सुलगते प्यार में, महकी हवाएँ आने वाली हैं।
दिल-ए-बीमार को, देने दवाएँ आने वाली हैं।।
चटककर खिल गईं
कलियाँ,
महक से भर गईं
गलियाँ,
सुमन की सूनी घाटी
में, सदाएँ आने वाली
है।
दिल-ए-बीमार को, देने दवाएँ आने वाली हैं।।
चहकने लग गई कोयल,
सुहाने हो गये हैं
पल,
नवेली कोपलों में, अब अदाएँ आने वाली हैं।
दिल-ए-बीमार को, देने दवाएँ आने वाली हैं।।
जवानी गीत है
अनुपम,
भरे इसमें हजारों
खम,
सुधा रसधार बरसाने, घटाएँ आने वाली हैं।
दिल-ए-बीमार को, देने दवाएँ आने वाली हैं।।
दिवस है प्यार
करने का,
नही इज़हार करने
का,
करोगे इश्क सच्चा
तो, दुआएँ आने वाली
हैं।
दिल-ए-बीमार को, देने दवाएँ आने वाली हैं।।
|
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गुरुवार, 31 जनवरी 2013
“महकी हवाएँ” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)
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वसंत के आने की आहट मिलने लगी है..सुंदर चित्र, भावपूर्ण कविता..
जवाब देंहटाएंहम भी ठंडी हवाओं की प्रतीक्षा मे हैं।
जवाब देंहटाएंबसंत की दस्तक का एहसास दिलाती रचना ...
जवाब देंहटाएं~सादर !!!
ग़मों को एक ही झटके में काफी दूर करती हैं....
जवाब देंहटाएंयहाँ आने को हर एक पंक्तियाँ मजबूर करती हैं...
आदरणीय सर इतनी सुन्दरता के साथ लिखा है कि पढ़कर तरोताजा हो गया हूँ. जितनी दफा पढ़ता हूँ उतना ही आनंद और खुशबू आती है. हार्दिक बधाई स्वीकारें.
सादर
.सुंदर एहसास ,भावपूर्ण रचना**** दिवस है प्यार करने का,
जवाब देंहटाएंनही इज़हार करने का,
करोगे इश्क सच्चा तो, दुआएँ आने वाली हैं।
दिल-ए-बीमार को, देने दवाएँ आने वाली हैं।।
वाह ... बहुत ही अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार सहित
सादर
भावपूर्ण !
जवाब देंहटाएंबहुत ही खुबसूरत ख्यालो से रची रचना......
जवाब देंहटाएंबसंत का स्वागत सुन्दर शब्दों से हो रहा है, वाह, आनन्दमय।
जवाब देंहटाएंfaagun aane waalaa hai, basantee bayaar kaa intajaar hai, sundar rachanaa.
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावों से सजी रचना
जवाब देंहटाएंबसंत की आहट...अच्छी लगी
जवाब देंहटाएंआ रहे ऋतुराज बसंत का सुंदर चित्रण |
जवाब देंहटाएंमनमोहक करती रचना
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति नसीब सभ्रवाल से प्रेरणा लें भारत से पलायन करने वाले
जवाब देंहटाएंआप भी जाने मानवाधिकार व् कानून :क्या अपराधियों के लिए ही बने हैं ?
एक तरोताज़ा रचना के लिए धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबढिया है जी।
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावों से सजी मनभावन रचना
New postअनुभूति : चाल,चलन,चरित्र
New post तुम ही हो दामिनी।
बहुत बढ़िया . यही तो जीवन का बसंत है ..
जवाब देंहटाएंप्रेम दिवस का मौक़ा है -ख्श्बू बनके वह गुलाब देने वाली है .....
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