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ओह! मुँह में तो पानी आ गया है..... मगर पांच का दिन इंतज़ार तो करना ही पड़ेगा ना..... इतना सब कुछ खाने के लिए....
जवाब देंहटाएंUff! kitana lalchaya aapane ...lekin aapki rachana ki mithas tript kar gai1
जवाब देंहटाएंAabhar
इतने सुंदर पिक्चर .. इतनी अच्छी कविता .. गजब की पोस्ट !!
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी-
जवाब देंहटाएंहोली के बाद खटीमा पहुचना ही पड़ेगा।
आपने इतना सारा सामान जो दिखा दिया।
रचना के साथ मिठाई।
पहली बार आपने खि्लाई।
आपको ढेर सारी बधाई।
शास्त्री जी, ये मिठाईयाँ, समोसे कचौडी मेल से भेजने की भी व्यवस्था है क्या ? :-)
जवाब देंहटाएंबेहतरीन। लाजवाब।
जवाब देंहटाएंआप तो ललचा रहें हैं गुरुवर.
जवाब देंहटाएंsach much ki aisi mithayiyan kahan milti hai ..chitr hi anand ka karan ban gaye ...dhnywad..
जवाब देंहटाएंआपने तो सारी सजी धजी मिठाई दिखा कर ललचा ही दिया....बहुत सुन्दर गीत और मिठाईयां भी....होली की शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंholi ke saare rang yahin bikhrne lage hai...itna jordar swagat :)
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी क्यो तडपा रहे है जी, इन सब के चार चार पीस हमे भी भेज दो खा कर बतायेगे, ओर हां थोडा थोडा गुलाल भी भेज दे.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
आपने तो थाल सजा कर मन ललचवा दिया. समस्या यह है कि थाल सिर्फ़ दिखावटी है और घर वाले खाने नही देंगे.:)
जवाब देंहटाएंरामराम.
tayar rakhiyega shastri ji..
जवाब देंहटाएंaapke ghar aa ke yehi khaana hai maine...
बहुत जोरों की लालच लग आई..होली मुबारक!
जवाब देंहटाएंआ हा हा हा,
जवाब देंहटाएंITNE SUNDAR CHITRA LAGAYE HAIN KI DEKHTE HI MOONH MEIN PANI AA GAYA HAI AUR UTNI HI ROCHAK KAVITA LIKHI HAI.........BAS HOLI KA INTZAAR HAI.
जवाब देंहटाएंफागुन सबके मन भाया है!
जवाब देंहटाएंहोली का मौसम आया है!!
आपके द्वारा सजाए गए
जवाब देंहटाएंसुंदरतम् बालगीतों में सबसे सुंदर!
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मिलने का मौसम आया है!
"रंग" और "रँग" में से किसमें डूबें?
हो... हो... होली है!
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संपादक : सरस पायस
स्वादिस्ट ,होलियाना पोस्ट
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