“भारत माँ के मधुर रक्त को,
कौन राक्षस चाट रहा?”
आज देश में उथल-पुथल क्यों, क्यों हैं भारतवासी आरत? कहाँ खो गया रामराज्य, और गाँधी के सपनों का भारत? आओ मिलकर आज विचारें, कैसी यह मजबूरी है? शान्ति वाटिका के सुमनों के, उर में कैसी दूरी है? क्यों भारत में बन्धु-बन्धु के, लहू का आज बना प्यासा? कहाँ खो गयी कर्णधार की, मधु रस में भीगी भाषा? कहाँ गयी सोने की चिड़िया, भरने दूषित-दूर उड़ाने? कौन ले गया छीन हमारे, अधरों की मीठी मुस्काने? किसने हरण किया गान्धी का, कहाँ गयी इन्दिरा प्यारी? प्रजातन्त्र की नगरी की, क्यों आज दुखी जनता सारी? कौन राष्ट्र का हनन कर रहा, माता के अंग काट रहा? भारत माँ के मधुर रक्त को, कौन राक्षस चाट रहा? |
भारत माँ के मधुर रक्त को,
जवाब देंहटाएंकौन राक्षस चाट रहा?
एक सामयिक पोस्ट देश की स्थिति का आकलन करती हुई वैसे जब घर में ही राक्षस हों तो ये तो होना ही था
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति के प्रति मेरे भावों का समन्वय
कल (13/9/2010) के चर्चा मंच पर देखियेगा
और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
कहाँ गयी सोने की चिड़िया,
जवाब देंहटाएंभरने दूषित-दूर उड़ाने?
कौन ले गया छीन हमारे,
अधरों की मीठी मुस्काने?
bahut hi sundar!
बहुत सुंदर जी
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी ,
जवाब देंहटाएंआपको सात सौंवें पुष्प की बधाई ...
भारत की सही विवेचना की है इस रचना में ..
आज के हालात को प्रस्तुत करती सुन्दर रचना, एवम ७०० वी पोस्ट की ढेर सारी बधाइयां शाश्त्री जी !
जवाब देंहटाएंसबसे पहले तो 700 वीं पोस्ट की हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंआज के हालात का सटीक चित्रण किया है……………ये दर्द तो आज हर दिल मे पल रहा है।
बधाईयां ही बधाईयां, सात सौ बधाईयां जी.
जवाब देंहटाएंरामराम.
कहाँ गयी सोने की चिड़िया,
जवाब देंहटाएंभरने दूषित-दूर उड़ाने?
कौन ले गया छीन हमारे,
अधरों की मीठी मुस्काने?
बेहतरीन ....बहुत बहुत बधाई.
देश की स्थिति को आपने बहुत ही सुन्दरता से प्रस्तुत किया है! उम्दा रचना !
जवाब देंहटाएं700 पुष्पों से सुसज्जित बगिया में नित नये पुष्प खिलें और बगिया को महकायें..अनेक शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंसात सौवीं पोस्ट...सात सौ गुना बेहतर...
जवाब देंहटाएंयानि सात सौवाँ पुष्प...सात सौ गुना सुन्दर...
सात सौ से सात हज़ार और सात लाख भी होते देखें हम - यही आशा है।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति। बहुत बहुत बधाई ! अनन्त शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंअतिशय बधाई। बहुत सुन्दर कविता।
जवाब देंहटाएंरचना और आपको सादर नमन
जवाब देंहटाएंभारत माँ के मधुर रक्त को,
जवाब देंहटाएंकौन राक्षस चाट रहा?
ये चिंता और ये सारे प्रश्न निरर्थक नहीं गुरुवर,
आपकी लेखनी को नमन है .
यहाँ भी पधारे ...
http://anushkajoshi.blogspot.com/
ऎसे कई ७०० पुष्पो का इन्त्ज़ार . बधाई
जवाब देंहटाएंपुष्प पर पुष्प खिलते रहे हजार
सार्थक लेखन की बहती रहे बयार
दांत का दर्द-1500 का फ़टका
आपकी पोस्ट ब्लॉग4वार्ता पर
क्या बात कही है आपने....
जवाब देंहटाएंएकदम सटीक और सार्थक....
मन को छूती उद्वेलित करती अतिसुन्दर रचना....
भारत की सही स्थिति दर्शाई है इस कविता में आपको
जवाब देंहटाएं700 रचनाओं की बहुत बधाई ।