जैसे-जैसे आ रहा, प्रेमदिवस नज़दीक। वैसे-वैसे हो रहा, मौसम भी रमणीक।१। चहक उठी है वाटिका, महक उठा है रूप। भँवरे गुंजन कर रहे, खिली-खिली है धूप।२। जोड़ों पर चढ़ने लगा, प्रेमदिवस का रंग। रीत पुरानी है वही, मगर नये हैं ढंग।३। कर्कश सुर में गा रहे, भौंडे-भौंडे गीत।। नये साज के शोर में, बदल गया संगीत।४। बरस रहा शृंगार है, सरस रहा मधुमास। जड़-चेतन को हो रहा, मस्ती का आभास।५। |
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शुक्रवार, 10 फ़रवरी 2012
" प्रेमदिवस का रंग" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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हर ओर प्रेम ..... बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुंदर और लयबद्ध रचना...
जवाब देंहटाएंसादर.
kyaa baat...kyaa baat...kyaa baat...
जवाब देंहटाएंप्रेम दिवस के लिए एक और तोहफा..
जवाब देंहटाएंजोड़ों पर चढ़ने लगा, प्रेमदिवस का रंग।रीत पुरानी है वही, मगर नये हैं ढंग।३।
जवाब देंहटाएंकर्कश सुर में गा रहे, भौंडे-भौंडे गीत।।नये साज के शोर में, बदल गया संगीत।४।
बहुत सुंदर,अच्छे फिट किये आपने !
बढ़िया प्रस्तुति ||
जवाब देंहटाएंप्रेम पर सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंbahur sundar....basant ki khumar he....
जवाब देंहटाएंजोड़ों पर चढ़ने लगा, प्रेमदिवस का रंग।
जवाब देंहटाएंरीत पुरानी है वही, मगर नये हैं ढंग।३।
सार्थक अर्थ पूर्ण व्यंग्य और विवरण दोनों समेटे हैं यह अप्रतिम दोहे शाष्त्री जी के .
prem divas ka rang vaastav me chadhta ja raha hai.bahut sundar laybadh geet likha hai aapne.
जवाब देंहटाएंनए ढंग पर पुराना रंग ... अच्छा व्यंग है .. सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंsunder rachna , sunder bahv sanyojan ke saath
जवाब देंहटाएंaabhar
आजकल का चलन ..
जवाब देंहटाएंपहले कहाँ होते थे ये सब..
kalamdaan.blogspot.in
यहाँ तो इस बार बर्फ के फूल गिर रहे हैं प्रेम दिवस पर.
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना.
प्रेम अँगड़ाई लेने लगा है
जवाब देंहटाएंतो नीली चड्डी और गुलाबी चड्डि के टकराव का मौसम आ गया!!!!!!
जवाब देंहटाएंप्रेमदिवस पर प्रेम से व्यंग ....
जवाब देंहटाएंक्या सुन्दर चित्र का चयन किया है इस सुन्दर रचना के लिए ... व्यंग भी बड़ी नाजुक अंदाज में ..
जवाब देंहटाएं