कोई फूलों का प्रेमी है, कोई कलियों का दीवाना! मगर हम उसके आशिक हैं, वतन का हो जो परवाना!! जवाँमर्दी उसी की है, जो रक्खे आग को दिल मे, हमारी शान का परचम था, ऊधम सिंह वो मरदाना! मुमताजमहल लाखों देंगे, बदले में एक पद्मिनी के, निज आन-बान की रक्षा को, देना प्रताप सा महाराणा! धारण त्रिशूल कर, दुर्गा बन, रिपु-दमन कला में, हे माता! पारंगत मुझको कर जाना! |
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बुधवार, 30 जून 2010
“ग़ज़ल में प्रार्थना” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)
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lलाजवाब आपकी कलम को सलाम।अभार्
जवाब देंहटाएंवाकई लाजवाब रचना भाई जी ...निर्मला जी के कथन से सहमत हूँ ! हार्दिक शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंमाँ सरस्वती वीणा रखकर,
जवाब देंहटाएंधारण त्रिशूल कर, दुर्गा बन,
रिपु-दमन कला में, हे माता!
पारंगत मुझको कर जाना!
वाह!!!!
क्या बात है,
जब मां भारती का आह्वान होता है,तो
कवि कलमें गलाकर,तलवारें बनाते हैं
बहुत ही प्यारी ओर देश प्रेम से ओत प्रोत लगी आप की यह सुंदर कविता. धन्यवाद
जवाब देंहटाएंवाकई लाजवाब रचना भाई जी ...निर्मला जी के कथन से सहमत हूँ ! हार्दिक शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंdesh prem ka chitran dil ko chhune layak hai...........sir!!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब कहा आपने, देशप्रेम की यह रचना दिल को अभिभूत करती हुई ।
जवाब देंहटाएंदेशभक्ति से ओत प्रोत सुन्दर रचना ..
जवाब देंहटाएंलाजबाब ....देशप्रेम से ओतप्रोत कविता.
जवाब देंहटाएंमन को छू गयी आपकी कविता, शास्त्री जी बधाई स्वीकारें।
जवाब देंहटाएं---------
किसने कहा पढ़े-लिखे ज़्यादा समझदार होते हैं?
आपकी लाजवाब कलम को भतीजे का सलाम। पढ़कर मजा आ गया।
जवाब देंहटाएंकठिनतम से कठिनतम विषय को सरल तरीके से प्रस्तुत करना कोई आपसे सीखे।
आपकी कलम को सलाम..... बहुत सुंदर रचना...
जवाब देंहटाएंvaah ji vaah......kya gazab ki kavita likhi hai.
जवाब देंहटाएंनिशब्द कर देते हैं आप...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया रचना..शास्त्री जी सुंदर रचना के लिए बधाई
जवाब देंहटाएंयही रचनात्मकता विसंगतियों से लेती लोहा है।
जवाब देंहटाएंआपकी लेखनी ने हजारों का मन मोहा है ॥
आपको बधाई....सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी
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aafareen....umdaa...bemisaal!
जवाब देंहटाएंदेश-भक्ति मे पगी बहुत सुंदर रचना भाईसाहब...!! वन्दे मातरम
जवाब देंहटाएंsachmuch khoob bhavatmak,sundar aur jeevan men kam aane wali.... aap ki kalam men to jadu hai
जवाब देंहटाएं