जिसके सिर पर हो सदा, माता का आशीष। वो ही तो कहलायगा, वाणी का वागीश।१। लेखन करती मातु हैं, मैं हूँ मात्र निमित्त। माता अपने दास का, करना पावन चित्त।२। मुझ पर माता शारदे, करना यह उपकार। जीवनभर सुनता रहूँ, वीणा की झंकार।३। जो अधकचरे ज्ञान का, खुल कर करें बखान। उनका विज्ञ समाज में, होता है अपमान।४। ज्ञानी-सज्जनवृन्द का, हो आदर-सत्कार। अभिमानी के सामने, कभी न मानूँ हार।५। |
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रविवार, 25 सितंबर 2011
"दोहे-वीणा की झंकार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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लेखन करती मातु हैं, मैं हूँ मात्र निमित्त।
जवाब देंहटाएंमाता अपने दास का, करना पावन चित्त
माँ सरस्वती वंदना वंदनीय है शास्त्री जी
maa sarasvati ka haath humesha aapke sir par ho.bahut sunder vandana.
जवाब देंहटाएंआपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा दिनांक 26-09-2011 को सोमवासरीय चर्चा मंच पर भी होगी। सूचनार्थ
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति के लिए मेरी भी बधाई स्वीकार करें ||
जवाब देंहटाएंवागीश का अर्थ वृहस्पति, ब्रह्मा या कवि
अथवा अच्छा बोलनेवाला में से क्या उपयुक्त है ?
कृपया प्रकाश डालें ||
क्या वागीश = वागा + ईश
वागा = लगाम भी लगाया जा सकता है ?
गुरुदेव कृपया समझाएं ||
अति उत्तम
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर वन्दना...
जवाब देंहटाएं.....श्री मान जी नमस्कार .....
जवाब देंहटाएंमाँ सरस्वती की वंदना बहुत ही सुन्दर है जी |
्बहुत सुन्दर प्रार्थना युक्त दोहे…………पसन्द आये।
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति स्तुतनीय है, भावों को परनाम |
जवाब देंहटाएंमातु शारदे की कृपा, बनी रहे अविराम ||
वागीश का अर्थ वृहस्पति, ब्रह्मा या कवि
जवाब देंहटाएंअथवा अच्छा बोलनेवाला में से क्या उपयुक्त है ?
कृपया प्रकाश डालें ||
क्या वागीश = वागा + ईश
वागा = लगाम भी लगाया जा सकता है ?
गुरुदेव कृपया समझाएं ||
भाई दिनेश गुप्ता रविकर जी!
जवाब देंहटाएंवागीश का अर्थ जिसका वाणी पर अधिकार हो वह भी तो हो सकता है।
यहाँ इसी भाव को लेकर दोहे की रचना की गई है!
सुन्दर प्रस्तुति|
जवाब देंहटाएंअत्यंत सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंरामराम.
सुन्दर भावना का माँ शारदे के चरणों में सुन्दर दोहों में अर्पण ..अति सुन्दर
जवाब देंहटाएंमाँ सरस्वती की वंदना...को नमन
जवाब देंहटाएंहे शारदे माँ...
जवाब देंहटाएंप्रिय श्रेष्ठ माफ़ी चाहते हैं ,समय से संवाद नहीं करने का ,कारन ,अपनी एक ,पुस्तक प्रकाशन सम्बन्धी व्यस्तता / आपके आशीष की कामना..... आगे समुन्नत सृजन के लिए बधाई /
जवाब देंहटाएंnice creation ! and thanks for the kind words...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर पंक्तियाँ...बहुत खुबसुरत प्रेम भाव..शानदार
जवाब देंहटाएंरविकर जी! वागीश का मतलब है वाक+ ईश अर्थात सबसे बड़ा वक्ता
अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना।
जवाब देंहटाएंजिसके सिर पर हो सदा, माता का आशीष।
जवाब देंहटाएंवो ही तो कहलाएगा, वाणी का वागीश।१।
प्रथम पंक्ति-
जि=१,के=१,सि=१,हो=१,दा=१,मा=१,ता=१,का=१,आ=२,शी=२,=१२
द्वितीय पंक्ति-
वो=१,ही=२,तो=१,ला=१,ए=१,गा=१,वा=१,णी=२,का=१,
वा=१,गी=२,=१४
सर,मैं मात्राओ को ठीक से गिन नहीं पा रही|थोड़ी सी मदद करने की कृपा करेंगे तो ठीक कर लूँगी|
अनुस्वार और विसर्ग भी १मात्रा होती होगी|
मैंने दोहे से सम्बन्धित पोस्ट को देखा|
मार्गदर्शन देने के लिए हार्दिक धन्यवाद|
सादर
ऋता
मनमोहक छंद।
जवाब देंहटाएंमाँ सरस्वती वंदना वंदनीय है शास्त्री जी
जवाब देंहटाएंबहुत खुबसुरत प्रेम भाव..मनमोहक रचना।..
जवाब देंहटाएंरहें बढ़ते
जवाब देंहटाएंप्रगति पथ पर ,
पग निरंतर .
मातु दो वर.
... बहुत सुन्दर -भावपूर्ण प्रस्तुति - स्तुति .
बधाई .
वागीश अर्थात वाक् + ईश .
जवाब देंहटाएंवाणी का स्वामी .
प्रखर वक्ता
माँ सरस्वती जी को इसीलिए वागेश्वरी कहा गया है.
जवाब देंहटाएंbahut sundar dohay//
जवाब देंहटाएंमाँ शारदे को नमन
जवाब देंहटाएंसुन्दर दोहे, सर,
सादर
bahut sundar vandna...babu ji...aabhar
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सरस्वती वंदना आभार
जवाब देंहटाएंसमय मिले तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है। आपको और आपके सम्पूर्ण परिवार को हम सब कि और से नवरात्र कि हार्दिक शुभकामनायें...
.http://mhare-anubhav.blogspot.com/