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खिलखिलाता इन्हीं की बदौलत सुमन.nice
जवाब देंहटाएंकर रहे जड़-जगत पर ये उपकार हैं,
जवाब देंहटाएंवन सभी के लिए मुफ्त उपहार हैं॥
वाह बहुत सुन्दर पंक्तियाँ! पेड़ पौधे हैं इसलिए हम सब जीवित है पर देखा जाये तो आजकल चारों ओर कांक्रीट का जंगल दिखाई देता है! पर अब तो ज़्यादातर पेड़ पौधे काट दिए जाते हैं और ऊँची इमारतें बनाई जाती है!
शानदार : बहुत प्रेरक संदेश
जवाब देंहटाएंदे रहा है - यह गीत!
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कह रहीं बालियाँ गेहूँ की - "वसंत फिर आता है - मेरे लिए,
नवसुर में कोयल गाता है - मीठा-मीठा-मीठा! "
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संपादक : सरस पायस
bahut hi prerak sandesh diya hai bas insaan ko hi ye baat samajh nhi aati.
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी बहुत ही बढ़िया कविता. इस कविता की प्रत्येक लाइन कुछ ना कुछ सन्देश डे रही है. इसलिए सोच रहा हूँ की किस पंक्ति की तारिक करूँ और किस को छोड़ दूँ. बावजूद इसके आपके भावो को जो शब्द मिले है उसके लिए आप बधाई के पात्र है. आपको भी पता है की मैं भी ऐसे ही कुछ भावो से गुफ्तगू करता रहता हूँ.
जवाब देंहटाएंwww.gooftgu.blogspot.com
बहुत प्रेरक प्रसग, शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
सत्य वचन. पेड़ पौधे अमूल्य उपहार हैं. हम लोग ही इनकी वकत नहीं समझते.
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी ओर प्रेरक देने वाली आप की यह रचना.धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर, हमेशा की तरह प्रेरणा देती हुई रचना.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव .... प्रेरक रचना ...आभार
जवाब देंहटाएंवनों के महत्त्व को बहुत खूबसूरती से लिखा है..सुन्दर रचना..पर्यावरण के प्रति जागरूक करती हुई...
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव के साथ...बहुत सुंदर कविता....
जवाब देंहटाएंकर रहे जड़-जगत पर ये उपकार हैं,
जवाब देंहटाएंवन सभी के लिए मुफ्त उपहार हैं,
रोग और शोक का होता इनसे शमन!
सच कहा है शास्त्री जी .. ये बस देना जानते हैं .. इनकी रक्षा सबको करनी है ...
very good....
जवाब देंहटाएंदूत हैं ये धरा के हमारे लिए,
जवाब देंहटाएंजी रहे पेड़-पौधे हमारे लिए,
जी रहे हम इनके कारण ही ....
जवाब देंहटाएंप्रकृति को समर्पित बहुत प्रेरक रचना ....!!