दिल-ए-ज़ज़्बात जब पिघलते हैं शब्द तब शायरी में ढलते हैं चैन मिलता नहीं है रातों को ख़वाब में करवटें बदलते हैं संग-ए-दिल में दबे हुए शोले वक्त के साथ ही मचलते हैं ग़म की बदली या धूप हो सुख की अश्क आँखों से ही निकलते हैं ईद-क्रिसमस हो या दिवाली हो जब खुशी हो चराग़ जलते हैं “रूप” ग़ुल का वहाँ निखरता है शोख़ अरमान जहाँ पलते हैं |
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सोमवार, 23 जनवरी 2012
"ज़ज़्बात जब पिघलते हैं" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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दिल-ए-ज़ज़्बात जब पिघलते हैं
जवाब देंहटाएंशब्द तब शायरी में ढलते हैं
ग़म की बदली या धूप हो सुख की
अश्क आँखों से ही निकलते हैं...
बहुत ख़ूबसूरत पंक्तियाँ ! चित्र बहुत सुन्दर लगा! शानदार रचना!
Really very niceeeeee
जवाब देंहटाएंखूब लिखा......
जवाब देंहटाएंबेहतरीन....!!
एक बार फिर बहुत बढ़िया कविता. दाद तो देनी ही पड़ेगी.
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी,बहुत सुंदर लिखा आपने,...बधाई
जवाब देंहटाएंबेहतरीन पोस्ट....
new post...वाह रे मंहगाई...
भारतीय नागरिक - Indian Citizen 4:16 अपराह्न (4 मिनट पहले)
जवाब देंहटाएंभारतीय नागरिक - Indian Citizen ने आपकी पोस्ट " "ज़ज़्बात जब पिघलते हैं" (डॉ.र...
भारतीय नागरिक - Indian Citizen द्वारा blogger.bounces.google.com
4:16 अपराह्न (4 मिनट पहले)
मुझे
भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने आपकी पोस्ट " "ज़ज़्बात जब पिघलते हैं" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ... " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:
एक बार फिर बहुत बढ़िया कविता. दाद तो देनी ही पड़ेगी.
रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
4:21 अपराह्न (0 मिनट पहले)
भारतीय
आपकी टिप्पणी मेल में तो आ जाती है मगर ब्लॉग पर दिखाई नहीं देती है!
क्या कारण होगा?
23 जनवरी 2012 4:16 अपराह्न को, भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने लिखा:
क्या बात है..बहुत खूब.
जवाब देंहटाएं@आपकी टिप्पणी मेल में तो आ जाती है मगर ब्लॉग पर दिखाई नहीं देती है!
जवाब देंहटाएंक्या कारण होगा?
स्पाम फोल्डर चेक करिये.
वाह जी वाह, क्या खूब लिखा है।
जवाब देंहटाएंचैन मिलता नहीं है रातों को
जवाब देंहटाएंख़वाब में करवटें बदलते हैं waah
दिल-ए-ज़ज़्बात जब पिघलते हैं
जवाब देंहटाएंशब्द तब शायरी में ढलते हैं...बहुत ख़ूबसूरत पंक्तियाँ ..आभार..
चैन मिलता नहीं है रातों को
जवाब देंहटाएंख़वाब में करवटें बदलते हैं,
atisundar panktiyan haen .
bahut umda ghazal ...vaah..vaah
जवाब देंहटाएंग़म की बदली या धूप हो सुख की
जवाब देंहटाएंअश्क आँखों से ही निकलते हैं
बेहतरीन रचना...
जिन रातों में नींद उड़ जाती है
जवाब देंहटाएंक्या कहर की रातें होती है
दरवाज़ों से टकरा जाते हैं
दीवारों से बातें होती है :)
बहुत सुंदर बात कही आपने --
जवाब देंहटाएंग़म की बदली या धूप हो सुख की
अश्क आँखों से ही निकलते हैं.
