हमारी आन है टोपी।। बने हैं हंस से उजले, हमारे देश के कौए, गरीबों के निवालों को, झपटने आ गये खौए, इन्हें मालूम है इतना, शराफत का यही परचम, यही पहचान है टोपी। पहन खादी की केंचुलियाँ, बुना है ज़ाल टोपी से, मिली इससे बड़ी कुर्सी, कमाया माल टोपी से, कलंकित हो गया बापू, सियासत के समन्दर में, हुई बदनाम है टोपी। कहाये बोस नेता जी, हमारे देश भारत के, जवाहर-लाल ने धारी, बने सिरमौर भारत के, अगर है पात्रता क़ायम, वतन के कर्णधारों का, बढ़ाती मान है टोपी। सिरों की शान है टोपी। हमारी आन है टोपी।। |
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बुधवार, 8 फ़रवरी 2012
"हुई बदनाम है टोपी" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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जवाब देंहटाएंबचपन में हमने भी खूब उडाये थे !
जवाब देंहटाएंआपने वो गीत फिर याद दिला दिया शास्त्री जी ;
रामचंद्र कह गए सिया से ऐसा कलयुग आयेगा
हंस चुंगेगा दाना-तिनका, कौवा मोती खायेगा !
sach me in netaaon ne khaadi aur topi dono ko badnaam kiya hai.bahut shandar kavita likhi hai.
जवाब देंहटाएंकहाये बोस नेता जी,
जवाब देंहटाएंहमारे देश भारत के,
जवाहर-लाल ने धारी,
बने सिरमौर भारत के,
अगर है पात्रता क़ायम,
वतन के कर्णधारों का,
बढ़ाती मान है टोपी।
सिरों की शान है टोपी।
हमारी आन है टोपी।।
टोपी उतारने और टोपी उछालने का दौर है यह .'पगड़ी संभाल जट्टा पगड़ी संभाल ओ ' का दौर न जाने कहाँ चला गया अब तो हर आदमी आतुर है नंगा होने को संसद के अन्दर भी ,बाहर भी ,गाली गलौच को संसदी भाषा कहा जाता है .सांसद संसद में ब्ल्यू फिल्म देख रहें हैं .टोपी की लाज ?टोपी उछाल जट्टा ,टोपी उछाल ...
बहुत अच्छा लिखा आपने,बढ़िया प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसही कहा, गरिमा में कमी आई है इन्हीं की बदौलत.
जवाब देंहटाएंजब लोग ब्लड सैंपल देने से इनकार करें,तो बदनामी होनी ही है!
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति ||
जवाब देंहटाएंटोपी ...की आन ,बान और शान का बखान सुंदर शब्दों में ...बहुत खूब
जवाब देंहटाएंबहुत सच्ची बात.
जवाब देंहटाएंअसलियत बयाँ कर दी ………
जवाब देंहटाएंअब टोपी पहनाने के दिन लद गए:)
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें
http://charchamanch.blogspot.com
चर्चा मंच-784:चर्चाकार-दिलबाग विर्क
टोपी पहनने वालों ने ही टोपी की गरिमा कम की है |
जवाब देंहटाएंGyan Darpan
..
आज के नेताओं ने ही टोपी और खादी को बदनाम किया है...बहुत सुंदर और सटीक प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएं