ओह! कितनी जल्दी गुजर गया पूरा सालभर फिर से आ गया है माह सितम्बर -- इस बार भी होंगे हिन्दी-दिवस के बड़े-बड़े आयोजन किन्तु सफल नही होगा सच्चे साधकों का प्रयोजन -- शान से हिन्दी पखवाड़े काले अंग्रेज मनायेंगे और हिन्दी-दिवस पर अंग्रेजी में भाषण पिलायेंगे -- स्वतन्त्र भारत में हिन्दी का जन्म-दिवस 14 सितम्बर यानि “हिन्दी-दिवस” -- कैसी है यह विडम्बना? क्या यही है हमारी सम्वेदना? -- हम हो गये हैं दिमाग से दिगम्बर हिन्दी दिवस का महीना सितम्बर -- हिन्दी त्यौहारों होली, दिवाली राम-नवमी दशहरा और कृष्ण-जन्माष्टमी की भाँति हम नहीं मना सकते थे हिन्दी-दिवस? जो चलता रहता युगों-युगों तक… युगों-युगों तक… |
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
सोमवार, 6 सितंबर 2010
“ओह! माह सितम्बर” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि ...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
हिंदुस्तान में हिंदी के लिए केवल एक सप्ताह या एक पखवाडा ही होता क्या यही हमारी राज भाषा का सम्मान है
जवाब देंहटाएंएक हिंदी भाषा के प्रेमी के हृदय से निकली सच्ची आह ....काश हर दिन हिंदी दिवस हो पाए ...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति
इस बार भी होंगे
जवाब देंहटाएंहिन्दी-दिवस के
बड़े-बड़े आयोजन
किन्तु सफल नही होगा
सच्चे साधकों का प्रयोजन
बस रस्म अदायगी सी बन गई है हिन्दी दिवस की औपचारिकताये !
पता नहीं कब तक यूं ही कुढते रहना पड़ेगा। हम सब को।
जवाब देंहटाएंशान से हिन्दी पखवाड़े
जवाब देंहटाएंकाले अंग्रेज मनायेंगे
और हिन्दी-दिवस पर
अंग्रेजी में भाषण पिलायेंगे
कितना दुर्भाग्यपूर्ण है ...
क्या कर सकते हैं? देख तमाशा हिंदी का.
जवाब देंहटाएंरामराम.
हम हो गये हैं
जवाब देंहटाएंदिमाग से दिगम्बर
हिन्दी दिवस का
महीना सितम्बर
वाह एक दिगंबर शब्द में ही कितनी बड़ी बात कह दी...सटीक शब्दावली.
अच्छी प्रस्तुति.
बहुत अच्छी प्रस्तुति...........
जवाब देंहटाएंहम नहीं मना सकते थे
जवाब देंहटाएंहिन्दी-दिवस?
जो चलता रहता
युगों-युगों तक…
युगों-युगों तक…
ऐसा भी होगा शास्त्री जी। ज़रूर आएगी वह सुबह......!
वाह वाह
जवाब देंहटाएंसाधु !
आनन्द आ गया
बहुत बढ़िया.
जवाब देंहटाएंहम हो गये हैं
जवाब देंहटाएंदिमाग से दिगम्बर
हिन्दी दिवस का
महीना सितम्बर॥
बहुत ही सुन्दर और सठिक बात का ज़िक्र किया है आपने! उम्दा प्रस्तुती !
बिल्कुल सही कहा आपने………………सत्य कथन
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना।
जवाब देंहटाएंहिन्दी दिवस, एक और पड़ाव।
जवाब देंहटाएंयही तो दुर्भाग्य है ………………हिन्दी का और उसके चाहने वालों का………………दर्द उभर कर आ गया।
जवाब देंहटाएंबहुत ही गहरी एवं सच्ची बात कही आपने, एक पखवाड़ा ही क्यों, हर दिन हिन्दी दिवस होता ।
जवाब देंहटाएंक्या आपने हिंदी ब्लॉग संकलक हमारीवाणी" का क्लिक कोड अपने ब्लॉग पर लगाया हैं?
जवाब देंहटाएंहमारीवाणी एक निश्चित समय के अंतराल पर ब्लाग की फीड के द्वारा पुरानी पोस्ट का नवीनीकरण तथा नई पोस्ट प्रदर्शित करता रहता है. परन्तु इस प्रक्रिया में कुछ समय लगता है. हमारीवाणी में आपका ब्लाग शामिल है तो आप स्वयं क्लिक कोड के द्वारा हमारीवाणी पर अपनी ब्लागपोस्ट तुरन्त प्रदर्शित कर सकते हैं.
कोड के लिए यहाँ क्लिक करें
chalo shayad agle saal kuch acha ho!
जवाब देंहटाएं