शिष्ट मधुर व्यवहार, बहुत अच्छा लगता है। सपनों का संसार, बहुत अच्छा लगता है।। फूहड़पन के वस्त्र, बुरे सबको लगते हैं, जंग लगे से शस्त्र, बुरे सबको लगते हैं, स्वाभाविक श्रंगार, बहुत अच्छा लगता है। सपनों का संसार, बहुत अच्छा लगता है।। वचनों से कंगाल, बुरे सबको लगते हैं, जीवन के जंजाल, बुरे सबको लगते हैं, सजा हुआ घर-बार, बहुत अच्छा लगता है। सपनों का संसार, बहुत अच्छा लगता है।। चुगलखोर इन्सान, बुरे सबको लगते हैं, सूदखोर शैतान, बुरे सबको लगते हैं, सज्जन का सत्कार, बहुत अच्छा लगता है। सपनों का संसार, बहुत अच्छा लगता है।। लुटे-पिटे दरबार, बुरे सबको लगते हैं, दुःखों के अम्बार, बुरे सबको लगते हैं, हरा-भरा परिवार, बहुत अच्छा लगता है। सपनों का संसार, बहुत अच्छा लगता है।। मतलब वाले यार, बुरे सबको लगते हैं, चुभने वाले खार, बुरे सबको लगते हैं, निश्छल सच्चा प्यार, बहुत अच्छा लगता है। सपनों का संसार, बहुत अच्छा लगता है।। |
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
शनिवार, 18 सितंबर 2010
"अतीत के झरोखे से" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि &qu...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
कविता से व्यक्त आदर्श संसार बहुत अच्छा लगता है।
जवाब देंहटाएंमंच पर जमेगी ।
जवाब देंहटाएंप्रशंसनीय ।
ati sundar aur prabhaaveeeeeee
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंफ़ुरसत में … हिन्दी दिवस कुछ तू-तू मैं-मैं, कुछ मन की बातें और दो क्षणिकाएं, मनोज कुमार, द्वारा “मनोज” पर, पढिए!
अनजाने होकर भी अपनों सा प्यार,बहुत अच्छा लगता है।
जवाब देंहटाएंसपनों का संसार, बहुत अच्छा लगता है ॥
sundar!
जवाब देंहटाएंregards,
स्वाभाविक श्रंगार, बहुत अच्छा लगता है।.....
जवाब देंहटाएं-----------------------------
कृपया यह ना सोचे की एक महिला हूँ इसलिए यहाँ भी मेरी नज़र
श्रृंगार की पंक्ति पर ही रुकी :) पूरी रचना बहुत अच्छी लगी..... बधाई
मतलब वाले यार, बुरे सबको लगते हैं,
जवाब देंहटाएंचुभने वाले खार, बुरे सबको लगते हैं,
निश्छल सच्चा प्यार, बहुत अच्छा लगता है।
सपनों का संसार, बहुत अच्छा लगता है।।
ब्क़हुत जबर्दस्त, सुन्दर, संस्कार और व्यवहार लिये रचना बहुत अच्छी लगी। धन्यवाद।
शानदार कविता...
जवाब देंहटाएंशानदार कविता...
जवाब देंहटाएंअच्छी चीजें हमेशा अच्छी लगती हैं।
जवाब देंहटाएंअच्छी कविता भी!
बहुत अच्छे भाव और सच्ची बात.पर आज कल कौन इन्हें महत्व देता है.काश सबको ये बात समझ आ जाये.
जवाब देंहटाएंकाव्य के आनंद की अनुभूति हुई ।
जवाब देंहटाएं