गये साल को है प्रणाम! है नये साल का अभिनन्दन।। लाया हूँ स्वागत करने को थाली में कुछ अक्षत-चन्दन।। है नये साल का अभिनन्दन।। गंगा की धारा निर्मल हो, मन-सुमन हमेशा खिले रहें, हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई के, हृदय हमेशा मिले रहें, पूजा-अजान के साथ-साथ, होवे भारतमाँ का वन्दन। है नये साल का अभिनन्दन।। नभ से बरसें सुख के बादल, धरती की चूनर धानी हो, गुरुओं का हो सम्मान सदा, जन मानस ज्ञानी-ध्यानी हो, भारत की पावन भूमि से, मिट जाए रुदन और क्रन्दन। है नये साल का अभिनन्दन।। नारी का अटल सुहाग रहे, निश्छल-सच्चा अनुराग रहे, जीवित जंगल और बाग रहें, सुर सज्जित राग-विराग रहें, सच्चे अर्थों में तब ही तो, होगा नूतन का अभिनन्दन। है नये साल का अभिनन्दन।। |
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
रविवार, 1 जनवरी 2012
"नये साल का अभिनन्दन" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि ...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
वाह नववर्ष का प्रारम्भ एक सुंदर रचना से...
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी! प्रणाम.. नववर्ष हेतु असंख्य शुभकामनाएं!!!!!
जवाब देंहटाएंWell done .
जवाब देंहटाएंसभी पाठकों और संरक्षकों को नववर्ष की मंगलकामनायें!
भाषा और प्रेज़ेन्टेशन सभी कुछ दिलकश !!
http://shekhchillykabaap.blogspot.com/
sunder abhinandan ....!!
जवाब देंहटाएंनववर्ष की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी प्रस्तुति आज के तेताला का आकर्षण बनी है
जवाब देंहटाएंतेताला पर अपनी पोस्ट देखियेगा और अपने विचारों से
अवगत कराइयेगा ।
http://tetalaa.blogspot.com/
बहूत सुंदर रचना है...
जवाब देंहटाएंनववर्ष कि शुभकामनाये
आपको भी ढेरों शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंनये साल को हमारा भी प्रणाम.
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी कामना है. कविता भी उतनी ही अच्छी है.
जवाब देंहटाएंजमाल साहब राम-राम करने से भी बहुत शांति मिलेगी.
एक सार्थक रचना प्रस्तुत करने के लिए शास्त्री का आभार
जवाब देंहटाएं@ भारतीय नागरिक जी ! आपने बिल्कुल सही बात कही है कि राम-राम करने से भी बहुत शांति मिलती है। नमाज़ में भी राम का ही नाम लिया जाता है।
इसी के साथ आप यह भी जान लें कि रूमाल की जगह रूमाल और चादर की जगह चादर ही काम आती है।
सुमिरन के लाभ अपनी जगह हैं लेकिन धरती से अन्याय और भ्रष्टाचार का ख़ात्मा केवल ईश्वर अल्लाह के आदेश निर्देश पर ही चलकर हो सकता है, केवल उसका नाम जपने से या कोई आंदोलन चलाने से नहीं हो सकता।
विफल आंदोलनों की लंबी सूची यही बता रही है।
यह धरती कभी आध्यात्मिकता से भरी पूरी हुआ करती थी लेकिन आज अध्यात्म और योग को भी व्यवसाय बना लिया गया है।
राम नाम जो शांति देता है, उसे भी अशांति फैलाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
ईश्वर-अल्लाह की यह आज्ञा तो कहीं भी नहीं है और किसी भी भाषा में नहीं है।
आदरणीय रूपचंद शास्त्री ने भी अपनी प्रस्तुत रचना में सभी वर्गों के मध्य आपसी प्रेम पर ही बल दिया है। उनका चिंतन सकारात्मक है। एक सार्थक रचना प्रस्तुत करने के लिए शास्त्री का आभार !
Ram in muslim poetry,चराग़ ए हिदायत और इमाम ए हिन्द हैं राम - Anwer Jamal
नव वर्ष का सुंदर अभिनन्दन!!!!!बधाई ,.....
जवाब देंहटाएंनया साल सुखद एवं मंगलमय हो,....
--"नये साल की खुशी मनाएं"--
सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंनववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ
आपको नव-वर्ष 2012 की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंआप को सपरिवार नव वर्ष 2012 की ढेरों शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंइस रिश्ते को यूँ ही बनाए रखना,
दिल मे यादो क चिराग जलाए रखना,
बहुत प्यारा सफ़र रहा 2011 का,
अपना साथ 2012 मे भी इस तहरे बनाए रखना,
!! नया साल मुबारक !!
आप को सुगना फाऊंडेशन मेघलासिया, आज का आगरा और एक्टिवे लाइफ, एक ब्लॉग सबका ब्लॉग परिवार की तरफ से नया साल मुबारक हो ॥
सादर
आपका सवाई सिंह राजपुरोहित
एक ब्लॉग सबका
आज का आगरा
nutan var4sh ki hardik shubhkamnae ..
जवाब देंहटाएंआपको भी नववर्ष की शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना सर, सादर बधाई और नूतन वर्ष की सादर शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ढंग से किया गया नूतन वर्ष का अभिनंदन!
जवाब देंहटाएं