भारत की महानता का, नही है अतीत याद, वोट माँगने को, नेता आया बिनबुलाया है। देश का कहाँ है ध्यान, होता नित्य सुरापान, जाति, धर्म, प्रान्त जैसे, मुद्दों को भुनाया है। युवराज-सन्त चल पड़े, गली-हाट में, निर्वाचन के दौर ने, ये दिन भी दिखाया है। |
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
मंगलवार, 28 फ़रवरी 2012
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि &qu...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
निर-वचन कर दिया इस निर्वाचन ने..
जवाब देंहटाएंनिर्वाचन पर हो गए, मतदाता निर्वाक्य ।
जवाब देंहटाएंराहुल बाबा पर कहाँ, करते टिप्पण शाक्य ।
करते टिप्पण शाक्य, नगर गौतम श्रावस्ती ।
नंगे दारुबाज, सजी मस्ती की बस्ती ।
फँसे गुरु निर्वचन, करे नेतागण मंचन ।
नौटंकी को लाज, अजी तिकड़म निर्वाचन ।।
दिनेश की टिप्पणी - आपका लिंक
http://dineshkidillagi.blogspot.in
युवराज-सन्त चल पड़े, गली-हाट में,
जवाब देंहटाएंनिर्वाचन के दौर ने, ये दिन भी दिखाया है।
युवराज मंत मति को आपने युवराज संत कैसे कह दिया
रचना संक्षिप्त और सुन्दर है .
Virubhaai
हटाएंyuvraj aur sant yani baba padhen
बहुत बढ़िया !
जवाब देंहटाएंसटीक...
जवाब देंहटाएंकहत ये रूपचंद शास्त्री मयंक आज
जवाब देंहटाएंचुनावों में मुखौटा सभी ने चढाया है ।
बहुत बढ़िया,चुनावों में मुखौटा सभी ने चढाया है ।
जवाब देंहटाएंachcha kararaa vyangyatmak muktak.
जवाब देंहटाएंसब हाजिर हैं जनता सम्मुख..
जवाब देंहटाएंसब कुछ जनता जान गई ,इनके कर्म उजागर है
जवाब देंहटाएंचुल्लू भर जनता के हिस्से,इनके हिस्से सागर है,
छल का सूरज डूबेगा , नई रौशनी आयेगी
अंधियारे बाटें है तुमने, जनता सबक सिखायेगी,
बहुत सुंदर प्रस्तुति,.....
________________
इन दिनों सब कुछ सतह पर आ जाता है।
जवाब देंहटाएं:) acchi lagi
जवाब देंहटाएंकुक्कुरमुत्ता उग गये,हर घूरे के ढेर |
जवाब देंहटाएंईश्वर ईश्वर छोड़ कर,'नेता, नेता' टेर ||
'नेता नेता'टेर,तुझे निज पीठ बिठाये |
'हाँ जी,हाँ जी'अगर नहीं की,तुरत गिराए ||
बड़ा बुरा हो हांल,हो ज्यों 'खुजली का कुत्ता'|
पायेगा 'हर खाद',बने जो 'कुक्कुर्मुत्ता' ||