आज मेरे देश को क्या हो गया है? मख़मली परिवेश को क्या हो गया है?? पुष्प-कलिकाओं पे भँवरे, रात-दिन मँडरा रहे, बागवाँ बनकर लुटेरे, वाटिका को खा रहे, सत्य के उपदेश को क्या हो गया है? मख़मली परिवेश को क्या हो गया है?? धर्म-मज़हब का हमारे देश में सम्मान है, जियो-जीने दो, यही तो कुदरती फरमान है, आज इस आदेश को क्या हो गया है? मख़मली परिवेश को क्या हो गया है?? खोजते दैर-ओ-हरम में राम और रहमान को, एकदेशी समझते हैं, लोग अब भगवान को, धार्मिक सन्देश को क्या हो गया है? मख़मली परिवेश को क्या हो गया है?? |
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शनिवार, 25 सितंबर 2010
"मख़मली परिवेश को क्या हो गया है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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जवाब देंहटाएंखोजते दैर-ओ-हरम में राम और रहमान को,
जवाब देंहटाएंएकदेशी समझते हैं, लोग अब भगवान को,
धार्मिक सन्देश को क्या हो गया है?
मख़मली परिवेश को क्या हो गया है??
देश को आज नहीं हुआ शास्त्री जी, जो खेती हम ६० के दशक से बोते आये है वो फसल पक गई है बस !
बहुत अच्छी प्रस्तुति.धन्यवाद
जवाब देंहटाएंसशक्त वेदना के स्वर हैं और जो टीस माननिय गोदियाल जी ने व्यक्त की है वही फ़ांस सबके गले में अटकी है.
जवाब देंहटाएंरामराम.
पता नहीं इस देश को क्या हो गया है?
जवाब देंहटाएंआज यही तो हर दिल की वेदना है मगर सिवाय सहने के कुछ नही कर पा रहे हैं………………सबके ह्र्दय के भावो को आपने शब्द दे दिये हैं।
जवाब देंहटाएंजय हो आपकी
जवाब देंहटाएंऔर
आपकी सृजन क्षमता की..........
बहुत सुन्दरता से आपने सबके ह्रदय के भावों को बखूबी शब्दों में पिरोया है ! शानदार रचना!
जवाब देंहटाएंजियो.जीने दो
जवाब देंहटाएंयही तो कुदरती फ़रमान है
आज इस आदेश को क्या हो गया है
मख़मली परिवेश को क्या हो गया है।
...वाह..वाह... बहुत ही भावपरक रचना।
बहुत अच्छी लगी यह प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंक्या कहूँ, इतनी बेहतरीन रचना के लिए शब्द नहीं हैं..... बेहद खूबसूरत, बेहतरीन भाव!
जवाब देंहटाएंसुंदर गीत बधाई
जवाब देंहटाएंअत्यन्त भावपूर्ण एवं सामयिक रचना...बहुत सुंदर भाव पिरोया है आपने ..शास्त्री जी सुंदर रचना के लिए आभार..
जवाब देंहटाएंकविता के रूप में सुन्दर चिंतन सर..
जवाब देंहटाएंजन्मदिन पर आपकी शुभकामनाओं ने मेरा हौसला भी बढाया और यकीं भी दिलाया कि मैं कुछ अच्छा कर सकता हूँ.. ऐसे ही स्नेह बनाये रखें..
न जाने क्या हो गया है ...बहुत अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंek baar phir prabhaavshaali abhivyakti
जवाब देंहटाएं