आज भादों की दोयज का दिन है। आज बुड्ढा बाबू की पूजा-अर्चना विधि-विधान के साथ की जाती है। भाद्रपद मास में दूज के दिन उत्तर-प्रदेश के जिला बिजनौर और मुरादाबाद में गाँवों और शहरों में एक मेले का आयोजन होता है। इसमें बुड्ढा बाबू की पूजा की जाती है। कढ़ी, साबुत उड़द, चावल, रोटी, पुआ, पकौड़ी और हलवा आदि सातों नेवज घर में बनते हैं। बुड्ढा बाबू को भोग लगा कर प्रसाद के रूप में घर के लोग भी इस भोजन को ग्रहण करते हैं। इसके बाद मेले में बुड्ढा बाबू के थले पर जाकर प्रसाद चढ़ाया जाता है। मान्यता है कि दाद, खाज, कोढ़ आदि के रोग भी यहाँ प्रसाद चढ़ाये जाने से ठीक हो जाते हैं। जिला-बिजनौर के हल्दौर कस्बे में तो दोयज का बहुत बड़ा मेला लगता है जो 10 दिनों तक चलता है। दोयज के दिन मेले में जाने पर सबसे पहले आपको बाल्मीकि समाज के लोग सूअर के बच्चों को बाँधे हुए बैठे मिल जायेगें। वे टीन के कटे हुए छोटे-छोटे को दाद-फूल के रूप में देते हैं। जैसे ही आप उनसे ये दाद फूल खरीदेंगे, वे आपको इस दाद फूल के साथ सूअर के बच्चे के कान के बाल चाकू से नोच कर इन दाद-फूल के साथ दे देंगे। यही प्रसाद आप बुड्ढा बाबू के थले पर जाकर चढ़ा देंगे। ये नजारा खासकर छोटे बालकों को बहुत सुन्दर लगता है। सूअर का कान नोचा जायेगा तो वो चिल्लायेगा और बच्चे इसका आनन्द लेंगे। |
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शुक्रवार, 10 सितंबर 2010
"आज भादों की दूज है!" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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अपने यहां सरधना में भी बुड्ढा बाबू का मेला लगता है। दस-पन्द्रह दिनों तक चलता है।
जवाब देंहटाएंइस मेले में हमेशा साम्प्रदायिक दंगे की आशंका बनी रहती है। कुछ साल पहले सरधना में कर्फ्यू लगा था, वो भी इसी की देन था।
नए मेले के बारे में बताया ....... बढिया लगा........
जवाब देंहटाएंपिछले सप्ताह हमारे गाँव में गुग्गा बाबा का मेला लगा था.......
परम्पराओं का कोई स्रोत है?
जवाब देंहटाएंनए मेले के बारे मने जानकारी अच्छी लगी.
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया जानकारी दी………………आभार्।
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया अजानकारी मिली, आभार.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बड़ी अजीबोगरीब मान्यता और रस्मो रिवाज है, खैर, ज्ञान वर्धन के लिए शुक्रिया शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएंरुहेलखंड के भिन्न जातियों के बहुत से परिवारों में विवाह के अवसर पर महिलाओं द्वारा किन्हीं बुड्ढा बाबू की पूजा का रिवाज़ है जिसमें न तो पुरुष भाग ले सकते हैं और न ही वे महिलायें जिनके परिवार में इस पूजा की परम्परा न हो। बरेली में रहने के कारण बुड्ढा बाबू के बारे में जानने की उत्सुकता हमेशा थी। पहले भी आपके ब्लॉग पर ही एक पोस्ट में यह परिचय मिला। अधिक जानकारी अपेक्षित है। हाँ वहाँ भी इनके कोप का सम्बन्ध त्वचा रोगों से जोडा जाता है।
जवाब देंहटाएंबढ़िया बात बताई जी..........
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !
शास्त्री जी बहुत बहुत धन्यवाद इतनी बढ़िया जानकारी देने के लिए!
जवाब देंहटाएंभादों दूज के बारे में बढ़िया जानकारी दी है ... "बुड्ढा बाबू" को हमारे यहाँ "गुसाई बाबू" के नाम से संबोधित करते हैं ...आभार
जवाब देंहटाएंगुसाईं-बाबू कौन देवता हैं परिचय जानना चाहता हूँ।
हटाएंमेरे लिये नई जानकारी है। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंगणेशचतुर्थी और ईद की मंगलमय कामनाये !
जवाब देंहटाएंनई जानकारी मिली, बहुत बहुत धन्यवाद
इस पर अपनी राय दे :-
(काबा - मुस्लिम तीर्थ या एक रहस्य ...)
http://oshotheone.blogspot.com/2010/09/blog-post_11.html