सर्दी जाते-जाते, सबको दे जाएगी नवउपहार। जन-जीवन में छाएगा, फिर वासन्ती शृंगार।। गेंहूँ भी लहरायेंगे, फिर से सरसों फूलेगी, टेसू-सेमल की कलियाँ, फिर डाली पर झूलेंगी, मिलकर फाग मनाएगा, फिर से पूरा परिवार। जन-जीवन में छाएगा, फिर वासन्ती शृंगार।१। चन्दा देगा सुखद चाँदनी, सूरज हँसी हँसेगा, जड़-चेतन के नयनों में, फिर से मधुमास बसेगा, जीवन के यापन करने को, मिल जाएगा फिर आधार। जन-जीवन में छाएगा, फिर वासन्ती शृंगार।२। प्रीत-रीत में सने, बसन्ती रँग फिर से बरसेंगे, पा करके धन-धान्य, हमारे मनवा फिर हर्षेंगे, फिर उदास चेहरों पर, आ जायेगा नवल निखार। जन-जीवन में छाएगा, फिर वासन्ती शृंगार।३। नव सम्वत्सर आयेगा, फिर से नवरात्र मनेंगे, नयी ऊर्जा मन में होगी, बिगड़े काम बनेंगे, सपनों के संकल्प सलोने, फिर होंगे साकार। जन-जीवन में छाएगा, फिर वासन्ती शृंगार।४। भाँति-भाँति के सुमन-सजीले, महकेंगे आँगन में, मधुमक्खी, तितली-भँवरे, फिर चहकेंगे उपवन में, सम्बन्धों के नये सूत्र , फिर से लेंगे आकार। जन-जीवन में छाएगा, फिर वासन्ती शृंगार।५। नये-नये सम्बल होंगे, नूतन आयाम बनेंगे, हँसी-खुशी के साथ हमारे, सब त्यौहार मनेंगे, आपस में सौहार्द्र बढ़ेगा, भायेगा तब ये संसार। |
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
शुक्रवार, 6 जनवरी 2012
"भायेगा तब ये संसार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि &qu...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
Photo umda,
जवाब देंहटाएंapki rachna umda.
Waah...
विश्व संस्कृति की तरह ही भारतीय संस्कृति भी बड़ी अद्भुत है।
http://mypoeticresponse.blogspot.com/2012/01/blog-post.html
बहुत प्यारी आशावादी रचना...
जवाब देंहटाएंसुबह की शुभ शुरुआत..
सादर.
पतझड़ के बाद वसंत आता ही है ...
जवाब देंहटाएंखूबसूरत चित्र और कविता!
आशान्वित करती बढ़िया प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंbahut pyari rachna ..basant ke aagman par jab dharti kar uthti shringaar .. bahut khoobsoorat ..
जवाब देंहटाएंNav varsh par aapko mangalkaamnayen
वाह! बहुत ही बढ़िया!
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया प्रस्तुति,सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंnew post--जिन्दगीं--
khoobsurat rachna hai malik
जवाब देंहटाएंआशा का संचार करती सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंरूपचन्द्र शास्त्री मयंक shared a post with you.
जवाब देंहटाएं"भायेगा तब ये संसार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
सर्दी जाते-जाते, सबको दे जाएगी नवउपहार।
जन-जीवन में छाएगा, फिर वासन्ती शृंगार।।
गेंहूँ भी लहरायेंगे, फिर से सरसों फूलेगी,
टेसू-सेमल की कलियाँ, फिर डाली पर झूलेंगी,
मिलकर फाग मनाएगा, फिर से पूरा परिवार।
जन-जीवन में छाएगा, फिर वासन्ती शृंगार।१।
चन्दा देगा सुखद चाँदनी, सूरज हँसी हँसेगा,
जड़-चेतन के नयनों में, फिर से मधुमास बसेगा,
जीवन यापन करने का मिल जाएगा फिर से आधार।
जन-जीवन में छाएगा, फिर वासन्ती शृंगार।२।
प्रीत-रीत में सने, बसन्ती रँग फिर से बरसेंगे,
पा करके धन-धान्य, हमारे मनवा फिर हर्षेंगे,
फिर उदास चेहरों पर, आ जायेगा नवल निखार।
जन-जीवन में छाएगा, फिर वासन्ती शृंगार।३।
नव सम्वत्सर आयेगा, फिर से नवरात्र मनेंगे,
नयी ऊर्जा मन में होगी, बिगड़े काम बनेंगे,
सपनों के संकल्प सलोने, फिर होंगे साकार।
जन-जीवन में छाएगा, फिर वासन्ती शृंगार।४।
भाँति-भाँति के सुमन-सजीले, महकेंगे आँगल में,
मधुमक्खी, तितली-भँवरे, फिर चहकेंगे उपवन में,
सम्बन्धों के नये सूत्र , फिर से लेंगे आकार।
जन-जीवन में छाएगा, फिर वासन्ती शृंगार।५।
प्रकृति नटी के सौन्दर्य को मुखरित करती बढ़िया रचना .
बहुत सुंदर..!!
जवाब देंहटाएंwh!!! kya kahne hain...:)
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत ही बढ़िया...........
जवाब देंहटाएंउत्साह के नवल रंग जगाती कविता..
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत रचना !
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया रचना शास्त्री जी |
जवाब देंहटाएं'जन जीवन में छाएगा वासंती श्रृंगार "
जवाब देंहटाएंसदा की तरह जीवंत रचना | आपके ब्लॉग पर आकर आपकी रचनाओं को पढ़ कर पुँनः उल्लसित हो जाती हूँ |
बहूत सुंदर रचना है..
जवाब देंहटाएंआंखो के सामने तो जैसे प्रकृती का सुंदर चित्र आ गया...
आपकी किसी पोस्ट की चर्चा नयी पुरानी हलचल पर कल शनिवार 7/1/2012 को होगी । कृपया पधारें और अपने अनमोल विचार ज़रूर दें। आभार.
जवाब देंहटाएंप्रकृति का नया रूप और उस का बेहतरीन चित्रण.
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब!!
जवाब देंहटाएंवाह ! वसंत की तो छटा ही निराली है ..उसपर सरसों महकती ..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चित्रण किया है..
ऋतू बंसल
kalamdaan.blogspot.com
शानदार गीत सर...
जवाब देंहटाएंसादर बधाई..
bahut khoobsoorat rachna
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत गीत ..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना...
जवाब देंहटाएंबसंत आने में थोडा सा वक्त अभी बाकि हैं
जवाब देंहटाएंखूबसूरत पेशकश
बहुत सुंदर मन के भाव ...
जवाब देंहटाएंप्रभावित करती रचना ...