तीन साल का लेखा जोखा (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’) मित्रों! आज से ठीक 3 साल पहले 21 जनवरी, 2009 को हिन्दी ब्लॉगिंग की दुनिया में मैंने अपना कदम बढ़ाया था। ये तीन साल न जाने कैसे गुज़र गये मुझे पता ही न लगा। ऐसा लगता है कि यह कल ही की बात है। उस समय मेरी रचनाओं ने 100 का आँकड़ा भी पार नहीं किया था। लेकिन दिन गुजरते गये और रचनाएँ बढ़ती गईं। जिनकी संख्या बढ़कर अब 2000 के आस-पास पहुँच गई हैं। मैं यह तो नहीं कहूँगा कि यह मेरी लगन और निष्ठा का परिणाम है। लेकिन इतना जरूर है कि मैं जिस किसी काम को हाथ में लेता हूँ उसमें तन-मन-धन से लग जाता हूँ। सबसे पहले मैंने अपना ब्लॉग “उच्चारण” के नाम से बनाया था। जिस पर आज की तारीख में 1095 दिनों में 1206 पोस्ट लग चुकी हैं और 419 समर्थक हैं मेरे। यहाँ मैंने सबसे पहली रचना लगाई- सुख का सूरज उगे गगन में, दु:ख के बादल छँट जायें। हर्ष हिलोरें ले जीवन में, मन की कुंठा मिट जायें। चरैवेति के मूल मंत्र को अपनाओ निज जीवन में- झंझावातों के काँटे पगडंडी पर से हट जायें। उन दिनों श्रीमान ताऊ रामपुरिया पहेली का एक मात्र ब्लॉग चलाते थे तो मेरे भी मन में आया कि क्यों न अपनी श्रीमती जी के नाम पर एक ब्लॉग बना लिया जाए। अतः दिनांक 19 फरवरी को “अमर भारती” के नाम से ब्लॉग बना लिया। जिसके 82 समर्थक है और 230 पोस्ट यहाँ भी लगी हुई है। इसके बाद मैंने 30 अप्रैल, 2009 में “शब्दों के दंगल” के नाम से गद्य का एक ब्लॉग बनाया। जिस पर अब तक 191 पोस्ट लग चुकी हैं और समर्थकों की संख्या 153 हो गई है। इसकी शुरूआत की इस रचना से- "दंगल अब तैयार हो गया।" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') शब्दों के हथियार संभालो, सपना अब साकार हो गया। ब्लॉगर मित्रों के लड़ने को, दंगल अब तैयार हो गया।। करो वन्दना सरस्वती की, रवि ने उजियारा फैलाया, नई-पुरानी रचना लाओ, रात गयी अब दिन है आया, गद्य-पद्य लेखनकारी में शामिल यह परिवार हो गया। ब्लॉगर मित्रों के लड़ने को, दंगल अब तैयार हो गया।। देश-प्रान्त का भेद नही है, भाषा का तकरार नही है, ज्ञानी-ज्ञान, विचार मंच है, दुराचार-व्यभिचार नही है, स्वस्थ विचारों को रखने का, माध्यम ये दरबार हो गया। ब्लॉगर मित्रों के लड़ने को, दंगल अब तैयार हो गया।। सावधान हो कर के अपने, तरकश में से तर्क निकालो, मस्तक की मिक्सी में मथकर, सुधा-सरीखा अर्क निकालो, हार न मानो रार न ठानो, दंगल अब परिवार हो गया। ब्लॉगर मित्रों के लड़ने को, दंगल अब तैयार हो गया।। इसके बाद मैंने “मयंक की डायरी” के नाम से एक और ब्लॉग बनाया। जो मैं बनाना नहीं चाहता था। लेकिन मेरे एक मित्र अपना ब्लॉग बनवाने के लिए मेरे पास आये और मैंने उनका ब्लॉग बनाया तो यह मेरे ही नाम से बन गया। खैर मैंने प्रभू की देन समझकर इस नाजायज सन्तान के अपना नाम देकर अपना लिया। इस पर पोस्ट लगी हैं 176 और समर्थक 85 हैं। इस पर 19 मई, 2009 को सबसे