“गली-गाँव में धूम मची है…..”
गली-गाँव में धूम मची है, फागों और फुहारों की।।
मन में रंग-तरंग सजी है, होली के हुलियारों की।। गेहूँ पर छा गयीं बालियाँ, नूतन रंग में रंगीं डालियाँ, गूँज सुनाई देती हमको, बम-भोले के नारों की।। मुदित हो रहा सबका मन है, चहल-पहल फिर से लौटी है, घर - आँगन, बाजारों की।। जंगल की चूनर धानी है, कोयल की मीठी बानी है, परिवेशों में सुन्दरता है, दुल्हिन के श्रंगारों की।। होली लेकर, फागुन आया,
मीठी-हँसी, ठिठोली लाया, सावन जैसी झड़ी लगी है, प्रेम-प्रीत, मनुहारों की।।
गली-गाँव में, धूम मची है, फागों और फुहारों की।। मन में रंग-तरंग सजी है, होली के हुलियारों की।। (चित्र गूगल सर्च से साभार) |
Bahut hi Sundar geet ...man prfulltit ho gaya!!
जवाब देंहटाएंAabhar
http://kavyamanjusha.blogspot.com/
मन में रंग-तरंग सजी है,
जवाब देंहटाएंहोली के हुलियारों की.nice
इस गीत में चित्रात्मकता बहुत है। आपने बिम्बों से ही नहीं सुंदर-सजीव चित्रों से भी इसे सजाया है।
जवाब देंहटाएंफाल्गुन आया , प्रकृति ने खुद को रंगों से सजाया ,और आपकी रचना ने अबीर के रंग बिखेर दिए.....बहुत सुन्दर गीत..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन...फागुनी बयार दिख रही है हर तरफ!
जवाब देंहटाएंवाह होली आने से पहले ही होली का गीत। बहुत ही नायाब बन पड़ा है बधाई।
जवाब देंहटाएंguru ji pranaam....
जवाब देंहटाएंaapne yaadein taaza kar dee jab hum apne ghar mein hua karte thay aur dosto ke saath in sabhi tyohaaron ko manaaya karte thay....
aajkal to rozi roti ke chakkaron mein ghar se bahar rehna padta hai....
bahut yaad aati hain wo yaadein suhaani...
waah waah........holi ke rangon se sarabore kavita.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना.
जवाब देंहटाएंरामराम.
चित्र भी गीत की तरह ही खूबसूरत हैं.
जवाब देंहटाएंhamesha ki tarah ..badhiya
जवाब देंहटाएंअरे वाह पूरे ब्लॉग पर फागुन छा गया हो जैसे..बहुत सुन्दर.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंइसे 13.02.10 की चिट्ठा चर्चा (सुबह ०६ बजे) में शामिल किया गया है।
http://chitthacharcha.blogspot.com/