ओह! कितनी जल्दी गुजर गया पूरा सालभर फिर से आ गया है माह सितम्बर -- इस बार भी होंगे हिन्दी-दिवस के बड़े-बड़े आयोजन किन्तु सफल नही होगा सच्चे साधकों का प्रयोजन -- शान से हिन्दी पखवाड़े काले अंग्रेज मनायेंगे और हिन्दी-दिवस पर अंग्रेजी में भाषण पिलायेंगे -- स्वतन्त्र भारत में हिन्दी का जन्म-दिवस 14 सितम्बर यानि “हिन्दी-दिवस” -- कैसी है यह विडम्बना? क्या यही है हमारी सम्वेदना? -- हम हो गये हैं दिमाग से दिगम्बर हिन्दी दिवस का महीना सितम्बर -- हिन्दी त्यौहारों होली, दिवाली राम-नवमी दशहरा और कृष्ण-जन्माष्टमी की भाँति हम नहीं मना सकते थे हिन्दी-दिवस? जो चलता रहता युगों-युगों तक… युगों-युगों तक… |
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सोमवार, 6 सितंबर 2010
“ओह! माह सितम्बर” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)
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हिंदुस्तान में हिंदी के लिए केवल एक सप्ताह या एक पखवाडा ही होता क्या यही हमारी राज भाषा का सम्मान है
जवाब देंहटाएंएक हिंदी भाषा के प्रेमी के हृदय से निकली सच्ची आह ....काश हर दिन हिंदी दिवस हो पाए ...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति
इस बार भी होंगे
जवाब देंहटाएंहिन्दी-दिवस के
बड़े-बड़े आयोजन
किन्तु सफल नही होगा
सच्चे साधकों का प्रयोजन
बस रस्म अदायगी सी बन गई है हिन्दी दिवस की औपचारिकताये !
पता नहीं कब तक यूं ही कुढते रहना पड़ेगा। हम सब को।
जवाब देंहटाएंशान से हिन्दी पखवाड़े
जवाब देंहटाएंकाले अंग्रेज मनायेंगे
और हिन्दी-दिवस पर
अंग्रेजी में भाषण पिलायेंगे
कितना दुर्भाग्यपूर्ण है ...
क्या कर सकते हैं? देख तमाशा हिंदी का.
जवाब देंहटाएंरामराम.
हम हो गये हैं
जवाब देंहटाएंदिमाग से दिगम्बर
हिन्दी दिवस का
महीना सितम्बर
वाह एक दिगंबर शब्द में ही कितनी बड़ी बात कह दी...सटीक शब्दावली.
अच्छी प्रस्तुति.
बहुत अच्छी प्रस्तुति...........
जवाब देंहटाएंहम नहीं मना सकते थे
जवाब देंहटाएंहिन्दी-दिवस?
जो चलता रहता
युगों-युगों तक…
युगों-युगों तक…
ऐसा भी होगा शास्त्री जी। ज़रूर आएगी वह सुबह......!
वाह वाह
जवाब देंहटाएंसाधु !
आनन्द आ गया
बहुत बढ़िया.
जवाब देंहटाएंहम हो गये हैं
जवाब देंहटाएंदिमाग से दिगम्बर
हिन्दी दिवस का
महीना सितम्बर॥
बहुत ही सुन्दर और सठिक बात का ज़िक्र किया है आपने! उम्दा प्रस्तुती !
बिल्कुल सही कहा आपने………………सत्य कथन
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना।
जवाब देंहटाएंहिन्दी दिवस, एक और पड़ाव।
जवाब देंहटाएंयही तो दुर्भाग्य है ………………हिन्दी का और उसके चाहने वालों का………………दर्द उभर कर आ गया।
जवाब देंहटाएंबहुत ही गहरी एवं सच्ची बात कही आपने, एक पखवाड़ा ही क्यों, हर दिन हिन्दी दिवस होता ।
जवाब देंहटाएंक्या आपने हिंदी ब्लॉग संकलक हमारीवाणी" का क्लिक कोड अपने ब्लॉग पर लगाया हैं?
जवाब देंहटाएंहमारीवाणी एक निश्चित समय के अंतराल पर ब्लाग की फीड के द्वारा पुरानी पोस्ट का नवीनीकरण तथा नई पोस्ट प्रदर्शित करता रहता है. परन्तु इस प्रक्रिया में कुछ समय लगता है. हमारीवाणी में आपका ब्लाग शामिल है तो आप स्वयं क्लिक कोड के द्वारा हमारीवाणी पर अपनी ब्लागपोस्ट तुरन्त प्रदर्शित कर सकते हैं.
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chalo shayad agle saal kuch acha ho!
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