पहली पोस्ट थी- ‘‘चन्दा और सूरज’’ (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’) चन्दा में चाहे कितने ही, धब्बे काले-काले हों। सूरज में चाहे कितने ही, सुख के भरे उजाले हों। लेकिन वो चन्दा जैसी शीतलता नही दे पायेगा। अन्तर के अनुभावों में, कोमलता नही दे पायेगा।। सूरज में है तपन, चाँद में ठण्डक चन्दन जैसी है। प्रेम-प्रीत के सम्वादों की, गुंजन वन्दन जैसी है।। सूरज छा जाने पर पक्षी, नीड़ छोड़ उड़ जाते हैं। चन्दा के आने पर, फिर अपने घर वापिस आते हैं।। सूरज सिर्फ काम देता है, चन्दा देता है विश्राम। तन और मन को निशा-काल में, मिलता है पूरा आराम।। 4 नवम्बर, 2009 को एक ब्लॉग मैंने ब्लॉगर मित्रों के नाम पते सहेजने के लिए डायरेक्ट्री के नाम से बनाया। लेकिन उस पर 100 से अधिक नाम-पते नहीं मिल सके और इसका नाम बाल चर्चा मंच रख दिया। लेकिन बाल साहित्य के बहुत ही थोड़े सले ब्लॉग थे और उनमें से अधिकांश पर नियमित पोस्टें लहीं लगती थीं। इस लिए मैंने अब इसका नाम “धरा के रंग” रख दिया है। इसके बाद मैंने चर्चाकार के रूप में ब्लॉगिंग की दुनिया में पदार्पण किया और चर्चा मंच पर "दिल है कि मानता नही" के नाम से पहली चर्चा 18 दिसम्बर, 2009 को लगाई। चर्चा मंच के आज की तारीख में 759 समर्थक है और चर्चाओं का आँकड़ा 765 को पार कर गया है। दिनांक 9 मई, 2010 को मैंने बालसाहित्य का एक ब्लॉग बनाया और इसको नाम दिया “नन्हे सुमन”। जिस पर 158 पोस्ट और समर्थकों की संख्या 88 है। बच्चों को समर्पित इस ब्लॉग पर मेरी सबसे पहली रचना थी- “तार वीणा के बजे बिन साज सुन्दर।” (मयंक) कह दिया मेरे सुमन ने आज सुन्दर। तार वीणा के बजे बिन साज सुन्दर ।। ज्ञान की गंगा बही, विज्ञान पुलकित हो गया, आकाश झंकृत हो गया, संसार हर्षित हो गया, नाम से माँ के हुआ आगाज़ सुन्दर । तार वीणा के बजे बिन साज सुन्दर ।। बेसुरे से राग में, अनुराग भरने को चला हूँ, मैं बिना पतवार, सरिता पार करने को चला हूँ, माँ कृपा करदो, बनें सब काज सुन्दर । तार वीणा के बजे बिन साज सुन्दर ।। वन्दना है आपसे, रसना में माँ रस-धार दो, लेखनी चलती रहे, शब्दो को माँ आधार दो, असुर भागें, हो सुरों का राज सुन्दर । तार वीणा के बजे बिन साज सुन्दर ।। उत्तराखण्ड की धरती पर रहने के कारण दिनांक को एक ब्लॉग “देवभूमि चिट्ठाकार समिति” दिनांक 23 फरवरी, 2011 को बनाया। इस पर 18 पोस्ट लगी है और समर्थक भी 18 ही हैं। ब्लॉगवाणी और चिट्टाजगत एगेरीगेटरों के बन्द हो जाने के कारण मैंने अपना एक ब्लॉग एग्रीगेटर “ब्लॉग मंच” के नाम से 31 दिसम्बर, 2010 को बनाया। इस पर अब तक 12 पोस्टों के साथ 124 समर्थक भी है। नये चर्चाकारों को चर्चा मंच में सहयोगी बनाने के उद्देश्य से मैंने दिनांक को “टेस्ट चर्चा मंच" के नाम से भी एक ब्लॉग 20 सितम्बर, 2010 को बनाया। इस पर भी 12 पोस्ट लगही हैं और समर्थकों की संख्या 14 है। अपने पौत्र प्रांजल और पौत्री प्राची के नाम से भी एक ब्लॉग को मूर्त रूप दिया दिनांक 18 सितम्बर, 2011 को। "प्रांजल-प्राची" पर 8 बालरचनाएं अब तक आ चुकी हैं और समर्थकों की संख्या 11 हो गई है। इस पर पहली बाल कविता थी- "मेरी गुड़िया" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
