इस गीत को सुनिए- अर्चना चावजी के मधुर स्वर में! तन से, मन से, धन से हमको, माँ का कर्ज चुकाना है। फिर से अपने भारत को, जग का आचार्य बनाना है।। राम-कृष्ण, गौतम, गांधी की हम ही तो सन्तान है, शान्तिदूत और क्रान्तिकारियों की हम ही पहचान हैं। ऋषि-मुनियों की गाथा को, दुनिया भर में गुंजाना है। फिर से अपने भारत को, जग का आचार्य बनाना है।। उनसे कैसा नाता-रिश्ता? जो यहाँ आग लगाते हैं, हरे-भरे उपवन में, विष के पादप जो पनपाते हैं, अपनी पावन भारत-भू से, भय-आतंक मिटाना है। फिर से अपने भारत को, जग का आचार्य बनाना है।। जिनके मन में रची बसी, गोरों की अंग्रेजी भाषा, वो क्या समझेंगे भारत के जन,गण, मन की अभिलाषा , हिन्दी भाषा को हमको, जग की सिरमौर बनाना है। फिर से अपने भारत को, जग का आचार्य बनाना है।। प्राण-प्रवाहक, संवाहक हम, यही हमारा परिचय है, हम ही साधक और साधना, हम ही तो जन्मेजय हैं, भारत की प्राचीन सभ्यता, का अंकुर उपजाना है। फिर से अपने भारत को, जग का आचार्य बनाना है।। वीरों की इस वसुन्धरा में, आयी क्यों बेहोशी है? आशाओं के बागीचे में, छायी क्यों खामोशी है? मरघट जैसे सन्नाटे को, दिल से दूर भगाना है। फिर से अपने भारत को, जग का आचार्य बनाना है।। |
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मंगलवार, 14 सितंबर 2010
"भारत माँ का कर्ज चुकाना है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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हमेशा की तरह शानदार रचना
जवाब देंहटाएंराजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
जवाब देंहटाएंमैं दुनिया की सब भाषाओं की इज़्ज़त करता हूँ, परन्तु मेरे देश में हिन्दी की इज़्ज़त न हो, यह मैं नहीं सह सकता। - विनोबा भावे
भारतेंदु और द्विवेदी ने हिन्दी की जड़ें पताल तक पहुँचा दी हैं। उन्हें उखाड़ने का दुस्साहस निश्चय ही भूकंप समान होगा। - शिवपूजन सहाय
हिंदी और अर्थव्यवस्था-2, राजभाषा हिन्दी पर अरुण राय की प्रस्तुति, पधारें
बहुत सुन्दर रचना ....और अर्चना जी की आवाज़ का तो जवाब नहीं ..बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंआवाज़ और रचना दोनो ही शानदार हैं।
जवाब देंहटाएंकित्ती प्यारी रचना और आवाज़ भी खूब...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर आवाज़ भी और रचना भी बधाई।
जवाब देंहटाएंbadhiya hai ji!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गीत ....अर्चना जी को सुनना बहुत अच्छा लगा
जवाब देंहटाएंआभार
बहुत ही भावपूर्ण और जोशभरा गीत ..बहुत अच्छा लगा सुनना .
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गीत। संगीत सदैव की तरह मधुर।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना. अर्चना जी को की आवाज़ में सुनना बहुत अच्छा लगा .
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