गली-गाँव में धूम मची है,
फागों और फुहारों की।।
मन में रंग-तरंग सजी है,
होली के हुलियारों की।।
गेहूँ पर छा गयीं बालियाँ,
नूतन रंग में रंगीं डालियाँ,
गूँज सुनाई देती अब भी,
बम-भोले के नारों की।।
पवन बसन्ती मन-भावन है,
मुदित हो रहा सबका मन है,
चहल-पहल फिर से लौटी है,
घर - आँगन, बाजारों की।।
जंगल की चूनर धानी है,
कोयल की मीठी बानी है,
परिवेशों में सुन्दरता है,
दुल्हिन के श्रृंगारों की।।
होली लेकर, फागुन आया,
मीठी-हँसी, ठिठोली लाया,
सावन जैसी झड़ी लगी है,
प्रेम-प्रीत, मनुहारों की।।
गली-गाँव में, धूम मची है,
फागों और फुहारों की।।
मन में रंग-तरंग सजी है,
होली के हुलियारों की।।
aapki rangbirangi post ne holi ki fuharon se srabor kar diya dhanyvad
जवाब देंहटाएंआपने धीरे धीरे माहौल बना दिया है..
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर व मनमोहक
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 27-02-2012 को सोमवारीय चर्चामंच पर भी होगी। सूचनार्थ
आगमन होली का - सुन्दर गीत.
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति ||
जवाब देंहटाएंकविता के मधुर शब्दों के साथ सुन्दर चित्र.
जवाब देंहटाएंमधुर कविता और सुन्दर चित्र.
जवाब देंहटाएंअति उत्तम,सराहनीय मनमोहक चित्रमय प्रस्तुति,
जवाब देंहटाएंNEW POST काव्यान्जलि ...: चिंगारी...
holi parv ki aap ko bhi parivar sahit bahut bahut shubhkamnayen.aapki prastuti ki sundarta v kavyatmakta ne man moh liya.aabhar.
जवाब देंहटाएंखूबसूरत चित्र जैसा ही मधुर गीत !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर! शुभ होली!
जवाब देंहटाएंहोली का माहोल बनने लगा है.
जवाब देंहटाएंउत्तरांचल की शास्त्रीय होली अपनी अलग पहचान रखती है. आपने रंगीन फूलों के साथ जो खशबू इस रचना के द्वारा बिखेरी है वह अनुपम है. बहुत प्यारी कविता.आपको होली की अग्रिम शुभ कामनाएं.
जवाब देंहटाएंअच्छे चित्र... सुन्दर गीत...
जवाब देंहटाएंसादर.