हिन्दी ब्लॉगिंग में आने का मुझे सबसे बड़ा लाभ यह मिला कि जनवरी 2011 में मेरी दो पुस्तकें “सुख का सूरज” (हिन्दी कविताएँ) और “नन्हे सुमन” (बाल कविताएँ) प्रकाशित हुईं। इसके बाद अक्टूबर 2011 में “धरा के रंग” (हिन्दी कविताएँ) और “हँसता गाता बचपन” (बाल कविताएँ) भी प्रकाशित हो गईं। इसके साथ ही मैंने दर्जनों मित्रों के ब्लॉग और उनके खूबसूरत हैडर भी बड़े ही मनोयोग से बनाए। यह थी इण्टरनेट पर मेरी तीन साल की कारगुजारी। |
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
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शनिवार, 21 जनवरी 2012
तीन साल का लेखा जोखा (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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सचमुच अद्भुत सफ़र रहा ...!
जवाब देंहटाएंएक साथ इतने ब्लॉग को संभालना
सब के बस की बात नहीं !
आपके इस कार्य-कौशल को मेरा नमन !
आपके इन तीन सालों की लगन और मेहनत के साथ लेखन कला को मेरा नमन,परिवार के साथ इतने सारे ब्लॉग संभालना,सबके बस की बात नही,.
जवाब देंहटाएंमेरी तरफ से आपको बहुत२ बधाई शुभकामनाए ..
ब्लोगजगत मे 3 साल पूरे करने के लिये हार्दिक बधाई और हिन्दी के उत्थान मे सहयोग करने मे आपका योगदान उल्लेखनीय है।
जवाब देंहटाएंसचमुच में आप का तीन साल का ये अद्भुत सफर हमारे लिए प्रेरणा का श्रोत बनेगा....बहुत -बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंवाह ..
जवाब देंहटाएंब्लॉग जगत की तीन वर्षों की आपकी यात्रा अच्छी रही ..
आगे भी आपकी ऐसी ही यात्रा बनीं रहे ..
ऐसी कामना करती हूं ..
बधाई और शुभकामनाएं !!
3 saal ka yah safar bahut hi prerak ban pada hai..
जवाब देंहटाएंBlog ka bahut hi sarthak lekha-jokha.
..3 saal pure hone pa haardik shubhkamnayen!
BAHUT BAHUT BADHAI...:)
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाइयाँ..आप के द्वारा ब्लॉग जगत समृद्ध हुआ है और होता रहेगा ऐसी कामना है.
जवाब देंहटाएंब्लॉग जगत की तीन वर्षों की आपकी यात्रा अच्छी रही ..
जवाब देंहटाएंआपका योगदान अत्यन्त सराहनीय है, हम तो आपसे ही सीख सीखकर आगे बढ़ रहे हैं।
जवाब देंहटाएंआप में असीम उर्जा है.
जवाब देंहटाएंबधाई हो शास्त्री जी, बहुत लम्बा सफर तो नहीं लेकिन रचनाओं और ब्लोगों की संख्या और उनकी लोकप्रियता सराहनीय है. मेरी हार्दिक शुभकामनाएं . इसी ऊर्जा से आप हमें अपने लेखनी से पढवाते रहें.
जवाब देंहटाएंशास्त्री अंकल जी नमस्कार,ब्लागिंग कि दुनियाँ में ३ साल कि सफलता पूर्वक सफर करने पर आपको हार्दिक दिल से बधाई और ईश्वर से प्रार्थना है कि आपकी यह सफर आगे भी लगातार जारी रहे.
