जब आता है दुःख तभी, लोचन तन-मन धोता है। आँसू का अस्तित्व, नहीं सागर से कम होता है।। हार नही मानी जिसने, बहती नदियों-नहरों से, जल को लिया समेट स्वयं, गिरती-उठती लहरों से, रत्न वही पाता है जो, मंथक सक्षम होता है। आँसू का अस्तित्व, नहीं सागर से कम होता है।। जो फूलों के संग काँटों को, सहन किये जाता है, जो अमृत के साथ गरल का, घूँट पिये जाता है, शीत, ग्रीष्म और वर्षा में, वो नहीं असम होता है। आँसू का अस्तित्व, नहीं सागर से कम होता है।। |
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गुरुवार, 23 सितंबर 2010
“आँसू का अस्तित्व… ..” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)
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बहुत सुन्दर रचना... आपकी शरण में आना ही पड़ेगा...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना... आपकी शरण में आना ही पड़ेगा...
जवाब देंहटाएंजय हो आपकी........
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर !
शास्त्री जी आजकल तो गजब ही ढा रहे हैं। बहुत ही सशक्त रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर और सशक्त रचना, शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
आंसू पर भी आपकी रचना ? कुछ तो हमारे लिए भी छोड़ दीजिए :)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना .
बहुत सुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएंआँसुओं में सागर झकझोरने की क्षमता होती है।
जवाब देंहटाएंओह ! बडी ही मार्मिक रचना लिख दी आज तो………………बेहद खूबसूरत भाव्।
जवाब देंहटाएंआँसू के अस्तित्व,
जवाब देंहटाएंनहीं सागर से कम होते हैं।।
आँसू तो सागर से विस्तृत अस्तित्व रखते हैं
बहुत सुन्दर
आँसू के अस्तित्व,
जवाब देंहटाएंनहीं सागर से कम होते हैं
अच्छी पंक्तिया की रचना की है ........
(क्या अब भी जिन्न - भुत प्रेतों में विश्वास करते है ?)
http://thodamuskurakardekho.blogspot.com/2010/09/blog-post_23.html
बहुत सुंदर कविता, धन्यवाद
जवाब देंहटाएंसुख और दुख दोनों में,
जवाब देंहटाएंसबके लोचन नम होते हैं।
आँसू के अस्तित्व,
नहीं सागर से कम होते हैं।।
आँसू का अस्तित्व,
जवाब देंहटाएंनहीं सागर से कम होता है।।
वाह ! बहुत सुन्दर ....बड़ी गहरी बात कही
आभार
आप की रचना 24 सितम्बर, शुक्रवार के चर्चा मंच के लिए ली जा रही है, कृप्या नीचे दिए लिंक पर आ कर अपनी टिप्पणियाँ और सुझाव देकर हमें अनुगृहीत करें.
जवाब देंहटाएंhttp://charchamanch.blogspot.com
आभार
अनामिका
बहुत सुन्दर कविता लिखा है आपने शास्त्री जी! हर एक शब्द में गहराई है! बेहतरीन प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना,शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति, भावमय प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत मंथन के बाद निकली है रचना |बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंआशा
एक आँसू मे सागर से भी अधिक गहरी संवेदनायें होती हैं बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबधाई।
रत्न वही पाता है जो,
जवाब देंहटाएंमंथक सक्षम होता है।
आँसू का अस्तित्व,
नहीं सागर से कम होता है।।
सुंदर और सशक्त रचना
very good guru ji
जवाब देंहटाएंbahoot hi sunder prastuti......
जवाब देंहटाएंsir app ney sahi likha hai sagar or asshu dono ek dosery sey alag nahi hai sabdo mei aashu or sagar dono chipey hai wha.
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