दीनदयाल शर्मा, हिंदी अर राजस्थानी रा थापित बाल साहित्यकार हैं। आं' राष्ट्रीय स्तर माथै बाल साहित्य में आपरी अळगी पिछाण बणाई है। हिंदी अर राजस्थानी में आपरी दो दर्जन सूं बेसी पोथ्यां छपी है । चंदर री चतराई , टाबर टोळी, बात रा दाम,म्हारा गुरु जी, शंखेसर रा सींग, बाळपणै री बातां, घणी स्याणप, फैसला, फैसला बदल गया, चिंटू पिंटू की सूझ, बड़ों के बचपन की कहानियां, चमत्कारी चूर्ण, कर दो बस्ता हल्का, सूरज एक सितारा है, पापा झूठ नहीं बोलते, स्यांती, घर बिगाड़ै गुस्सौ, तूं कांईं बणसी, सुणौ के स्याणौ, गिदगिदी,राजस्थानी बाल साहित्य : एक दृष्टि, नानी तूं है कैसी नानी , चूं - चूं , इक्यावन बाल पहेलियाँ., डुक पच्चीसी, मैं उल्लू हूं, सारी खुदाई एक तरफ, सपने, द ड्रीम्स आदि रा कई संस्करण छप्या है...। आपरा एक दर्जन रेडियो नाटक राज्य स्तर पर प्रसारित होया है..., पगली, मेरा कसूर क्या है, जंग जारी है, मुझे माफ कर दो, पगड़ी की लाज आद ख़ास नाटक है । आकाशवाणी अर दूरदर्शन सूं भी प्रसारित। आजकाल आप टाबरां रै अखबार टाबर टोळी रा मानद साहित्य सम्पादक। आपरा मोबाइल नंबर हैं - 094145 14666, पं. दीनदयाल शर्मा के सम्मान में इस रचना के माध्यम से छोटी सी गुस्ताखी कर रहा हूँ! आशा है कि वह इसका भरपूर आनन्द लेंगे! मैं इस अनजानी भूल के लिए उनसे क्षमा..! --------------------- हिन्दी और राजस्थानी के, लब्ध-प्रतिष्ठित रचनाकार। मनोयोग से छाप रहे हैं, टाबरटोली सा अखबार।। बालगीत-कविताएँ रचकर, ब्लॉग सजाते हँसी-मजाक। कभी-कभी ये जोकर बनकर, रखते ऊँची अपनी नाक।। चूहा बनकर बहुत चाव से, पतंग उड़ाते दीनदयाल। जाल-जगत के राजदुलारे, बच्चों का रखते हैं ख्याल।। |
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शुक्रवार, 17 सितंबर 2010
"जाल-जगत के राजदुलारे....दीनदयाल!" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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बहुत अच्छा लगा शर्मा जी के बारे में जानकर...
जवाब देंहटाएंशर्मा जी की तो हर बात निराली है!
जवाब देंहटाएंदीनदयाल जी के बारे में पढ़कर अच्छा लगा...शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंश्रद्देय डॉ.मयंक साहब का हार्दिक आभार....आपका स्नेह और आशीर्वाद का ही फल है..कि मैं जो लिखूं ...वह बच्चों और बड़ों ...दोनों को पसंद आता है...मेरे बारे में टिप्पणी करने वालों का तहे देल से आभार...मैंने ये रचनाएँ...अपने एक ब्लॉग http://taabardunia.blogspot.com पर भी लगाई है....
जवाब देंहटाएंपरिचय का आभार।
जवाब देंहटाएंशर्मा जी का परिचय करवाने के लिये आभार आपका.
जवाब देंहटाएंरामराम
कमाल है!
जवाब देंहटाएंबे-मिसाल है!!
दीनदयाल जी के बारे में पढ़कर अच्छा लगा!
बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
मशीन अनुवाद का विस्तार!, “राजभाषा हिन्दी” पर रेखा श्रीवास्तव की प्रस्तुति, पधारें
अंक-9 स्वरोदय विज्ञान, आचार्य परशुराम राय, द्वारा “मनोज” पर, पढिए!
वाह वाह वाह !
जवाब देंहटाएंआनन्द आ गया ..........
दीनदयाल जी शर्मा को दिली बधाई !
शर्मा जी से यह मुलाकाल बहुत अच्छी रही ....!!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा शर्मा जी के बारे में जानकर.
जवाब देंहटाएंशर्मा जी के बारे में जानकर बहुत अच्छा लगा! सुन्दर प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंशर्मा जी के बारे में जानकर बहुत अच्छा लगा!
जवाब देंहटाएंचुलबुली रचना।
शर्मा जी के रोचक परिचय के लिये धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंआदरणीय मयंक जी की
जवाब देंहटाएंअनूठी चित्रसज्जा के साथ
आदरणीय शर्मा जी की
इस रचना का भी आनंद लीजिए -
मैं न किसी से डरता हूँ
वाह ...शर्मा जी से मुलाक़ात बहुत बढ़िया रही
जवाब देंहटाएंदीनदयाल जी के बारे में पढ़कर अच्छा लगा!
जवाब देंहटाएं