तुम मनको पढ़कर देखो तो! कुछ आगे बढ़कर देखो तो!! चन्दा है और चकोरी भी, रेशम की सुन्दर डोरी भी, सपनों में चढ़कर देखो तो- कुछ आगे बढ़कर देखो तो!! कुछ छन्द अधूरे से होंगे, अनुबन्ध अधूरे से होंगे, तुम आगे गढ़कर देखो तो! कुछ आगे बढ़कर देखो तो!! सागर से मोती चुन लेना, माला को फिर से बुन लेना, लहरों से लड़कर देखो तो! कुछ आगे बढ़कर देखो तो!! |
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रविवार, 27 जून 2010
"कुछ आगे बढ़कर देखो तो!” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)
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जवाब देंहटाएंकुछ छन्द अधूरे से होंगे,
जवाब देंहटाएंअनुबन्ध अधूरे से होंगे,
तुम आगे गढ़कर देखो तो!
कुछ आगे बढ़कर देखो तो!!
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ....प्रेरणादायक रचना
प्रेरणादायी पंक्तियां।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति……………प्रेरक रचना।
जवाब देंहटाएंकुछ छन्द अधूरे से होंगे,
जवाब देंहटाएंअनुबन्ध अधूरे से होंगे,
तुम आगे गढ़कर देखो तो!
कुछ आगे बढ़कर देखो तो!!
आस्था और आशावादिता से भरपूर स्वर इस कविता में मुखरित हुए हैं।
बहुत सु8न्दर प्रेरक कविता है। आपकी कविताओं मे कुछ न कुछ सन्देश हमेशा छुपा रहता है। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंलहरों से लड़कर देखो तो!
जवाब देंहटाएंकुछ आगे बढ़कर देखो तो!!
आह्वान करती यह रचना बहुत खूबसूरत है
सागर से मोती चुन लेना,
जवाब देंहटाएंमाला को फिर से बुन लेना,
लहरों से लड़कर देखो तो!
कुछ आगे बढ़कर देखो तो!!
बहुत खूब !!
प्रेरणादायक रचना के लिए आपको बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना ...अब तो आपका पेज इन्टरनेट एक्सप्लोरर में खुल रहा है , पहले मुश्किल देता था ....
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत प्रेरणादायी पंक्तियाँ.
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