भारतमाता के सुहाग की, जो है पावन बिन्दी। भोली-भाली सबसे प्यारी, है अपनी भाषा हिन्दी।। भरी हुई है वैज्ञानिकता, व्यञ्जन और स्वरों में, उच्चारण में बहुत सरलता, इसके सभी अक्षरों में, ब्रज-गोकुल में बसी हुई हो, बनकर तुम कालिन्दी। भोली-भाली सबसे प्यारी, है अपनी भाषा हिन्दी।। सन्तों के कण्ठों से उपजी, मीठी-मीठी सुरसवती हो, वीणा की झंकार सुनाती, सरस्वती सी सरसवती हो, शीतल मन्द सुगन्ध पवन सी तुम बयार हो आनन्दी। भोली-भाली सबसे प्यारी, है अपनी भाषा हिन्दी।। अपनी हिन्दी भाषा का, कण-कण वन्दन करता है, देवनागरी का जन-गण, मन से अभिनन्दन करता है, इतना होने पर भी इंग्लिश भारत में क्यों जिन्दी? भोली-भाली सबसे प्यारी, है अपनी भाषा हिन्दी।। |
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सोमवार, 13 सितंबर 2010
"अपनी भाषा हिन्दी!" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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ब्रज-गोकुल में बसी हुई हो, बनकर तुम कालिन्दी।
जवाब देंहटाएंभोली-भाली सबसे प्यारी, है अपनी भाषा हिन्दी।।
बहुत सुन्दर कविता हिन्दी के स्तवन में ।
शीतल मन्द सुगन्ध पवन सी तुम बयार हो आनन्दी।
जवाब देंहटाएंभोली-भाली सबसे प्यारी, है अपनी भाषा हिन्दी।।
सही कहा आपने! हमें तो अपने राष्ट्रभाषा से बेहद प्यार है और गर्व से कहते हैं की हम भारतीय हैं! अत्यंत सुन्दर रचना!
सुप्रभात शास्त्री जी,हिंदी के प्रति आपका निश्छल प्रेम झलकता है आपकी रचना से। बहुत सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंऐसी ही है हमारी प्यारी हिंदी ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविता !
हिंदी भाषा को नमन ...और इतनी सटीक कविता के लिए आपका आभार
जवाब देंहटाएंहिन्दी अभी भी वह स्थान नहीं पा सकी है, जो उसका है...
जवाब देंहटाएंआपका प्रयत्न सराहनीय है...
अपनी भाषा के प्रति ऐसा ही स्नेह और आदर का भाव होना चाहिये………………हमारा भी नमन्…………………बहुत सुन्दर लिखा आपने।
जवाब देंहटाएंजितनी सरस कविता आपने प्रस्तुत की है हिन्दी उतनी ही सरस है। हिंदी तो दो पाटों को जोड़ता पुल है। इसी कारण से इसे उस भाषा की अनुगामिनी बनने की नियति प्रदान की गई जिसके खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम के दिनों में हिंदी तन कर खड़ी हुई थी।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
शैशव, “मनोज” पर, आचार्य परशुराम राय की कविता पढिए!
बहुत खूब लिखा है |बधाई
जवाब देंहटाएंआशा
भोली-भाली सबसे प्यारी, है अपनी भाषा हिन्दी।। मुझे मान हे इस मेरी अपनी भाषा पर, हिन्दी मेरी भाषा है.
जवाब देंहटाएंसन्तों के कण्ठों से उपजी, मीठी-मीठी सुरसवती हो,
जवाब देंहटाएंवीणा की झंकार सुनाती, सरस्वती सी सरसवती हो,
Its great
हिंदी के सम्मान में बड़ी प्यारी और विलक्षण कविता...बधाई.
जवाब देंहटाएंहिन्दी विकास का अच्छा प्रयत्न, अच्छी प्रस्तुति शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएंब्रज-गोकुल में बसी हुई हो, बनकर तुम कालिन्दी।
जवाब देंहटाएंभोली-भाली सबसे प्यारी, है अपनी भाषा हिन्दी.
बहुत सुन्दर.
हिंदी भाषा को नमन और सुंदर रचना के लिए आपको बधाई
जवाब देंहटाएंअपनी हिन्दी भाषा का, कण-कण वन्दन करता है,
जवाब देंहटाएंदेवनागरी का जन-गण, मन से अभिनन्दन करता है ..
वाह ... सच है हिन्दी बिन भारत में आत्मा नही .....
आपकी रचना बहुत सुंदर है हिन्दी भाषा प्रेम झलकता है कविता बहुत सुन्दर है |बधाई
जवाब देंहटाएंसबसे प्यारी अपनी भाषा।
जवाब देंहटाएंbahut pyari kavita likhi hai aapne
जवाब देंहटाएंहम-सब की राज दुलारी है हिन्दी..
जवाब देंहटाएंअच्छी कविता सर
bahut hee sundar kavitaa sir ji!
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव |
जवाब देंहटाएंहिंदी दिवस की शुभकामना