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सुन्दर अनुवाद!
जवाब देंहटाएंबढ़िया भावपूर्ण रचना ..सुंदर अनुवाद के लिए धन्यवाद शास्त्री जी
जवाब देंहटाएंजितनी सुन्दर कविता, उतना ही सुन्दर भावानुवाद।
जवाब देंहटाएंसुंदर अनुवाद शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अनुवाद्।
जवाब देंहटाएंसुन्दर अनुवाद मे भाव मय रचना पढवाने के लिये धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अनुवाद ..
जवाब देंहटाएंखूबसूरत अनुवाद.
जवाब देंहटाएंइस सुन्दर अनुवाद के लिये आप का धन्यवाद
जवाब देंहटाएंआप एक महान काम कर रहे हैं। बहुत आच्छा अनुवाद। बधाई।
जवाब देंहटाएंआंच पर संबंध विस्तर हो गए हैं, “मनोज” पर, अरुण राय की कविता “गीली चीनी” की समीक्षा,...!
भावपूर्ण .. सुंदर अनुवाद के लिए धन्यवाद ...
जवाब देंहटाएंइस अनुवाद के लिये बहुत आभार.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहुत बहुत सुन्दर अनुवाद!
जवाब देंहटाएंअच्छी कविता, और अनुवाद के बाद भी मूल मिल गया ये ज्यादा अच्छा रहा।
जवाब देंहटाएंअनुवाद के लिए बहुत सुन्दर रचना का चयन किया शास्त्री जी ! इतने भावपूर्ण अनुवाद के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार !
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जवाब देंहटाएंबेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें
बहुत अच्छा
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण रचना, सुंदर अनुवाद के लिए धन्यवाद
जवाब देंहटाएंसुघड़ सुन्दर अनुवाद...
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