ईद, होली के दिनों में, प्यार के दस्तूर को पहचानते हैं। हम तो वो शै हैं, जो पत्थर को मनाना जानते हैं। वायदों और वचन के पाबन्द हम, फूल में हैं गन्ध के मानिन्द हम, दोस्ती को हम निभाना जानते हैं। हमने अंधियारे घरों को जगमगाया, रोशनी के वास्ते दीपक जलाया, प्रीत का दरिया बहाना जानते हैं। हम बिना दस्तक दिये, जाते नही हैं, किन्तु वे हरकत से बाज आते नही हैं, नाग का हम फन कुचलना जानते हैं। |
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शनिवार, 10 सितंबर 2011
‘‘दस्तूर को पहचानते हैं’’ (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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sunder geet
जवाब देंहटाएंpyar ka sandesh dene vale desh ko ab naag ka fn kuchlna hi hoga , ydi abhi der ki to bahut der ho sakti hai
हम बिना दस्तक दिये, जाते नही हैं,
जवाब देंहटाएंकिन्तु वे हरकत से बाज आते नही हैं,
नाग का हम फन कुचलना जानते हैं।
....बहुत सुन्दर प्रस्तुति...आभार
.बहुत सुन्दर प्रस्तुति...आभार
जवाब देंहटाएंईद, होली के दिनों में,
जवाब देंहटाएंप्यार के दस्तूर को पहचानते हैं।
हम तो वो शै हैं,
जो पत्थर को मनाना जानते हैं।
bahut sundar vichaar hain aapke best wishes.....
बहुत सही
जवाब देंहटाएंek baar phir wahi hamesha ki tarah wah wah wah wah..
जवाब देंहटाएंआपको बहुत बहुत बधाई --
जवाब देंहटाएंइस जबरदस्त प्रस्तुति पर ||
बहुत ही प्यारी और सुन्दर पंक्तिया ....
जवाब देंहटाएंईद, होली के दिनों में,
जवाब देंहटाएंप्यार के दस्तूर को पहचानते हैं।
हम तो वो शै हैं,
जो पत्थर को मनाना जानते हैं
bahut khoobsoorat prastuti......dil ko chhoo gayii.
वर्तमान की सच्चाई निहित है आपकी इस रचना में....
जवाब देंहटाएंउत्साह जगाता गीत।
जवाब देंहटाएंवायदों और वचन के पाबन्द हम,
जवाब देंहटाएंफूल में हैं गन्ध के मानिन्द हम,
दोस्ती को हम निभाना जानते हैं।
क्या बात है सर ! बहुत खूब कहा भी ,निभाया भी , ..../
शुक्रिया जी /
बहुत सुंदर, शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
kyaa baat...kyaa baat...kyaa baat...
जवाब देंहटाएंसुन्दर गीत.
जवाब देंहटाएंbahut achcha milanbhaav pyaar ka sndesh deti hui prerak rachna.badhaai.
जवाब देंहटाएंहम बिना दस्तक दिये, जाते नही हैं,
जवाब देंहटाएंकिन्तु वे हरकत से बाज आते नही हैं,
नाग का हम फन कुचलना जानते हैं।
अच्छाई का मतलब यह तो नहीं कि बुराई का प्रतिकार भी न हो. सुंदर संदेश देती उत्कृष्ट रचना.