गली-गली में कृष्ण-कन्हैया, खेल रहे हैं जम कर होली! रंगों का मौसम आया है, थिरक रही है हँसी ठिठोली!! राधारानी ओढ़ चुनरिया, ढूँढ रही श्यामल साँवरिया, नटवर-नागर मन भाया है, चहक रही है दामन-चोली! करते हैं सब हँसी ठिठोली!! चन्दा हँसता नील-गगन में, धवल चाँदनी है आँगन में, सुमन चमन में मुस्काया है, सजी हुई सुन्दर रंगोली! थिरक रही है हँसी ठिठोली!! मनमोहक मदमस्त नजारे, नेह जगाती हैं बौछारें, कोयल ने गाना गाया है, अच्छी लगती मीठी बोली! थिरक रही है हँसी ठिठोली!! भेद-भाव का भूत भगा दो, प्रेम-प्रीत की अलख जगा दो, होली ने यह सिखलाया है, आओ बनाएँ अपनी टोली! थिरक रही है हँसी ठिठोली!! (चित्र काव्य-तरंग से साभार) |
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शनिवार, 27 फ़रवरी 2010
“रंगों का मौसम आया है” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)
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ham bhI sarabOr ho gaye aapki kavita ke rangon me.
जवाब देंहटाएंरंगों का मौसम आया है
जवाब देंहटाएंरंगकामनाएं साथ लाया है।
बहुत सुन्दर होली गीत । रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें ।
जवाब देंहटाएंhappy holi!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया गीत!!
जवाब देंहटाएंये रंग भरा त्यौहार, चलो हम होली खेलें
प्रीत की बहे बयार, चलो हम होली खेलें.
पाले जितने द्वेष, चलो उनको बिसरा दें,
गले लगा लो यार, चलो हम होली खेलें.
आप एवं आपके परिवार को होली मुबारक.
-समीर लाल ’समीर’
आपको होली पर्व की घणी रामराम.
जवाब देंहटाएंरामराम
भेद-भाव का भूत भगा दो,
जवाब देंहटाएंप्रेम-प्रीत की अलख जगा दो,
बहुत सुन्दर
होली की हार्दिक शुभकामना और बधाई
Bahut sundar likha sir.. ise awaz bhi den.
जवाब देंहटाएंइस बार रंग लगाना तो.. ऐसा रंग लगाना.. के ताउम्र ना छूटे..
ना हिन्दू पहिचाना जाये ना मुसलमाँ.. ऐसा रंग लगाना..
लहू का रंग तो अन्दर ही रह जाता है.. जब तक पहचाना जाये सड़कों पे बह जाता है..
कोई बाहर का पक्का रंग लगाना..
के बस इंसां पहचाना जाये.. ना हिन्दू पहचाना जाये..
ना मुसलमाँ पहचाना जाये.. बस इंसां पहचाना जाये..
इस बार.. ऐसा रंग लगाना...
(और आज पहली बार ब्लॉग पर बुला रहा हूँ.. शायद आपकी भी टांग खींची हो मैंने होली में..)
होली की उतनी शुभ कामनाएं जितनी मैंने और आपने मिलके भी ना बांटी हों...
BAHUT SUNDAR GEET........HAPPY HOLI.
जवाब देंहटाएंहोली के पावन अवसर पर लाजवाब प्रस्तुति , आपको होली की बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकानायें ।
जवाब देंहटाएंहोली की बहुत-बहुत शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंआपको और आपके परिवार को होली पर्व की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंभेद-भाव का भूत भगा दो,
जवाब देंहटाएंप्रेम-प्रीत की अलख जगा दो,
होली ने यह सिखलाया है,
आओ बनाएँ अपनी टोली!
थिरक रही है हँसी ठिठोली!!
सुन्दर सन्देश की सपरिवार हार्दिक शुभकामनायें
खूबसूरत होली गीत!
जवाब देंहटाएंआपको सपरिवार होली की बहुत बहुत शुभकामनाएं
भेद-भाव का भूत भगा दो,
जवाब देंहटाएंप्रेम-प्रीत की अलख जगा दो,
होली ने यह सिखलाया है,
आओ बनाएँ अपनी टोली!
थिरक रही है हँसी ठिठोली!!
bahut badhiya holi geet...thirka dene par mazboor karta hua. badhayi.
holi ki shubhkaamnaye.
बहुत बढ़िया प्रस्तुति, रंग उत्सव होली की शुभकामनाये ....
जवाब देंहटाएंहोली की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंडॉ० साहब! होली के अवसर पर आपकी रचना को पढ़ कर बड़ा आनन्द आया। रंग-पर्व पर आप और आपका परिवार हर्ष और उल्लास से सराबोर हो!
जवाब देंहटाएं-डॉ० डंडा लखनवी
सुन्दर गीत है । आपको रंगपर्व की शुभकामनायें ।
जवाब देंहटाएं