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आया मास सितम्बर तेरह-चौदह दिन भी बीते। हिन्दी-हिन्दी रटा, मगर गागर अब तक हैं रीते।। शरमा गये श्राद्ध भी, हमने इतनी श्रद्धा दिखलाई। साठ वर्ष से राज-काज में हिन्दी नही समाई।। रूस, चीन, जापान सबल हैं, अपनी ही भाषा से। देख रही है हिन्दी, अपनों को कितनी आशा से।। कब आयेगा सुप्रभात, कब सूरज नया उगेगा? राष्ट्रसंघ में कब अपनी भाषा का भाग जगेगा? भ्रष्ट राजनेताओं की, अब नष्ट सियासत करनी है। सब भाषाओं के ऊपर अपनी भाषा अब धरनी है।। |
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भ्रष्ट राजनेताओं की, अब नष्ट सियासत करनी है।
जवाब देंहटाएंसब भाषाओं के ऊपर अपनी भाषा अब धरनी है
वाह! क्या बात है...क्या जज्बा है...तथास्तु
रूस, चीन, जापान सबल हैं, अपनी ही भाषा से।
जवाब देंहटाएंदेख रही है हिन्दी, अपनों को कितनी आशा से।।
बिल्कुल सटीक चित्रण किया है।
अत्यंत लाजवाब और सटीक रचना.
जवाब देंहटाएंरामराम.
वह सुबह कभी तो आयेगी।
जवाब देंहटाएंहिन्दी पखवाड़े पर सुंदर रचना .... जय हिन्द जय हिन्दी !!
जवाब देंहटाएंआपके ब्लॉग पर टिपण्णी करने के लिए हिंदी ट्रांसलेशन निकालना पड़ा !हिंदी की उन्नति की जो बात है !इस कविता ने तो कमाल का असर दिल पर छोड़ा है !बहुत बहुत उत्तम कविता है !आपको इस कविता के लिए विशेष बधाई!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया प्रस्तुति ||
जवाब देंहटाएंआपको हमारी ओर से
सादर बधाई ||
कभी तो मिलेगी ही मंजिल..
जवाब देंहटाएंहमें पूरा विश्वास है कि एक न एक दिन जरूर आयेगा जब आसमान में उड़नेवालों को अहसास होगा कि अपनी माटी की खुशबू के आगे आसमान के चाँद-सितारे तुच्छ हैं.उस दिन राष्ट्र-संघ में हिंदी का नया सूरज उगेगा.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया कविता है !आपको इस कविता के लिए बधाई, जय हिन्दी
जवाब देंहटाएंआपकी आवाज हम सबकी आवाज , हिंदी अमृत -धारा है ,इसके साथ बहना ही होगा ......./सम्माननीय सृजन ,
जवाब देंहटाएंऐसी भाषा बोलिये, जो समझी ना जाय
जवाब देंहटाएंभ्रष्ट भ्रष्ट समझा करे, जनता समझ न पाय।
यह एक क्रांतिकारी विश्वासों से लबरेज़ गीत है। इसका ओज और विश्वास जोश से भर देता है।
जवाब देंहटाएंकभी तो सपना सच होगा.. सुन्दर अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंगम्भीरती से सोचने को बाध्य करती हुई प्रेरक रचना.हमारी आवाज भी आपके साथ है.
जवाब देंहटाएंकब आयेगा सुप्रभात, कब सूरज नया उगेगा?
जवाब देंहटाएंराष्ट्रसंघ में कब अपनी भाषा का भाग जगेगा?
श्री मान जी वो सुबह जरुर आएगी ....
............बहुत ही अच्छी रचना ......
..........धन्यवाद् ......
ष्ट राजनेताओं की, अब नष्ट सियासत करनी है।
जवाब देंहटाएंसब भाषाओं के ऊपर अपनी भाषा अब धरनी है।।....
देर है लेकिन अंधेर नहीं है। अपनी भाषा का सम्मान करना एक दिन तो सब समझेंगे ही।
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बहुत सुन्दर कविता!!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता!!!
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंdr.saheb aapako ye jankar pata nahi kaisa lagega ki hindi hamari rastriy bhasha hi nahi hai.ek r.t.i. ke jawab m home minisre ne ye zawab diya hai ji
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