जल में-थल में, नीलगगन में, छाया है देखो उजियारा। सबकी आँखों में सजता है, रूप बसन्ती प्यारा-प्यारा।। कलियाँ चहक रही उपवन में, गलियाँ महक रही मधुबन में, कल-कल, छल-छल करती धारा। सबकी आँखों में सजता है, रूप बसन्ती प्यारा-प्यारा।। पंछी कलरव गान सुनाते, तोते आपस में बतियाते, दहका टेसू बन अंगारा। सबकी आँखों में सजता है, रूप बसन्ती प्यारा-प्यारा।। सूरज जन-जीवन को ढोता, चन्दा शीतल-शीतल होता, दोनों हरते हैं अंधियारा। सबकी आँखों में सजता है, रूप बसन्ती प्यारा-प्यारा।। भँवरे गुन-गुन करते आते, कलियों फूलों पर मँडराते, मौसम ने मधुमास सँवारा। सबकी आँखों में सजता है, रूप बसन्ती प्यारा-प्यारा।। |
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रविवार, 29 जनवरी 2012
"रूप बसन्ती प्यारा-प्यारा" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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बसंत पर्व की बधाई | बसंती पोस्ट ने मन मोह लिया | आभार |
जवाब देंहटाएंदिल्ली जैसी जगह में रहकर इस तरह की सुंदर कविता नहीं लिखी जा सकती ☺
जवाब देंहटाएंबसंत ऋतू की बहुत-बहुत बधाई !
जवाब देंहटाएंbahut pyara vasanti geet.badhaai aapko.
जवाब देंहटाएंpharmacy emergency uk http://sundrugstore.net/products/vasotec.htm changing the world in the field of pharmacy
जवाब देंहटाएंबसंत ऋतू की बहुत-बहुत बधाई !
जवाब देंहटाएंबसन्त आपकी पंक्तियों में भी उतर आया है।
जवाब देंहटाएंसुन्दर...वासंती रचना...
जवाब देंहटाएंशुभकामनाये
मनमोहक ....बसंत के रंग
जवाब देंहटाएंबासंती रंगो से रंगी सुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 30-01-2012 को सोमवारीय चर्चामंच पर भी होगी। सूचनार्थ
बसंत पर्व की बधाई
जवाब देंहटाएंएक श्रेष्ठ रचना !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर बसन्ती रचना,बेहतरीन प्रस्तुति,
जवाब देंहटाएंwelcome to new post ...काव्यान्जलि....
बसंत तो हर कवी की प्रेरणा है ..
जवाब देंहटाएंबसंत पंचमी की शुभकामनायें..
kalamdaan.blogspot.com
सुन्दर, सुन्दर और सुन्दर कविता...
जवाब देंहटाएंखूबसूरत वासंती गीत !
जवाब देंहटाएंपंछी कलरव गान सुनाते,
जवाब देंहटाएंतोते आपस में बतियाते,
दहका टेसू बन अंगारा।
सबकी आँखों में सजता है,
रूप बसन्ती प्यारा-प्यारा।।
पुलकित करता प्रकृति नटी का सुन्दर चित्र .
टेसू के रंग शाष्त्री जी के संग .
बहुत ही प्यारी रचना.....
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