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बहुत सुंदर गीत .. आई होली रे !!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर गीत, शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
खूबसूरत फाल्गुन गीत....
जवाब देंहटाएंaapne to holi ke rang bikher diye.. :)
जवाब देंहटाएंholi ki mubaarakbaad kubool karein advance mein hee...
जवाब देंहटाएंbahut hi badhiya holi ka geet......badhayi.
जवाब देंहटाएंआपने होली के र्म्ग में अभी से सराबोर कर दिया.
जवाब देंहटाएंताऊ ने मेरी फोटो क्यों छाप रखी है अपने नाम के आगे :)
मयंक जी,
जवाब देंहटाएंगीत ने पुरानी यादें, माहौल और वह समय याद दिला दिया जब सब कुछ निश्छल होता था। लगता नहीं कि अब वह सरलता, आपसी प्रेम-प्यार तिरोहित हो मतलबीपने को जगह देता जा रहा हो।
इस बार होली पर पुणे में है देखो वहाँ कैसे मनाते हैं होली? इस बार पुणे में बम विस्फोट भी हुआ है तो शायद ही कोई होली मनाए। लेकिन आपका गीत गाकर ही होली मना ली जाएगी।
जवाब देंहटाएंइसे देख मेरा भी अभी रंग मलने का दिल कर रहा है, शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर होली गीत.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर गीत .. आई होली रे !!
जवाब देंहटाएंआभार
फूलों के हार लेकर, आ गई होली!
जवाब देंहटाएंयहाँ आ गई, तो समझो शुरू हो ली!
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कह रहीं बालियाँ गेहूँ की - "वसंत फिर आता है - मेरे लिए,
नवसुर में कोयल गाता है - मीठा-मीठा-मीठा! "
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संपादक : सरस पायस
रवि जी!
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर सबसे पहले त्योहार सजते हैं और अन्त तक बने रहते हैं!
nice
जवाब देंहटाएंआओ यारों. खुशियाँ मनाओ,
जवाब देंहटाएंदेखो आई है होली,
रंग , अबीर, गुलाल,
चारों ओर
देखो आई है होली...
खील, बतासे,
और गुझिया
हम तो शास्त्री जी के साथ खायेंगे...
और बनायेंगे रंगोली,
देखो आई है होली.
आपकी यह कविता बहुत अच्छी लगी .....
आपको होली की बहुत बहुत शुभकामनाएं....
बहुत सुन्दर होली गीत! बधाई!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर, आप ने भुली बिसरी यादे याद दिला दी इन चित्रो के मध्यम से, धन्यवाद
जवाब देंहटाएंनिर्मल रसधार लेकर,
जवाब देंहटाएंफूलों के हार लेकर,
आई होली, आई होली,
आई होली रे ...
राम राम शास्त्री जी .... होली की बहार दिख रही है ब्लॉग पर आज ....... बहुत लाजवाब रचना है ... मन झूम रहा है ...