जवाब देंहटाएंआपकी इस पोस्ट की बदौलत जो मैंने आपके इस ३ साल के सफर के बारें में जो अनुभव महसूस किया है मैं उसको बयान करने के लिए शब्द नहीं पा रहा हूँ सचमुच बहुत ही सुहाना लगा आपके इस सफर का हमसफ़र बन कर धन्यवाद आपके इस सफर में हमें शामिल करने के लिए
NEELKAMAL VAISHNAW neelkamalkosir@gmail.com द्वारा blogger.bounces.google.com
जवाब देंहटाएं5:27 अपराह्न (20 मिनट पहले)
मुझे
NEELKAMAL VAISHNAW ने आपकी पोस्ट " तीन साल का लेखा जोखा (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’... " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:
शास्त्री अंकल जी नमस्कार,ब्लागिंग कि दुनियाँ में ३ साल कि सफलता पूर्वक सफर करने पर आपको हार्दिक दिल से बधाई और ईश्वर से प्रार्थना है कि आपकी यह सफर आगे भी लगातार जारी रहे.
आपकी इस पोस्ट की बदौलत जो मैंने आपके इस ३ साल के सफर के बारें में जो अनुभव महसूस किया है मैं उसको बयान करने के लिए शब्द नहीं पा रहा हूँ सचमुच बहुत ही सुहाना लगा आपके इस सफर का हमसफ़र बन कर धन्यवाद आपके इस सफर में हमें शामिल करने के लिए
बहुत ही सुंदर जानकारी दी आपने अपने सफ़र की ........आपका ब्लॉग बहुत सुंदर.सरल है ...........
जवाब देंहटाएंइतने अच्छे सफर के लिया आपको बधाई
जवाब देंहटाएंडॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक' जी ब्लागिंग कि दुनियाँ में तीन साल के सुनहरा सफ़र कि सफलता पूर्वक सफर करने पर आपको हार्दिक दिल से बधाई और ईश्वर से प्रार्थना है कि ईस्वर आप की लेखनी को इसी प्रकार ताजगी प्रदान करता रहे और हमें आप की सुन्दर सुन्दर अभिव्यक्ति पढने को मिलती रहें
जवाब देंहटाएंआपकी तीन साल की कारगुजारी सराहनीय है
जवाब देंहटाएंकार्य ऊर्जा बनी रहे
शुभकामनाएं
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंमैंने आपके इस ३ साल के सफर के बारें में जो अनुभव महसूस किया है मैं उसको बयान करने के लिए शब्द नहीं |
जवाब देंहटाएंवाह, ढेरो बधाई... यह एक गौरव की बात है.... चर्चा ब्लाग्स में चर्चा मंच का अपना एक अतुलनीय स्थान है, और उसके लिए आपका योगदान अनुकरणीय है....
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं...
आपका तीन साल का सफर शानदार और जानदार रहा ।
जवाब देंहटाएंआपके इस सफर से नवांगतुकों को बहुत लाभ हुआ है।
आप आगामी वर्षों में नए शिखर छुएँ, इन्ही शुभकामनाओं के साथ
सशक्त आरम्भ और अनुकरणीय यात्रा ...शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंआपकी ब्लॉग्गिंग की यात्रा सच में श्रमसाध्य है .... हार्दिक बधाई आपको
जवाब देंहटाएंबहुत - बहुत बधाई आपको । ऐसे ही सक्रिय रहें
जवाब देंहटाएंआपकी तीन साल की कारगुजारी सराहनीय है
जवाब देंहटाएंजिसके लिए हम हृदय से शुक्रगुजार है आपके.
आपको समय समय पर पढकर आनन्द का
जो अनुभव होता है,वह अवर्णनीय है.
ईश्वर आपको पूर्ण स्वस्थता और चिरायु दें,
यही दुआ और कामना है.आपके ब्लॉग जगत
में पदार्पण से ही ब्लॉग जगत धन्य है.
बहुत बहुत बधाई और हार्दिक शुभकामनाएँ
आपको व आपके समस्त परिवार को.
तीन साल पूरे करने करनेिए हार्दिक बधाई ..
जवाब देंहटाएंआपका आशीर्वाद व स्नेह हमें मिलता रहे
व आपका अनुसरण कर हम भी प्रगति पथ की ओर अग्रसर हों .
