(चित्र गूगल छवियों से साभार) हमने कितने बसन्त देखें हैं खिलते गुंचों के अन्त देखे हैं जो तरसते हैं शब्द बनने को अक्षरों में हलन्त देखे हैं ऐश करते हैं जो फ़कीरी में हमने ऐसे महन्त देखें हैं सत्य की राह दिखाने वाले पथ भटकते से सन्त देखें हैं खुद को माहताब समझने वाले टूटे तारे अनन्त देखें हैं भोली सूरत से जो लुभाते हैं “रूप” ऐसे दिगन्त देखे हैं |
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
मंगलवार, 7 फ़रवरी 2012
"टूटे तारे अनन्त देखें हैं" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि &qu...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
सुबह सुबह एक सुन्दर कविता पढ़कर मन प्रसन्न हो गया.
जवाब देंहटाएंऐश करते हैं जो फ़कीरी में
जवाब देंहटाएंहमने ऐसे महन्त देखें हैं
सत्य की राह दिखाने वाले
पथ भटकते से सन्त देखें हैं
Sateek baat !
सुबह सुबह इतनी सुन्दर कविता पढ़कर आनंद आ गया.
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंkalamdaan.blogspot.in
भोली सूरत से जो लुभाते हैं
जवाब देंहटाएं“रूप” ऐसे दिगन्त देखे हैं
सुंदर प्रस्तुति ....
bahut sundar anubhavon ke shabd dekhe.behtreen rachna.
जवाब देंहटाएंसत्य की राह दिखाने वाले
जवाब देंहटाएंपथ भटकते से सन्त देखें हैं...बहुत सुन्दर सटीक प्रस्तुति..
जो तरसते हैं शब्द बनने को
जवाब देंहटाएंअक्षरों में हलन्त देखे हैं
सत्य की राह दिखाने वाले
पथ भटकते से सन्त देखें हैं
खुद को माहताब समझने वाले
टूटे तारे अनन्त देखें हैं
वाह …………शानदार प्रस्तुतिकरण्।
kavita ki saare gun samaaye hai in shbdkram mein..
जवाब देंहटाएंजो तरसते हैं शब्द बनने को
अक्षरों में हलन्त देखे हैं...waah es pankti ke to kya kahne....
टूटे तारों का विश्व कोई,
जवाब देंहटाएंहम ढूढ़ें सुखद भविष्य कोई।
ऐश करते हैं जो फ़कीरी में
जवाब देंहटाएंहमने ऐसे महन्त देखें हैं
दार्शनिक भाव की रचना कितने पात्र सजीव कर गई .
सुन्दर प्रस्तुति, शानदार रचना ।
जवाब देंहटाएंमेरी नई रचना देखें-
मेरी कविता:आस
बहुत खूब.
जवाब देंहटाएंऐश करते हैं जो फ़कीरी में
जवाब देंहटाएंहमने ऐसे महन्त देखें हैं
सत्य की राह दिखाने वाले
पथ भटकते से सन्त देखें हैं
bahut khoob dadu...
हर लफ्ज़ सच्चाई बयाँ करता हुआ ..... मुबारक कबूल करें!
जवाब देंहटाएंbahut hi achcha likhe hain......
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना।
जवाब देंहटाएं//जो तरसते हैं शब्द बनने को
जवाब देंहटाएंअक्षरों में हलन्त देखे हैं
As always sirji..gazab :)
...जो तरसते हैं शब्द बनने को
जवाब देंहटाएंअक्षरों में हलन्त देखे हैं
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ
bahut sundar , vaaah ...
जवाब देंहटाएंसत्य की राह दिखाने वाले
जवाब देंहटाएंपथ भटकते से सन्त देखें हैं ...
बहुत सुन्दर रचना ... हर छंद सत्य को बयान कर रहा है ...