भाँति-भाँति के हो रहे, ज़ालजगत पर कर्म। शब्द-शब्द में है छिपा, धर्म-कर्म का मर्म।१। अंकित होते हैं यहाँ, जीवन के अनुभाव। कुछ शीतल से लेप हैं, कुछ देते हैं घाव।२। भरा पिटारा ज्ञान का, देखो इसको खोल। इस गठरी में भरे हैं, शब्द बहुत अनमोल।३। सजा हुआ इस हाट में, सभी तरह का माल। घूम-घूम कर मुफ्त में, भर लो खाली थाल।४। उड़नतश्तरी से हुई, दूर देश में बात। सुविधा अन्तर्जाल की, दे जाती सौगात।५। |
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गुरुवार, 12 जनवरी 2012
"दोहे-ज़ालजगत पर कर्म" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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ब्लॉगजगत का जाल ढाकता सकल जगत को।
जवाब देंहटाएंsundar dohe hain guru ji, sajeev ekdum!
जवाब देंहटाएंदोहों की सौगात मिली फिर ब्लॉगजगत को।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया..!
जवाब देंहटाएंkalamdaan.blogspot.com
इन्टरनेट और ब्लॉग दोनों ही बड़े महत्वपूर्ण हो गए हैं.
जवाब देंहटाएंवाह...
जवाब देंहटाएंसही है इंटरनेट सच में बहुत बड़ी सौगात है..
शुद्ध हिंदी में तो और भी चमत्कारिक लगता है :-)
भरा पिटारा ज्ञान का, देखो इसको खोल।
जवाब देंहटाएंइस गठरी में भरे हैं, शब्द बहुत अनमोल।
सच कहा है... किन्तु अभी ब्लोगजगत शिशु-अवस्था मे है... लोग पढ़ते कम बस फोलोवर्स और टिप्पणियों की चिंता मे लगे रहते हैं...
ब्लोगजगत पे मुझे तो लगता है पाठक कम हैं ब्लॉगर ज्यादा हैं...
ख़बरों और रचनाओं से भेंट कराता है यह अंतरजाल | बहुत खूब लिखा है आपने |
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंअंतर्जाल की महिमा अपरम्पार:)
जवाब देंहटाएंआपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंशुक्रवारीय चर्चा मंच पर
charchamanch.blogspot.com
हमारा ब्लॉग जगत महान.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया..इंटरनेट का अंतरजाल....
जवाब देंहटाएंब्लॉग जगत हमें बहुत दूर तक जोड़ कर एक परिवार के रूप में आकार दे रहा है..
जवाब देंहटाएंक्या बात है
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया
बहुत खूब, बढिया.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया भाई साहब आपका .आप तशरीफ़ लाए .ब्लॉग जगत की महिमा लाए .
जवाब देंहटाएंकुछ शीतल से लेप हैं, कुछ देते हैं घाव।
जवाब देंहटाएंबातों-बातों में आपने बहुत बड़ी बात कह दी है।
अगर ये नहोता तो हम आप आज कहाँ मिल पाते बहुत सुंदर प्रस्तुति,बेहतरीन
जवाब देंहटाएं--काव्यान्जलि--
बढिया है....
जवाब देंहटाएंअंतर जाल का महत्व बताती अच्छी अभिव्यक्ति |
जवाब देंहटाएंआशा
मेरे ब्लॉग पर भी घाव नहीं,शीतल लेप ही है।
जवाब देंहटाएंवाह ...बहुत खूब ।
जवाब देंहटाएंdekho kitna achcha hai antarjaal.hum logon ka time pass to is anterjaal se hi hota hai.science ki yeh bahut badi uplabdhi hai.bahut sundar likha hai.
जवाब देंहटाएंbahut umda prastuti...badahai
जवाब देंहटाएंवाह ...बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसजा हुआ इस हाट में, सभी तरह का माल।
जवाब देंहटाएंघूम-घूम कर मुफ्त में, भर लो खाली थाल
क्या बात है शास्त्री,आपका माल तो बेशकिमती
है जी.हम तो निहाल हो जाते हैं आपकी दुकान पर आकर.
मकर सक्रांति और लोहड़ी की बधाई और शुभकामनाएँ.
शास्त्री जी लिखा था.
जवाब देंहटाएंत्रुटि के लिए क्षमा शास्त्री जी.
आपकी पोस्ट आज की ब्लोगर्स मीट वीकली (२६) मैं शामिल की गई है /आप मंच पर आइये और अपने अनमोल सन्देश देकर हमारा उत्साह बढाइये /आप हिंदी की सेवा इसी मेहनत और लगन से करते रहें यही कामना है /आभार /लिंक है
जवाब देंहटाएंhttp://www.hbfint.blogspot.com/2012/01/26-dargah-shaikh-saleem-chishti.html