सादर
kalamdaan.blogspot.com
शास्त्री जी, सादर चरण स्पर्श ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार रहा आपका तीन साल का सफर । इन तीन वर्षों में आपने निजी तौर पे जो हासिल किया वो तो किया ही साथ ही आपने इन दिनों में हिन्दी ब्लॉगिंग को भी नई ऊँचाईयाँ दी । आपका समर्पण के इस भाव के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं । मैं बस इतना ही कहुँगा कि आपसे हम सबको प्रेरणा लेनी चाहिए ।
शास्त्री जी, तीन साल तक लगातार इतना सातत्य बनाये रखना आपकी लगन और निष्ठा का ही परिणाम है। नियमित ब्लॉग लेखन, टिप्पणी, और चर्चाओं के साथ-साथ पुस्तक प्रकाशन भी कर पाना सामान्यजन के बस की बात नहीं है। दूसरी बात ये कि अपने उत्थान के लिये तो सब ही काम करते हैं, लेकिन आपने जिस प्रकार अन्य लोगों को ब्लॉगिंग से जोड़ने में और चर्चामंच के माध्यम से मेंटॉरिंग की है वह सराहनीय है। वर्षगांठ के शुभ अवसर पर बधाई और भविष्य के आयोजनों के लिये मंगलकामनायें!
जवाब देंहटाएंSmart Indian - स्मार्ट इंडियन
जवाब देंहटाएं7:08 पूर्वाह्न (10 मिनट पहले)
मुझे
Smart Indian - स्मार्ट इंडियन ने आपकी पोस्ट " तीन साल का लेखा जोखा (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’... " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:
शास्त्री जी, तीन साल तक लगातार इतना सातत्य बनाये रखना आपकी लगन और निष्ठा का ही परिणाम है। नियमित ब्लॉग लेखन, टिप्पणी, और चर्चाओं के साथ-साथ पुस्तक प्रकाशन भी कर पाना सामान्यजन के बस की बात नहीं है। दूसरी बात ये कि अपने उत्थान के लिये तो सब ही काम करते हैं, लेकिन आपने जिस प्रकार अन्य लोगों को ब्लॉगिंग से जोड़ने में और चर्चामंच के माध्यम से मेंटॉरिंग की है वह सराहनीय है। वर्षगांठ के शुभ अवसर पर बधाई और भविष्य के आयोजनों के लिये मंगलकामनायें!
Smart Indian - स्मार्ट इंडियन द्वारा उच्चारण के लिए 22 जनवरी 2012 7:08 पूर्वाह्न को पोस्ट किया गया
वाह अच्छा लगा पढ़ा कर. मंगलकामनाएं.
जवाब देंहटाएंCongratulations !
जवाब देंहटाएंनि:संदेह आपने मित्रता का विस्तार किया है और साथ में अपनी लेखनी का भी। आपको बहुत बधाई।
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंआपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 23-01-2012 को सोमवारीय चर्चामंच पर भी होगी। सूचनार्थ
नमस्कार शास्त्री जी......आपका यह ३ साल का सफर वाकई लाजवाब है...इतना स्नेह,उत्साह और आपसी एकजुटता आपके व्यक्तित्व की विशेषतायें है........मेरी अनेकों शुभकामनायें और बधाई।
जवाब देंहटाएंblog ke tin sal pure hone par apko bahut bahut badhayi....
जवाब देंहटाएंage ka safar bhi bahut acchi tarah se chalata rahe yahi shubhukamnaye hai...
ब्लागिंग में जब से आया हूं आपके बारे में सुनता था... ब्लागिंग को लेकर आपकी प्रतिबध्दता को लेकर सुनता था और यह मेरा सौभाग्य रहा कि आपके निकट आने का अवसर मिला और आपने मुझे चर्चा मंच का दायित्व देकर मुझपर भरोसा जताया।
जवाब देंहटाएंआपको शुभकामनाएं और उम्मीद है कि आपका मार्गदर्शन यूं ही मिलता रहेगा।
आभार.....
यह सफ़र चलता रहे!
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं!
सादर!