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झूठ नहीं कहता है दर्पण,
जवाब देंहटाएंकार्य चाहता पूर्ण समर्पण,
कल तो उसका ही होता है, जिसने वर्तमान पहचाना!
बीच डगर में रुक मत जाना, साथी साथ निभाना!!
सुंदर , प्रेरणादायी व सार्थक कविता....
आभार...
शास्त्री जी, ब्लाग पर तो लोग छोटी-छोटी बातों से ही घबराकर भाग रहे हैं। शायद आपकी रचना सभी को प्रेरणा दे दें।
जवाब देंहटाएंजात-धर्म, रंग-रुप न देखो,
जवाब देंहटाएंआडम्बर उखाड़कर फेंको,
पतझड़ लाता है बसन्त को, दूर भगाकर वीराना!
बीच डगर में रुक मत जाना, साथी साथ निभाना!!
बहुत सुन्दर शास्त्री जी !
मेहनत से रखना है नाता,
जवाब देंहटाएंजिससे सब सम्भव हो जाता,
सरिता देती हैं सन्देशा, प्रति-पल चलते जाना!
बीच डगर में रुक मत जाना, साथी साथ निभाना!!
बहुत सार्थक और प्रेरणादायक रचना है....सन्देश से भरपूर
झूठ नहीं कहता है दर्पण,
जवाब देंहटाएंकार्य चाहता पूर्ण समर्पण,
कल तो उसका ही होता है, जिसने वर्तमान पहचाना!
बीच डगर में रुक मत जाना, साथी साथ निभाना!!
waah ..........bahut hi prernadayi geet...........aabhar.
हमेशा की तरह सुन्दर रचना.
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी सबसे पहले तो मेरी और से जन्मदिन की शुभकामनाये स्वीकार करे. अब मुझे माफ़ करे की मै आपको बधाई देने में लेट हो गया. कर दिया. चलो माफ़ भी कर दिया. शास्त्री जी आपने लिखा था की एक वर्ष कम हो गया तो मै यह कहना चाहूँगा की मेरी जिंदगी में तो कई वर्ष और जुड़ गए. क्योंकि इसी वर्ष में मेरा आप से मिलना हुआ है. दुआ है की आप ऐसे ही लिखते रहे. अच्छे लेखन के लिए बधाई और जन्म दिन की पुन शुभकामनाये
जवाब देंहटाएंwww.gooftgu.blogspot.com
सुंदर गीत के साथ
जवाब देंहटाएंचित्र भी बहुत सुंदर छाँटकर लगाया है!
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मुझको बता दो -
"नवसुर में कोयल गाता है - मीठा-मीठा-मीठा! "
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संपादक : सरस पायस
सुन्दर संदेश देता हुआ गीत.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर गीत. शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
चलते-चलते थक मत जाना,
जवाब देंहटाएंसाथी साथ निभाना!
बीच डगर में रुक मत जाना..
कविता की मुखर पंक्तियां ही मन मोह लेती हैं. साधुवाद.
वाह हर शब्द सच्चाई बयान करती है! बहुत सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंसाथी हाथ बदाना ......... बहुत सच कहा है शास्त्री जी ......... दिल से लिखा है ... प्रेरणादायी व सार्थक कविता...
जवाब देंहटाएं