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Wah!kya kahane ise kahate hai ek panth do kaaj :)
जवाब देंहटाएंhttp://kavyamanjusha.blogspot.com/
नसीहत भरे दोहे
जवाब देंहटाएंवाकई ऋतुराज के आगमन से सही गलत की परख का ह्रास हो जाता है फिर सावधानी जरूरी है.
तोता-तोती पर चढ़ा, प्रेम-दिवस का रंग।
जवाब देंहटाएंदोनों ही सहला रहे, इक-दूजे के अंग।।
वाह! बहुत खूब..... प्रेम दिवस पर सुंदर सन्देश के साथ.....यह रचना बहुत अच्छी लगी....
हर मौसम ऋतुराज है, होता आदि न अन्त।।
जवाब देंहटाएंnice
बहुत सुन्दर दोहे हैं बधाई। अब तो रंगों का त्यौहार भी आ रहा है....
जवाब देंहटाएंप्रेम भी सन्देश भी ...बहुत सुंदर दोहे हैं
जवाब देंहटाएंबेहतरीन। हर दोहे लाजवाब।
जवाब देंहटाएंsir,main to fida ho gayi :)
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंरामराम.
bahut he badhiyaa ji....
जवाब देंहटाएंवाह....बहुत ज़बरदस्त दोहे....प्रेम कि पींगें बढ़ाने कि अच्छी सीख देते हुए....
जवाब देंहटाएंek baar rachna mil jaaye padhne ko aapki...
जवाब देंहटाएंaanand ki to garanti hai...
waah waah !
लाख टेक की बात ...
जवाब देंहटाएंदिल-दिल से मिल जाये जब, समझो तभी बसन्त ...!!
सुन्दर , जब कोई दो बोल प्यार के कह दे, हमारे लिए तो तभी वसंत होता है शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दरता से प्रेम सन्देश दिया है आपने ख़ूबसूरत दोहे के साथ! इस बेहतरीन पोस्ट के लिए बधाई!
जवाब देंहटाएंwaah waah ........kin shabdon mein tarif karoon..........aaj to gabab kar diya har doha prem sandesh bhi de raha hai aur samjha bhi raha.........bahut hi lajawaab dohe.
जवाब देंहटाएंसुन्दर संदेश. आपका जबाव नहीं. धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंदिल-दिल से मिल जाये जब, समझो तभी बसन्त।
जवाब देंहटाएंहर मौसम ऋतुराज है, होता आदि न अन्त।।
ईश्वर से प्रार्थना है कि प्रेम को आवश्यक फैशन मानने वाले हर एक को आपकी ये बातें समझ में आयें और याद भी रहें...
हमेशा कि भांति सार्थक सुन्दर समसामयिक रचना..
सच कहा आपने प्रेम तो शाश्वत रहता है जो हमेशा बना रहता है। उसके लिए किसी ॠतु की आवश्कता नहीं है।
जवाब देंहटाएंye to kavita bhi hai aur ek sandesh bhee.. bahut khoob..
जवाब देंहटाएंदोहे ये अच्छे लगे, मन को मिला अनंत!
जवाब देंहटाएंमन अनंत से देखता, आया मधुर वसंत!
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संपादक : सरस पायस
अस्पताल से थकी हुई आई थी। पर आपकी ईस रचना ने मानो सारी थकावट दूर कर दी। वाह भाई क्या कहने ये है ना सारे मर्ज़ की दवाई "हास्य"
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