"रूप" कितना खूबसूरत
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शनिवार, 17 सितंबर 2011
"आइने की क्या जरूरत" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
"रूप" कितना खूबसूरत
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'रूप' 'चंदा' का चुराकर ले गया ये कौन है?
जवाब देंहटाएं"शब्द" ही जब खो गया तो आईना भी मौन है!
बहुत खूब..
जवाब देंहटाएंबहुत ही मन-भावन श्रृंगार.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...वाह!
जवाब देंहटाएंलाख पर्दों में छुपाओ
जवाब देंहटाएंछिप नहीं पायेगी सूरत ||
सुन्दर प्रस्तुति ||
वाह ...बहुत खूब ।
जवाब देंहटाएंबेहद सुन्दर
जवाब देंहटाएंशब्दों का खूबसूरत खेल खेलतें हैं आप.
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा रचना लगी शास्त्री जी.
आभार.
मेरे ब्लॉग पर भी आईयेगा.
बहुत खूब.वाह वाह ......
जवाब देंहटाएंवाह कोमल भावो की खूबसूरत अभिव्यक्ति है।
जवाब देंहटाएंek khoobsurat prastuti.
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंमनभावन प्रस्तुति सर,
जवाब देंहटाएंसादर...
पासवर्ड हैक होने की खबर दुखद है सर,
जवाब देंहटाएंrachana usase bhi khub surat.badhayi
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