया पधार कर अपने सुविचार ज़रूर दें ...!!आभार.
जवाब देंहटाएंmeethi se rachna.
जवाब देंहटाएंमधुमक्खी भीने-भीने स्वर में, सुन्दर राग सुनाती है,
जवाब देंहटाएंसुन्दर पंखों वाली तितली भी, आस लगाए आती है,
सूरज की किरणें कहती है, कलियों खुलकर मुस्काओ तो
स्नेहिल आमंत्रण.... कोमल भावों से सजी रचना
Bahut Achhi Rachan ...
जवाब देंहटाएंMy Blog: Life is Just a Life
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प्यार का अमृत रस छलकाती ये रचना बेहद सुंदर बन पडी है ।
जवाब देंहटाएंहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंनई पुरानी हलचल से आपकी इस पोस्ट पर आना हुआ.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर मनमोहक प्रस्तुति है आपकी.
आभार.
समय निकालकर मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
bahut sundar lagi apaki priya rachna. man ko moh liya.
जवाब देंहटाएंचाहे मत दो मधु का कणभर, पर आमन्त्रण तो दे दो,
जवाब देंहटाएंपहचानापन विस्मृत करके, इक मौन-निमन्त्रण तो दे दो,
काली घनघोर घटाओं में, बिजली बन कर आ जाओ तो।
कब से बैठा प्यासा चातुर, गगरी से जल छलकाओ तो
बहुत सुन्दर मनमोहक प्रस्तुति शास्त्री जी.ये पंक्तियाँ तो बहुत ही सुन्दर थीं.