हमें जब भी हसीं लम्हे पुराने याद आते हैं सभी मिलने-मिलाने के बहाने याद आते हैं चमन में गूँजती हैं आज भी वो ही सदाएँ हैं तुम्हारे गुनगुनाए गीत-गाने याद आते हैं गवाही दे रहे हैं ये पुराने पेड़ बागों के जहाँ बैठे कभी थे वो ठिकाने याद आते हैं बहुत आँसू बहाये थे, बड़े सपने सजाए थे जवानी के हमें अपने ज़माने याद आते हैं हवा के एक झोंके ने उजाड़ा आशियाँ अपना तुम्हारे वास्ते लिक्खे तराने याद आते हैं कलेजे में समेटे हैं बुझी चिनगारियाँ अब तक तुम्हारे “रूप” के मंजर सुहाने याद आते हैं |
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शनिवार, 21 अप्रैल 2012
"1300वाँ पुष्प" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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१३००वीं पोस्ट की बधाई सर................
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना...
अनु
लाज़वाब प्रस्तुति...१३००वीं पोस्ट की बधाई !
जवाब देंहटाएंखिलें बगीचे में सदा, भान्ति भान्ति के रंग ।
जवाब देंहटाएंपुष्प-पत्र-फल मंजरी, तितली भ्रमर पतंग ।
तितली भ्रमर पतंग, बागवाँ शास्त्री न्यारे ।
दुनिया होती दंग, आय के उनके द्वारे ।
नित्य पौध नव रोप, हाथ से हरदिन सींचे ।
कठिन परिश्रम होय, तभी तो खिलें बगीचे ।।
आपकी सहज अभिव्यक्ति हौले-हौले से
जवाब देंहटाएंमानस-मन तक स्वतः पहुँच जाती है।
सच में अति सुन्दर रचना।
मन मोहक।
आनन्द विश्वास।
कमाल की यादें हैं शास्त्री जी... १३०० पोस्टों की यात्रा! आप सचमुच प्रेरणा की मशाल हैं!!
जवाब देंहटाएं१३००वीं पोस्ट की बधाई स्वीकारें ...सभी के लिए प्रेरणादायी है आपकी लेखन यात्रा
जवाब देंहटाएं1300 post ............. kamal ka samarpan. meri shubhkamnain.
जवाब देंहटाएं.. ashok jamnani
१३००वीं पोस्ट की बधाई
जवाब देंहटाएं1300 ☺
जवाब देंहटाएंअतुलनीय
वाह हजार के ऊपर तीन सौ !!
जवाब देंहटाएंतेरह सौवें पुष्प की , खुशबू गाती गीत
जवाब देंहटाएंमुखरित अब भी बाग में, भूले बिसरे मीत
भूले बिसरे मीत, सजा है मन का उपवन
खिलते झरते पुष्प,इसी का नाम है जीवन
बिछ जाते हैं नयन , कभी तनती हैं भौंहें
खिलो सदा मुस्काओ, पुष्प ओ तेरह सौवें
बधाई हो आपको.
जवाब देंहटाएं१३००वीं पोस्ट की बधाई
जवाब देंहटाएंकुछ यादें बहुत ही सुखद होती है!...इन्हें अपने अलग किया ही नहीं जा सकता!...बहुत सुन्दर रचना!....आभार!
जवाब देंहटाएं...wow!...१३०० वी पोस्ट!...बहुत बहुत बधाई!
जवाब देंहटाएं१३००वीं पोस्ट की बहुत बहुत बधाई सर................
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना...
ढेरों बधाईयाँ, सारे मंजर याद रहेंगे।
जवाब देंहटाएंबहुत आँसू बहाये थे, बड़े सपने सजाए थे
जवाब देंहटाएंजवानी के हमें अपने ज़माने याद आते हैं....
हमे भी बहुत याद आयेंगे लेकिन बाद में...
१३००वीं पोस्ट की बधाई.
गवाही दे रहे हैं ये पुराने पेड़ बागों के
जवाब देंहटाएंजहाँ बैठे कभी थे वो ठिकाने याद आते हैं
सार्थक प्रस्तुति!!
1300 वी पोस्ट के लिए शुभकामनाएं!!