हिन्दी भाषा का दिवस, बना दिखावा आज। अंग्रेजी रँग में रँगा, पूरा देश-समाज।१। हिन्दी-डे कहने लगे, अंग्रेजी के भक्त। निज भाषा से हो रहे, अपने लोग विरक्त।२। बिन श्रद्धा के आज हम, मना रहे हैं श्राद्ध। घर-घर बढ़ती जा रही, अंग्रेजी निर्बाध।३। लेकिन आशा है मुझे, आयेगा शुभप्रात। जब भारत में बढ़ेगा, हिन्दी का अनुपात।४। देखें कब तक रहेगी, अपनी भाषा मौन। सन्तों की आवाज को, दबा सका है कौन?।५। |
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गुरुवार, 15 सितंबर 2011
"हिन्दी-डे कहने लगे" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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अंग्रेजी रँग में रँगा, पूरा देश-समाज\
जवाब देंहटाएंyah bilkul sacha kaha aap ne
bahut sundar
pangtiya
हिन्दी-डे कहने लगे, अंग्रेजी के भक्त।
जवाब देंहटाएंनिज भाषा से हो रहे, अपने लोग विरक्त।२।....
सही कहा आप ने ...सुन्दर ..
बहुत खूब कहा ।
जवाब देंहटाएंझूठ की दुनिया में झूठे लोग दिखावे से ज़्यादा कर भी नहीं सकते ।
आपकी हिंदी सेवा मन को भाती है , राह दिखाती है ।
नगर भास्कर अब सिटी भास्कर हो गया है
जवाब देंहटाएंहिंदी नही भाषाओं का अखाड़ा हो गया है
आज के हालात का सटीक चित्रण किया है…………बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंumeed par hi dunia kayam hai.
जवाब देंहटाएंयह सच नहीं है।
जवाब देंहटाएंदेखें कब तक रहेगी, अपनी भाषा मौन।
जवाब देंहटाएंसन्तों की आवाज को, दबा सका है कौन?
karara vyangya hai aaj ke pahlu per......
sarthak rachna ke liye aapko koti koti badhai .....aabhar
रचना का उद्देश्य और भाव दोनों अच्छे हैं किन्तु यदि दोहे लिखते हैं तो मात्राओं का भी ध्यान रखना आवश्यक है
जवाब देंहटाएंअब पहला दोहा ही देखिये
हिन्दी भाषा का दिवस, बना दिखावा आज। मात्राएँ- १३, ११
अंग्रेजी रँग में रँगा, पूरा देश-समाज।१। मात्राएँ- १५, ११
आशा करता हूँ कि आप मेरे सुझाव को खुले ह्रदय से स्वीकारेंगे व इसे अन्यथा नहीं लेंगे... धन्यवाद...
सुमित जी!
जवाब देंहटाएंआप मात्राएँ गिनना जानते हैं क्या?
चन्द्रबिन्दु को भी मात्रा में शामिल कर लिया!
धन्य है आपका मात्रा ज्ञान!
सौफी सदी सच है बात ... पूरा देश अंग्रेजी के रंग में रंग हुवा है आज ... खाना पूर्ती है हिंदी दिवस ...
जवाब देंहटाएंसुंदर दोहे
जवाब देंहटाएंकौआ चला हंस की चाल , अपनी भी भूल बैठा
------हिंदी डे मनाने वालों की यही स्थिति है , वे न अंग्रेजी जान पाते हैं न हिंदी
लेकिन आशा है मुझे, आयेगा शुभप्रात।
जब भारत में बढ़ेगा, हिन्दी का अनुपात।४।
आपकी इस आशावादी सोच को सलाम
हिंदी की दुर्दशा और उसके लिए उत्तरदायी हैं हम बहुत सुन्दर रचना आपकी
जवाब देंहटाएंहिन्दी बिना हिन्दुस्तान नहीं।
जवाब देंहटाएंदेखें कब तक रहेगी, अपनी भाषा मौन।
जवाब देंहटाएंसन्तों की आवाज को, दबा सका है कौन?।५।
इन दो पंक्तियों में जो शक्ति है, हिन्दी दिवस के अवसर पर दिए गए भाषण और लिखे गए बड़े-बड़े लेखों में भी नहीं मिला मुझे।
आपकी हिंदी सेवा मन को भाती है , राह दिखाती है ।
जवाब देंहटाएंदेखें कब तक रहेगी, अपनी भाषा मौन।
जवाब देंहटाएंसन्तों की आवाज को, दबा सका है कौन?
सुन्दर दोहे ।
हिंदी के भविष्य के लिए शुभकामनायें ।
सन्नाट व्यंग मारा है।
जवाब देंहटाएंअतयंत सटीक रचना.
जवाब देंहटाएंरामराम.
हिंदी को छोड अंग्रेजी को अपना रहे हैं ,हिन्दुतान को अन्ग्रजिस्तान बना रहे हैं /बहुत ही सुंदर कविता हिंदी भाषा पर /बहुत बधाई आपको /
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आने के लिए शुक्रिया /आशा है आगे भी आपका आशीर्वाद मेरी रचनाओं को मिलता रहेगा /
aadrniy isr
जवाब देंहटाएंsarv pratham main maffi chahungi kimain hindi writer kharaab oone ki vajah se roman me aapko likh rahi hun.
लेकिन आशा है मुझे, आयेगा शुभप्रात।
जब भारत में बढ़ेगा, हिन्दी का अनुपात।४।
hindi hamari matri bhashha hai par aaj kal to vah bhi sab days ki tarah hi ho gai hai.
bahut hi sateek v vyngatama se purn hai aapki ye rachna
sadar naman
poonam
देखें कब तक रहेगी, अपनी भाषा मौन।
जवाब देंहटाएंसन्तों की आवाज को, दबा सका है कौन?।५
सटीक कहा है ... एक दिन हिंदी सर्वोपरी होगी ...सुन्दर अभिव्यक्ति
हिन्दी-डे कहने लगे, अंग्रेजी के भक्त।
जवाब देंहटाएंनिज भाषा से हो रहे, अपने लोग विरक्त
बहुत सही धोया है आपने
यही कामना हमारी भी है.
जवाब देंहटाएंबेनामी नहीं भारतीय नागरिक ने कहा.
जवाब देंहटाएंlaajabab likha hai.
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