♥ एक दोहा ♥
देव भूमि में हो रहा, निर्वाचन का काम।
मैले इस तालाब में, कैसे करें हमाम।।
♥ तीन मुक्तक ♥
एक सुमन खिल जायेगा, मुरझायेंगे कई,
छल की भरी शराब है, बोतल बदल गई।
आये हैं लाखों खर्चकर, पायेंगे सौ करोड़,
मिल जायेगी कुर्सी जिसे, मुस्काएगा वही।।
सत्ता का सुख मिला तो भाग्यवान हो गया,
बिरुआ बबूल का तो नौजवान हो गया।
युवराज बनके उसने विरासत सम्भाल ली,
लिक्खा-पढ़ा हुआ तो बेजुबान हो गया।।
मक्कार-बेईमान ताल ठोक कर खड़े हुए,
ईमानदार जाँच के बबाल में पड़े हुए।
खाते लज़ीज़ माल देश का कसाब हैं,
गद्दार आज कीर्तिमान पर अड़े हुए।।
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सोमवार, 30 जनवरी 2012
"एक दोहा-तीन मुक्तक" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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बहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना,बेहतरीन वाजिब प्रस्तुति,
जवाब देंहटाएंwelcome to new post --काव्यान्जलि--हमको भी तडपाओगे....
अब क्या मिसाल दूं मैं आपके कलाम की.
जवाब देंहटाएंतीखा व्यंग्य किया है आपने अच्छा लगा |
जवाब देंहटाएंडुबुकी तो लगाना ही पड़ेगी..
जवाब देंहटाएंराजनीति पर दोहा और मुक्तक ...दोनों ही लाजबाब
जवाब देंहटाएंदेश के वर्तमान राजनीतिक माहौल पर बहुत अच्छा और सटीक लिखा।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सृजन , बधाई.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर और सटीक प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंसुंदर और सटीक
जवाब देंहटाएंSUNDAR RACHNA.KHOOB KAHI AUR HAM NE BHI KHOOB PADHI
जवाब देंहटाएंTEEKHI BAT,TEEN MUKTAKON ME.Badhaie
लाजबाब,बहुत सुंदर प्रस्तुति,
जवाब देंहटाएंएक ब्लॉग सबका '
वाह सभी एक से बढकर एक हैं , बहुत ही सुंदर
जवाब देंहटाएंदेव भूमि में हो रहा, निर्वाचन का काम।
जवाब देंहटाएंमैले इस तालाब में, कैसे करें हमाम।।
vaah dadu....
kya andaaz hai..
लजीज माल खाए कसाब
जवाब देंहटाएंदेगा इसका कौन हिसाब
सत्ता का ये खेल है न्यारा
वाह जनाब! वाह वाह जनाब!!
rajneeti par vyangatmak dohe aur muktak kamaal ke hain.
जवाब देंहटाएंएक से बढ़कर एक....
जवाब देंहटाएं