प्राची गुझिया बना रही है, दादी पूड़ी बेल रही है। कभी-कभी पिचकारी लेकर, रंगों से वह खेल रही है।। तलने की आशा में आतुर गुझियों की है लगी कतार। घर-घर में खुशियाँ उतरी हैं, होली का आया त्यौहार।। मम्मी जी दे दो खाने को, गुझिया-मठरी का उपहार। सजता प्राची के नयनों में, मिष्ठानों का मधु-संसार।। सजे-धजे हैं बहुत शान से मीठे-मीठे शक्करपारे। कोई पीला, कोई गुलाबी, आँखों को ये लगते प्यारे।। होली का अवकाश पड़ गया, दही-बड़े कल बन जायेगें। चटकारे ले-लेकर इनको, बड़े मजे से हम खायेंगे।। |
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शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2010
“होली का आया त्यौहार” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)
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बहुत ही सुंदरतम बालगीत...होली की हार्दिक शुभकामनाएँ.....सादर।।। चित्र और रचना अद्भुत समंजन।
जवाब देंहटाएंbahut sundar baal geet.
जवाब देंहटाएंअरे गुरु जी कुछ खिलाएंगे भी,ऐसे ही तरसायेंगे .
जवाब देंहटाएंखूबसूरत सचित्र पोस्ट.
वाह ,बहुत सुन्दर कविता और चित्र तो गज़ब के हैं....देख कर ही मज़ा आ गया...और मुंह में पानी भी..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गीत है तस्वीरें देख कर लगता है अब आना ही पडेगा। भाभी जी से कहें तैयार रहें खूब खातिरदारी करवाऊँगी। होली की आप सब को बहुत बहुत शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविता उत्तम चित्रों संग !
जवाब देंहटाएंखटीमा पहुंचते हैं.
जवाब देंहटाएंBahut sundar ,chitro ne jaan fuunk di aur ji man bhi lalachaya....!
जवाब देंहटाएंAabhar
लगता है अब आना ही पडेगा. आप ललचा रहे हैं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
आप तो रोज रोज हमे ललचाने लगे है जी... कही ऎसा ना हो कि हमारा सब्र टुट जाये ओर हम बोरी बिस्तर समेत पहुच जाये आप के चरणो मै ओर फ़िर जी भर कर खाये यह सब मिठाई.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
मैं तो ये सारे पकवान चख भी चुका हूँ!
जवाब देंहटाएंसचमुच बहुत स्वादिष्ट!
आप भी जाइए!
वहाँ तो लगातार बन रहे हैं!
मयंक जी की रचनाओं की तरह!
खाए जाओ, खाए जाओ,
भाभी जी के गुण गाए जाओ!
--
मिलने का मौसम आया है!
"रंग" और "रँग" में से किसमें डूबें?
हो... हो... होली है!
--
संपादक : सरस पायस
भई वाह सरस कविता और सरस पक्वान्न।
जवाब देंहटाएंआह, वाह यम यम...
आनन्द आ गया!
जवाब देंहटाएंआप एवं आपके परिवार को होली मुबारक.
वाह शास्त्री जी वाकई मुंह में पानी ला दिया महाराज !
जवाब देंहटाएंआप और आपके परिवार को होली की शुभकामनाएँ...
जवाब देंहटाएंwah holi ke tyauhaar ka samast gharelu vatavaran aur mithaiyon ka mel , bahut khoob, .............holi ki mangalkaamnayen.
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्यारी और सुन्दर बालगीत लिखा है आपने ख़ूबसूरत चित्रों के साथ! मिठाई देखकर तो मुँह में पानी आ गया!
जवाब देंहटाएंएक प्लेट वो भी गुझियों वाली मेरी है. कोई नहीं खायेगा
जवाब देंहटाएंआपको व आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनाएँ
yahan bhi bhijwaa dijiye
जवाब देंहटाएं