दिल-ए-ज़ज़्बात जब पिघलते हैं
जवाब देंहटाएंशब्द तब शायरी में ढलते हैं
बहुत सुंदर !
हमने देवनागरी मै कर लिया हिन्दी दुनिया ।
जवाब देंहटाएंहमने इसलिए अंग्रेजी मै लिखा था क्यो कि जो ओपेरा इस्तमाल करते होगे उन्हे हिन्दी ठिक से नही दिखता ।
धन्यवाद
हिंदी दुनिया
bahut pasand aayee......
जवाब देंहटाएंबढ़िया ग़ज़ल ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएंkalamdaan.blogspot.com
सही में शास्त्री जी, मज़ा आ गया इसे पढ़कर!!
जवाब देंहटाएं“रूप” ग़ुल का वहाँ निखरता हैशोख़ अरमान जहाँ पलते हैं..बहुत अच्छी लगी गजल। बधाई।
जवाब देंहटाएंदिल-ए-ज़ज़्बात जब पिघलते हैं
जवाब देंहटाएंशब्द तब शायरी में ढलते हैं
बहुत सुन्दर
अच्छी गज़ल
जवाब देंहटाएंमनोज कुमार mr.manojiofs@gmail.com द्वारा blogger.bounces.google.com
जवाब देंहटाएं10:29 अपराह्न (7 घंटे पहले)
मुझे
मनोज कुमार ने आपकी पोस्ट " "ज़ज़्बात जब पिघलते हैं" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ... " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:
सही में शास्त्री जी, मज़ा आ गया इसे पढ़कर!!
संगीता स्वरुप ( गीत )
जवाब देंहटाएं12:57 पूर्वाह्न (5 घंटे पहले)
मुझे
संगीता स्वरुप ( गीत ) ने आपकी पोस्ट " "ज़ज़्बात जब पिघलते हैं" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ... " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:
अच्छी गज़ल
संग-ए-दिल में दबे हुए शोले
जवाब देंहटाएंवक्त के साथ ही मचलते हैं.waah.
रूप यूँ ही निखरता रहे, ईश्वर से प्रार्थना है..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सटीक गज़ल। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंबहुत कमाल का शेर...
जवाब देंहटाएंदिल-ए-ज़ज़्बात जब पिघलते हैं
शब्द तब शायरी में ढलते हैं
बेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंकल 25/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है, ।। वक़्त इनका क़ायल है ... ।।
धन्यवाद!
दिल-ए-ज़ज़्बात जब पिघलते हैं
जवाब देंहटाएंशब्द तब शायरी में ढलते हैं
चैन मिलता नहीं है रातों को
ख़वाब में करवटें बदलते हैं
बहुत खूबसूरत गज़ल
zazbaat jab pighalte hai
जवाब देंहटाएंsoch ke daayre badal jaate hein
khyaalon ke baandh tak toot jaate hein
umdaa rachnaa
बहुत गहरे भाव छिपे हैं इस रचना में |
जवाब देंहटाएं'गम की बदली हो या धुप हो सुख की
अश्क आँखों से ही निकलते हैं '\
बहुत खूब |
आशा
बहुत खूब..
जवाब देंहटाएंअच्छी गज़ल..
बहुत खूब सर!
जवाब देंहटाएंसादर
ग़म की बदली या धूप हो सुख की
जवाब देंहटाएंअश्क आँखों से ही निकलते हैं
zindagi ki haqeeqat bayan hai gazal ke har sher mein...
badhayi....
“रूप” ग़ुल का वहाँ निखरता है
जवाब देंहटाएंशोख़ अरमान जहाँ पलते हैं
सच में मन को भा गई ये ग़ज़ल
और सच अच्छा ही होता है....
सादर
यशोदा
Gam ki badli ho ya dhoop ho sukh ki
जवाब देंहटाएंAshk ankho se hi niklte hai
SUNDAR BAHUT HI SUNDAR
KAYAL HOO AAP KA
कमाल की अभियक्ति
जवाब देंहटाएंबेहतरीन गजल.