मेरे वैरागी उपवन में,
दिन-रैन चैन नही आता था,
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कोमल प्रश्न उठाता प्रेम का अधिकार..
जवाब देंहटाएंइसलिए कि -
जवाब देंहटाएंअधरों से टपकते गीत तेरे
नजरों से नज्म नजाकत की.
तेरी जुल्फ कथा का सागर है.
लगती बिंदिया यह हाइकू सी.
यह रंगीन वस्त्र पूरा साहित्य,
इसमें फूल खिले,वह चम्पू है.
तेरे आँचल नाट्य-कहानी है,
तू परियों के देश की रानी है.
चितवन से बहे कविता की धार
और चाल गजल मदहोश करे.
कहीं और भरूँ मै गागर क्यों?
जब तू ही प्यार का सागर है.
तिवारी जी,..शास्त्री जी के इस रचना का आपसे अच्छा दूसरा कोई जबाब(टिप्पणी)हो ही नही सकती,आपकी इस काव्य भरी टिप्पणी का को पढकर मै आपका मुरीद हो गया हूँ,शास्त्री जी के साथ आपकी रचना बहुत अच्छी लगी,....बधाई शुभकामनाए.....
हटाएंNEW POST काव्यान्जलि ...: चिंगारी...
मुझको संगीत सुनाया क्यों ,बैरागी मन बहलाया क्यों अच्छा बिम्ब और प्रतीक विधान .
जवाब देंहटाएंbahut bhavpoorn khoobsoorat chitron se sazi ek sahejne yogya prastuti.badhai.
जवाब देंहटाएंकोमल भावों से सजी सुन्दर प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंआशा
दिन-रैन चैन नही आता था,
जवाब देंहटाएंमुझको एकान्त सुहाता था,
चुपके से आकर नयनों में,
सपनों का भवन बनाया क्यों?
Bahut Sundar 1
सहज सरल उत्तर है प्रियवर,
जवाब देंहटाएंसतत-सात्विक नेह दिखा है ।
वास कर रही पुण्यात्मा,
दृग्भक्ती दृढ़-देह दिखा है ।।
दिनेश की टिप्पणी - आपका लिंक
http://dineshkidillagi.blogspot.in
चुपके से आकर आँगन में,
जवाब देंहटाएंमुझको दर्पण दिखलाया क्यों?
सुन्दर मनमोहक सृजन शुक्रिया सर !
टिप्पणिया आनन्द को और बढ़ा देती हैं.धन्यवाद शास्त्री जी.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया...बेहतरीन..
जवाब देंहटाएंbahut sundar geet likha hai koi jabaab nahi.
जवाब देंहटाएंबहुत खूब लिखा है इस रचना के लिए आभार
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट पर आपका स्वागत है !
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आसक्ति और स्नेह का सुन्दर एहसास, मन मोहक शब्दों में .
जवाब देंहटाएंमधुमास बन गया था पतझड़,
जवाब देंहटाएंसंसार बन गया था बीहड़,
दण्डक-वन से, इस जीवन में,
शीतल सा पवन बहाया क्यों?
प्रेम आपकी अपनी कोमल भावना का ही पल्लवन और प्रक्षेपण है .
bhavpurn khubsurat rachna
जवाब देंहटाएंbahut hee sundar bhaav...!
जवाब देंहटाएंSahi main shastri ji ki ye rachana ke saath saath tiwari ji ki tipnrhi bahut sateak lagi. dhanyawaad.
जवाब देंहटाएंकितनी सुन्दर कविता..!
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत रचना...आभार
जवाब देंहटाएंsunder rachna ...
जवाब देंहटाएंबढिया रचना।
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