आज रामनवमी के अवसर पर मेरे नगर खटीमा में उत्तराखण्ड के विधानसभाध्यक्ष मा. गोविन्द सिंह कुंजवाल पधारे! उल्लेखनीय है कि उत्तराखण्ड में माननीय पं. नारायण दत्त तिवारी की सरकार में 2002 से 2005 तक आदरणीय गोविन्द सिंह कुंजवाल जी उद्यान मन्त्री रहे थे। उस समय मैं (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री) उत्तराखण्ड सरकार के अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग में सदस्य पद पर आसीन था। आयोग से सन् 2008 में अपना कार्यकाल पूरा करने के उपरान्त मैं साहित्य सेवा में लग गया। मुझे इसका प्रतिफल यह मिला कि मेरी 4 पुस्तकें १- सुख का सूरज २- नन्हे सुमन ३- धरा के रंग ४- हँसता गाता बचपन प्रकाशित हो गईं। इन पुस्तकों को मैंने मा. गोविन्द सिंह कुंजवाल (विधानसभाध्यक्ष-उत्तराखण्ड सरकार) को सप्रेम भेंट किया। साथ में खटीमा के विधायक मा. पुष्कर सिंह धामी भी बायीं ओर स्थित हैं। |
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
रविवार, 1 अप्रैल 2012
"रपट-विधानसभाध्यक्ष खटीमा पधारे" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि ...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
शुभकामनायें ||
जवाब देंहटाएंबधाई ,मान हमारा भी बढ़ता है .
जवाब देंहटाएंबधाई ,मान हमारा भी बढ़ता है .
जवाब देंहटाएंबहुत२ बधाई...शुभकामनाए....
जवाब देंहटाएंbahut bahut badhaai.
जवाब देंहटाएंbahut bahut badhai .
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई।
जवाब देंहटाएंहिस्सा शासन का रहे, गुरुवर सालो-साल ।
जवाब देंहटाएंशुभ कर्मों ने था किया, सेवा मदद धमाल ।
सेवा मदद धमाल, कभी न जाते खाली ।
हो सहाय हर हाल, हमारी खप्पर वाली ।
रविकर का अनुमान, सुनेगा पिछला किस्सा ।
गुरु गुणों की खान, बने शासन का हिस्सा ।
ढेर सारी शुभकामनाएँ शास्त्री जी...
जवाब देंहटाएंआप हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं...
आशीर्वाद बनाये रखें.
सादर
बधाई हो शास्त्री जी!
जवाब देंहटाएंआपको पुनः सरकार में दायित्व जरूर मिलेगा।
आदरणीय शास्त्री जी ,बधाईयाँ , एक कथ्यांश मुझे याद आता है -
जवाब देंहटाएं"कविता करके तुलसी न लसे ,कविता लसी पा तुलसी की कला "
आप वैसे ही किसी राज- सरोकार से ऊपर हैं ,अध्यात्म व साहित्य का सूरज कभी डूबता नहीं / आपके गौरव व मान को नमन करते हैं ..शुभकामनायें ../
बहुत - बहुत बधाई सहित शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंबहुत - बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें|
जवाब देंहटाएंआपकी साहित्य सेवा यूँ ही गतिमान रहे।
जवाब देंहटाएं